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    Jharkhand Politics: भाजपा के अभियान को चुनौती दे रहे बागी दिग्गज, निपटने के लिए इस प्लान पर काम कर रहा नेतृत्व

    झारखंड में भाजपा के बागी नेता बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफी में बदलाव के मुद्दे पर पार्टी के अभियान को पलीता लगा रहे हैं। संताल परगना से कोल्हान तक यही हाल है। मोर्चा भाजपा के बागी नेताओं को हथियार बना रहा । लुईस मरांडी ने भाजपा के प्रमुख नेताओं पर ही सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत सरमा राज्य में आग लगाने के लिए आते हैं।

    By Mohit Tripathi Edited By: Mohit Tripathi Updated: Tue, 29 Oct 2024 09:49 PM (IST)
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    भाजपा के अभियान को चुनौती दे रहे बागी दिग्गज।

    राज्य ब्यूरो, रांची। भाजपा ने झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफी में बदलाव को बड़ा मुद्दा बनाया है। इसे लेकर माहौल भी बना है, लेकिन पार्टी के बागी नेता इस अभियान को पलीता लगा रहे हैं। संताल परगना से कोल्हान तक यही हाल है।

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    झारखंड मुक्ति मोर्चा भाजपा के बागी नेताओ को हथियार बना रहा है। हाल ही में भाजपा छोड़ झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हुईं पूर्व मंत्री लुईस मरांडी ने भाजपा के प्रमुख नेताओं पर ही सवाल उठा दिया है।

    उन्होंने यहां तक आरोप लगा दिया है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा राज्य में आग लगाने के लिए आते हैं। इनका मकसद संताल परगना के विकास को बाधित करना है।

    उन्होंने झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत की राजनीतिक समझ पर भी सवाल उठाया है। हिमंत ने अग्रिम मोर्चे पर राज्य में भाजपा की के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी है, लेकिन बागियों की बढ़ती तादाद से पार्टी की मुश्किल आने वाले दिनों में बढ़ सकती है।

    स्थिति ऐसी है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के विरुद्ध भी दल के बागी ताल ठोक रहे हैं।संताल परगना जैसी स्थिति कोल्हान प्रमंडल में भी है। यहां भाजपा में अरसे से काम कर रहे नेताओं ने ऐन चुनाव के मौके पर पाला बदल लिया है। इसमें लक्ष्मण टुडू, गणेश महली, बास्को बेसरा समेत अन्य शामिल हैं। सभी पूर्व में चुनाव भी लड़ चुके हैं। इन्होंने भी पार्टी की रणनीति पर सवाल उठाते हुए पलटवार किया है।

    नेतृत्व की हिदायत, हर स्तर पर नियंत्रण की कवायद

    भाजपा के समक्ष ऐसी स्थिति तब है, जब पार्टी की ओर से नेताओं को मनाने की हरसंभव कोशिश की गई। इसका असर भी दिखा। कई नेता बात मानकर अब दल के प्रत्याशी के समर्थन में उठ खड़े हुए हैं, लेकिन कई ने मान-मनौव्वल के बाद भी अपने रुख में परिवर्तन नहीं किया।

    यह क्रम अभी थमा भी नहीं है। हालांकि नेतृत्व के स्तर पर यह हिदायत दी गई है कि किसी भी स्तर पर जाकर नाराज चल रहे नेताओं-कार्यकर्ताओं को मनाने की कवायद की जाए।

    आवश्यकता होने पर वरीय नेताओं की भी उनसे बात कराई जाए। यदि जरूरत पड़े तो ऐसे नेताओं-कार्यकर्ताओं से वरिष्ठ नेता उनके निवास स्थान तक जाकर मुलाकात करेंगे। भाजपा का प्रदेश नेतृत्व इसे लेकर सचेष्ट है।

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