सूर्या हांसदा के एनकाउंटर पर झारखंड की सियासत तेज, जयराम महतो के बाद चंपई सोरेन भी हुए मुखर
जेकेएलएम नेता सूर्या हांसदा के एनकाउंटर पर चंपई सोरेन ने सरकार पर आदिवासियों की आवाज दबाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हांसदा की पत्नी की आशंका सच हुई और संथाल परगना में आवाजें दबाई जा रही हैं। सोरेन ने पुलिस की कहानी पर सवाल उठाए और CBI जांच की मांग की है ताकि सच सामने आ सके और पीड़ित परिवार को न्याय मिले।

डिजिटल डेस्क, रांची। जेकेएलएम के नेता सूर्या हांसदा के एनकाउंटर के बाद झारखंड की सियासत तेज हो गई है। कल पार्टी सुप्रीमो जयराम महतो ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि जिनके पूर्वज झारखंड राज्य के लिए लड़े, उन्हें एनकाउंटर का सामना करना पड़ रहा है। वहीं आज पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता चंपई सोरेन ने भी सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की है।
चंपई सोरेन ने कहा कि चार बार चुनाव लड़ चुके स्व. सूर्या हांसदा की पत्नी ने देवघर में गिरफ्तारी के तुरंत बाद जिस बात की आशंका जताई थी, गोड्डा पहुंचते- पहुंचते वह सच हो गई। पिछले कुछ समय से, संथाल परगना में, कुछ खास लोगों के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को कुचलने की कोशिशें हो रही हैं।
गोड्डा में स्व. सूर्या हांसदा के तथाकथित एनकाउंटर के बाद उनके परिवार के बयानों से कहीं ना कहीं यह संदेश निकल कर आ रहा है कि अगर आप इस सरकार में आदिवासियों के पक्ष में एवं खनन माफिया के खिलाफ आवाज उठाएंगे, तो सरकारी तंत्र की मदद से आपको खामोश कर दिया जायेगा।
एनकाउंटर पर सवाल
उन्होंने लिखा कि जब पुलिस किसी अभियुक्त को गिरफ्तार करती है, तो उसकी सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी होती है। क्या पुलिस यह बताएगी कि हथकड़ी लगे एक बीमार व्यक्ति ने पुलिस पर कैसे और कितनी गोलियां चलाईं?
वे गोलियां किसे लगीं? देवघर से गोड्डा आने के क्रम में जिस व्यक्ति ने भागने की कोशिश नहीं की, वह गोड्डा आते ही हमलावर कैसे हो गया? आधी रात को उसे जंगल में ले जाने की जगह सुबह का इंतजार क्यों नहीं किया गया?
पुलिस की गोलियां आरोपी के पैरों की जगह सीने पर क्यों लगी? अगर किसी गिरोह ने पुलिस पर हमला किया था, जैसा कि पुलिस कह रही है, तो उनमें से किसी को भी गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा सका?
उस गिरोह को कैसे पता चला कि पुलिस स्व. सूर्या हांसदा को लेकर वहां आने वाली है? उन में से कोई घायल क्यों नहीं हुआ? कोई बच्चा भी इस कहानी पर विश्वास करेगा क्या?
CBI जांच की मांग
सोरेन ने लिखा कि किसी भी मामले के आरोपी को न्याय देने के लिए अदालतें हैं, लेकिन जब पुलिस ही साजिश में शामिल दिखने लगे, तो न्याय की मूल अवधारणा ही दम तोड़ती नजर आती है।
दूसरी तरफ, हमने बोकारो में देखा कि अगर अपराधी एक विशेष समुदाय से हो, तो सरकार के मंत्री ना सिर्फ मुख्यमंत्री एवं बड़े नेताओं से अपराधी के परिवार को मदद दिलवाते हैं, बल्कि उनके आश्रितों के लिए नौकरी का भी इंतजाम करते हैं।
आदिवासियों पर अत्याचार करने वालों को प्रोत्साहन एवं उनकी आवाज उठाने वालों को खामोश करने की यह प्रवृत्ति खतरनाक है, लेकिन अफसोस, झारखंड में राजनैतिक कारणों से यह अब सामान्य होती जा रही है। इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए, तभी सच सामने आयेगा और पीड़ित परिवार को न्याय मिल पायेगा।
सरकार को घेरने की तैयारी
बता दें कि कल जेकेएलएम के जयराम महतो की प्रेस वार्ता के बाद से भाजपा रेस में है। अर्जुन मुंडा भी 17 अगस्त को हांसदा के परिजनों से मिलने संथाल जा रहे हैं। भाजपा इस एनकाउंटर के बहाने वर्तमान सरकार को घेरने की कोशिश में दिख रही है।
सूर्या हांसदा पहले भाजपा से चुनाव लड़ चुके हैं। टिकट नहीं मिलने से अबकी जेएलकेएम से चुनाव लड़ा था। हांसदा का परिवार क्षेत्र में प्रभावी रहा है।
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