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    Jharkhand Politics: चुनाव में हार के बाद गुमनामी में सीता सोरेन, क्या भाजपा तय करेगी नई भूमिका?

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 02:04 PM (IST)

    झारखंड में चुनाव हारने के बाद सीता सोरेन गुमनामी में हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि क्या भाजपा उनके लिए कोई नई भूमिका तय करेगी। सीता सोरेन, जो ...और पढ़ें

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    भाजपा नेता सीता सोरेन। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड की राजनीति में कभी प्रभावशाली मानी जाने वाली सीता सोरेन इन दिनों राजनीतिक नेपथ्य में दिखाई दे रही हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से अलग होकर भाजपा का दामन थामने और 2024 के चुनावी मैदान में उतरने के बाद मिली हार ने उनके राजनीतिक कद और सक्रियता दोनों पर असर डाला है। चुनावी शोर थमते ही उनकी सार्वजनिक मौजूदगी, पार्टी कार्यक्रमों और आक्रामक बयानों में स्पष्ट कमी देखी जा रही है।

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    भाजपा में शामिल होने के समय सीता सोरेन को आदिवासी महिला चेहरे के रूप में आगे बढ़ाने की चर्चा थी। पार्टी ने उनसे संगठनात्मक मजबूती और चुनावी लाभ की अपेक्षा की थी, लेकिन चुनावी नतीजे अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहे। इसके बाद वे न तो पार्टी के प्रमुख कार्यक्रमों में नियमित दिखीं और न ही प्रदेश राजनीति की बहसों में उनकी मुखर भूमिका नजर आई।

    इंटरनेट मीडिया पर भी सांकेतिक मौजूदगी

    सीता सोरेन की सक्रियता सीमित हो गई है। जहां चुनाव के दौरान वे विरोधियों पर तीखे हमले और तात्कालिक प्रतिक्रियाएं देती थीं।

    वहीं, अब एक्स पर उनके पोस्ट अधिकतर प्रतीकात्मक जयंती, पुण्यतिथि या सांस्कृतिक अवसरों तक सिमट गए हैं। यह बदलाव बताता है कि वे फिलहाल आक्रामक राजनीति से दूरी बनाए हुए हैं।

    संभव है कि यह स्थिति एक रणनीतिक विराम भी हो सकता है। चुनावी हार के बाद कई नेता संगठन के भीतर अपनी भूमिका तय करने, नए समीकरण साधने और सही मौके की प्रतीक्षा करते हैं।

    सीता सोरेन के मामले में भी भाजपा के भीतर उनकी भविष्य की भूमिका चाहे वह संगठनात्मक हो या चुनावी, अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है।

    दूसरी ओर, झामुमो से अलगाव के बाद उनके पास वह पारंपरिक राजनीतिक आधार भी नहीं रहा, जो पहले उनकी ताकत माना जाता था। इससे उनकी राजनीतिक पुनर्स्थापना की राह और चुनौतीपूर्ण हो गई है।

    सवाल यह नहीं कि वे राजनीति में रहेंगी या नहीं, बल्कि यह है कि क्या वे किसी नए रोल, नए मुद्दे या नए राजनीतिक प्रयोग के साथ वापसी कर पाएंगी अथवा उनकी भूमिका सीमित प्रभाव वाली रह जाएगी?