गरीब छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति पर रसूखदारों का डाका
फर्जीवाड़े के इस खेल में राज्य के बड़े-बड़े रसूखदार शामिल हैं, जो गरीबों का हक मार रहे हैं।
रांची, विनोद श्रीवास्तव। 12वीं के बाद देश के विभिन्न तकनीकी और गैर तकनीकी संस्थानों में अध्ययनरत छात्र छात्रवृत्ति के लिए किसी भी हद से गुजरने को तैयार हैं। छात्रवृत्ति के लिए फर्जी प्रमाणपत्र देने, गलत पता बताने, और तो और अंकपत्र बदलने तक की पुष्टि हो चुकी है। इस फर्जीवाड़े में छात्रों के अभिभावक भी खुलकर अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
फर्जीवाड़े के इस खेल में राज्य के बड़े-बड़े रसूखदार शामिल हैं, जो गरीबों का हक मार रहे हैं। रसूखदारों में जहां कई सरकारी सेवा में हैं, वहीं कई बड़े व्यवसायी और उद्यमी हैं। विभिन्न स्रोतों से इस आशय की पुष्ट सूचना मिलने के बाद सरकार ऐसे लोगों को बेनकाब करने की तैयारी में है। कल्याण विभाग ने फौरी तौर पर छात्रवृत्ति ले रहे हर जिले के 50 छात्रों को सूचीबद्ध किया है, जिसकी कुंडली खंगालने की तैयारी है।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार हजारीबाग के एक छात्र के अभिभावक जहां सरकारी सेवा में हैं, वहीं राजधानी रांची के बरियातू में रह रहे एक व्यक्ति का अपना आलीशान मकान, कई दो पहिया और चार पहिया वाहन और सुख-सुविधा की तमाम वस्तुएं हैं। इसी तरह जमशेदपुर का शख्स बड़ा कपड़ा व्यवसायी है, जबकि दूसरा उद्यमी। पोस्ट मैटिक छात्रवृत्ति का लाभ ले रहे देवघर के एक छात्र के पिता का ठीकठाक व्यवसाय है। संबंधित व्यक्तियों ने अपनी आय छुपाते हुए छात्रवृत्ति के आवेदन के साथ फर्जी प्रमाणपत्र संलग्न किया है।
सामान्य तौर पर ढाई लाख तक की वार्षिक आमदनी वाले अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति, जबकि एक लाख तक की सालाना आबादी वाले ओबीसी श्रेणी के छात्र ही छात्रवृत्ति का लाभ ले रहे हैं। पकड़ में आने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई किए जाने की बात अफसर बताते हैं।
3.92 लाख विद्यार्थी ले रहे लाभ
झारखंड के तीन लाख 92 हजार 391 छात्रों को पोस्ट मैटिक छात्रवृत्ति का लाभ मिल रहा है। इनमें से 32,219 छात्र झारखंड के बाहर के प्रदेशों में अध्ययनरत हैं, जबकि 3,60,172 झारखंड के अंदर संचालित शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। छात्रवृत्ति 12वीं तथा समकक्ष, स्नातक तथा समकक्ष, स्नातकोत्तर के अलावा पीएचडी एवं समकक्ष, आइटीआई कोर्स, डिप्लोमा पाठ्यक्रम तथा व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षण संस्थान के अंतर्गत संचालित इंजीनियरिंग, मेडिकल, विधि, प्रबंधन अथवा इसके समकक्ष पाठ्यक्रमों के लिए न्यूनतम छह हजार से अधिकतम 50 हजार रुपये तक दी जाती है।
छात्रवृत्ति के लिए पहले न्यूनतम 50 फीसद अंक लाना अनिवार्य था। अब 40 फीसद अंक लाने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तथा 45 फीसद अंक लाने वाले ओबीसी छात्रों को भी इसका लाभ देने का निर्देश सीएम ने दिया है।'
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