Move to Jagran APP

झारखंड में खत्म होगी आदिवासी जमीन की खरीद में थाना क्षेत्र की बाध्यता

आदिवासी महिला से विवाह कर नहीं हासिल कर सकेंगे आदिवासियों जैसी सुविधाएं

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 12:18 AM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 12:18 AM (IST)
झारखंड में खत्म होगी आदिवासी जमीन की खरीद में थाना क्षेत्र की बाध्यता
झारखंड में खत्म होगी आदिवासी जमीन की खरीद में थाना क्षेत्र की बाध्यता

राज्य ब्यूरो, रांची : झारखंड में एक ही थाना क्षेत्र में आदिवासियों के बीच आपस में जमीन की खरीद-बिक्री की बाध्यता शिथिल करने पर सरकार रेस है। इसके साथ ही संताल परगना में गैर जनजातियों के बीच आपस में जमीन की खरीद-बिक्री के मसले पर भी वह गंभीर है। मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में शुक्रवार को प्रोजेक्ट बिल्डिंग स्थित सभागार में आयोजित जनजातीय परामर्शदातृ परिषद की 22वीं बैठक में इन मसलों पर खुलकर चर्चा हुई। तय हुआ कि सरकार इन मसलों पर सर्वदलीय बैठक बुलाएगी। साथ ही सामाजिक संगठनों, ग्राम प्रधानों, आम जनता से राय मशविरा करेगी। तीन महीने के अंदर इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

loksabha election banner

इधर, इस मसले पर निर्णय लेने के लिए टीएसी की पिछली बैठक में कल्याण मंत्री डा. लुइस मरांडी की अध्यक्षता में गठित उप समिति ने अपनी रिपोर्ट शुक्रवार को टीएसी को सौंप दी। उप समिति का मानना है कि पूर्व में एक ही थाना क्षेत्र में आज के कई जिले समाहित थे। आज एक जिले में दर्जनों थाने खुल आए हैं। ऐसे में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म करना वर्तमान की मांग है। रिपोर्ट के अनुसार थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म होने के बाद आदिवासी समुदाय का कोई भी व्यक्तिपूरे राज्य में कहीं भी जीवन में सिर्फ एक बार अधिकतम 20 डिसमिल तक जमीन खरीद सकेगा।

टीएसी की इस अनुशंसा पर सरकार की मुहर लग जाने के बाद रांची नगर निगम क्षेत्र से बाहर भी जमीन खरीदने का रास्ता साफ हो जाएगा। जमीन की खरीद-बिक्री में इसका ख्याल रखा जाएगा कि कोई आदिवासी इतना जमीन न बेचे कि वह भूमिहीन हो जाए। इसी तरह संताल परगना के मामले में भूमिहीन हो या रैयती आवासीय उद्देश्यों से गैर आदिवासी जमीन खरीद सकेंगे। टीएसी ने इसी तरह आदिवासियों की भूमि खरीदने की नीयत से आदिवासी महिलाओं से शादी करने वाले गैर आदिवासियों के मंसूबे पर भी पानी फेर दिया है। जमीन खरीदने के इस हथकंडे पर पूर्ण विराम लगाने के लिए सरकार राज्य में ओडिशा की तर्ज पर शिड्यूल एरिया ट्रांसफर इमूवेबल प्रोपर्टी बाई शिड्यूल ट्राइब्स रेगुलेशन लागू करेगी। टीएसी की बैठक में इसपर सैद्धांतिक सहमति बनी। इसे प्रभावी करने के लिए सरकार रेगुलेशन लाएगी अथवा संबंधित कानून में संशोधन होगा, इससे जुड़े कोर्ट के विभिन्न आदेशों का सरकार जहां अध्ययन करेगी, वहीं इस मसले पर महाधिवक्ता (एजी) से राय मशविरा करेगी। ओडिशा के इस रेगुलेशन में गैर आदिवासियों द्वारा एसटी महिलाओं से शादी करने के बाद जमीन खरीदने पर संबंधित महिलाओं को अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं मानते हुए भूमि वापसी की कार्रवाई का प्रावधान है।

---

भुइंहर मुंडा, खूंटकटी मुंडा, कपाट मुंडा, लोहार, घटवाल एवं चिक बड़ाइक को अनुसूचित जनजाति का लाभ अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आनेवाली भुइंहर मुंडा, खूंटकटी मुंडा, कपाट मुंडा, लोहार, घटवाल एवं चिक बड़ाइक को अनुसूचित जनजातियों की ही तरह आरक्षण का लाभ दिए जाने पर टीएसी के सदस्यों ने सहमति जताई है। इस पर निर्णय लेने के लिए ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता में गठित उप समिति अगस्त अंत तक इस पर रिपोर्ट देगी। कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग तथा राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग विभिन्न स्टेक होल्डर के साथ इस मसले पर मंत्रणा करेगा। अधिकतम छह महीने के अंदर इस पर सरकार फैसला लेगी।

--- एसटी के लिए अलग मंत्रालय, भाषा अकादमी और दफ्तर भी संविधान की धारा 164 के तहत झारखंड में केंद्र की ही तर्ज पर जनजातियों के लिए अलग से मंत्रालय गठित करने की अनुशंसा टीएसी ने की है। महाधिवक्ता से राय लेने के बाद एक महीने में इस मसले पर बनेगी समिति। इसी तरह उनके लिए भाषा अकादमी गठित करने, विभिन्न जनजातियों भाषाओं के लिए अलग-अलग सिलेबस तैयार करने, टीएसी के लिए अलग से दफ्तर खोलने और पदों के सृजन पर भी टीएसी के सदस्यों ने अपनी मुहर लगाई है।

---

धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासियों को नहीं मिले आरक्षण का लाभ हालांकि यह टीएसी की बैठक का एजेंडा नहीं था। इससे इतर टीएसी के सदस्यों में शामिल शिवशंकर उरांव ने अन्यान्य में इस मसले को उठाया। उन्होंने केरल सरकार बनाम चंद्रमोहन में आए फैसले का हवाला दिया। बैठक के बाद मीडिया से मुखातिब उरांव ने कहा कि अपनी मूल परंपरा और धर्म को छोड़ निज स्वार्थ के लिए अन्य धर्म अपनाने वाले आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाए। टीएसी की बैठक में उनके स्तर से उठाए गए सवाल पर सरकार ने गंभीरता से विचार करने का वादा किया है।

विवाहित महिलाओं के जाति प्रमाणपत्र में होगा पति का नाम

विवाहित महिलाओं के नाम से निर्गत होने वाले जाति प्रमाणपत्र में अब उनके पिता के साथ-साथ पति का नाम दर्ज करना भी बाध्यकारी होगा। सरकार तक ऐसी कई शिकायतें पहुंची थी, जिसमें जाति प्रमाणपत्र में दर्ज अपने आदिवासी पिता के नाम को भंजाकर आदिवासी महिलाओं द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद कर ली गई थी, जबकि उसने गैर आदिवासियों से शादी कर रखी थी। इससे सीएनटी एक्ट में दर्ज आदिवासी भूमि के संरक्षण के प्रावधान प्रभावित हो रहे थे। टीएसी की बैठक में इस मसले पर भी आम सहमति बनी है।

---

आदिवासी छात्रावासों में अवैध तरीके से रहने वाले निकाले जाएंगे बैठक के दौरान आदिवासी छात्रावासों पर अवैध तरीके से कब्जे का मसला भी उठा। इस पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को डीसी और एसपी के साथ वीडियो कांॅफ्रेंसिंग करने तथा ऐसे तत्वों को वहां से बाहर करने का निर्देश दिया। सदस्यों ने पढ़ाई समाप्त होने के बाद प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए जनजातीय छात्र और छात्राओं के लिए छात्रावास निर्माण करने की भी अनुशंसा की।

------- टीएसी की अन्य अनुशंसाएं -रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के नौ भाषाओं के स्वतंत्र विभाग स्थापित किए जाएंगे।

-अनुसूचित जनजातियों की छात्रवृत्ति बढ़ाए जाने पर सरकार केंद्र से करेगी बात, टीएसी ने की अनुशंसा। वर्तमान में 25 लाख विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मद में दिए जा रहे 500 करोड़ से अधिक रुपये।

-आश्रम विद्यालयों में सीबीएसई पैटर्न पर होगी पढ़ाई। चार को मिली मान्यता, सात की फाइल बढ़ी।

- सरकारी नौकरियों में नियुक्ति, प्रोन्नति में आरक्षण के मसले पर उत्पन्न होने वाले विवाद के निपटारे से संबंधित रिपोर्ट देने के लिए गठित होगी टीएसी की उप समिति।

- आदिवासियों की घटती आबादी का अध्ययन करने के लिए गठित उप समिति को छह महीने का विस्तार देने की अनुशंसा।

--- 18 में चार सदस्यों ने बैठक में नहीं की शिरकत 18 सदस्यीय जनजातीय परामर्शदातृ परिषद की बैठक में विकास मुंडा, चमरा लिंडा, गीता कोड़ा और हरे कृष्ण सिंह ने बैठक में शिरकत नहीं की। बैठक में मुख्यमंत्री के अलावा बतौर पदेन उपाध्यक्ष कल्याण मंत्री डा. लुइस मरांडी और बतौर सदस्य ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, विमला प्रधान, गंगोत्री कुजूर, लक्ष्मण टुडू, ताला मरांडी, रामकुमार पाहन, मेनका सरदार, शिवशंकर उरांव, सुखदेव भगत, हेमलाल मुर्मू, जेबी तुबिद और रतन तिर्की ने शिरकत की।

--- रतन तिर्की की नहीं सुन रही सरकार, आरोप, सीएम से नहीं मिलने देते सचिव बैठक के दौरान टीएसी के सदस्य रतन तिर्की ने मुख्यमंत्री को संबोधित एक पत्र सौंपा। पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा है कि कई समस्याओं को सुलझाने के निमित्त उन्होंने सरकार को पत्र लिखा, जिसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्हें वन विभाग की स्टीय¨रग कमेटी का सदस्य तो बना दिया गया, परंतु उनकी रिपोर्ट को किसी ने तवज्जो नहीं दी। उन्होंने शिकायत की है कि जमीन अधिग्रहण से पहले सरकार ग्रामीणों से संवाद नहीं कर रही है। उन्होंने कहा है मैं ईसाई धर्म मानता हूं और मुझे टीएसी का सदस्य बनाया गया है, लोग मुझसे सवाल करते हैं। उन्होंने कहा है कि क्या ईसाई धर्म मानना झारखंड में पाप है। उन्होंने सचिव पर आरोप मढ़ा है कि वे उन्हें सीएम से मिलने नहीं देते।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.