Babulal Marandi: बाबूलाल मरांडी की विधायकी खतरे में... दलबदल मामले में स्पीकर ले सकते हैं बड़ा फैसला
Babulal Marandi भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की विधानसभा सदस्यता रद हो सकती है। स्पीकर न्यायाधिकरण में इस पर अगली सुनवाई में तस्वीर साफ हो जाएगी। सोमवार को इस मामले में सुनवाई हुई। शिकायकर्ताओं ने सदस्यता रद करने की मांग की।
रांची, राज्य ब्यूरो। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की विधायकी पर खतरा मंडरा रहा है। अब स्पीकर न्यायाधिकरण इसी बिंदु पर सुनवाई करेगा कि उनकी सदस्यता बरकरार रहेगी या समाप्त कर दी जाएगी। सोमवार को दल-बदल के मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रारंभिक आपत्ति को अस्वीकार कर दिया गया है। इस मामले में अब मेरिट पर सुनवाई होगी। झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने दलबदल विरोधी कानून के तहत भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ आदेश सुरक्षित रख लिया है। बाबूलाल मरांडी के वकील आरएन सहाय ने बताया कि उनके खिलाफ दायर चार याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं हैं। क्योंकि वे जेवीएम (पी) -बीजेपी विलय के 10 महीने बाद दायर की गई थीं।
न्यायाधिकरण के समक्ष रखा अपना पक्ष
संबंधित पक्षों ने प्रस्तावित बिंदुओं को न्यायाधिकरण के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है। न्यायाधिकरण खुद इसे निर्धारित करते हुए मामले की सुनवाई करेगा। दल-बदल मामले में सोमवार को कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह और प्रदीप यादव की ओर से की गई शिकायत पर सुनवाई हुई। स्पीकर न्यायाधिकरण में सुनवाई के दौरान बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता आरएन सहाय ने कहा कि दल-बदल की शिकायत 10 महीने की देरी से दर्ज कराई गई। ऐसे में कोई भी दल-बदल मामले में विधायकों को परेशान कर सकता है। उन्होंने याचिका को खारिज करने की मांग की।
Jharkhand Assembly Speaker Rabindra Nath Mahato reserved order against BJP leader Babulal Marandi under the Anti-Defection Law
Four petitions filed against him are not maintainable as they were filed 10 months after JVM (P)-BJP merger: RN Sahay, Babulal Marandi’s counsel (09.5) pic.twitter.com/lWlT9SOJFy
— ANI (@ANI) May 9, 2022
शिकायत की कोई सीमा तय नहीं
शिकायतकर्ता विधायक दीपिका पांडेय सिंह और प्रदीप यादव के अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया के मुताबिक संविधान में कहीं इस बात का उल्लेख नहीं है कि 10 महीने के बाद याचिका दायर नहीं हो सकती है। शिकायत करने की समय सीमा तय की गई है। निर्णय में देरी हो, इसलिए ऐसी दलील दी जा रही है। अब इस मामले में ज्यादा देर नहीं करते हुए केस के मेरिट पर सुनवाई की जाए। दोनों पक्षों की ओर से स्पीकर न्यायाधिकरण के समक्ष प्रस्तावित बिंदु प्रस्तुत किए गए।
झाविमो का दो तिहाई बहुमत से विलय नहीं हुआ
शिकायतकर्ता की तरफ से कहा गया कि झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) का भाजपा में दो तिहाई बहुमत से विलय नहीं हुआ है। यह दल-बदल का मामला बनता है। बाबूलाल की ओर से दलील दी गई कि निर्वाचन आयोग ने झाविमो के भाजपा में विलय को मंजूरी दे दी है। तीन विधायकों में से दो को निष्कासित करने के बाद पार्टी में बचे एक मात्र विधायक ने पार्टी का विलय करने का निर्णय किया। यह दल-बदल का मामला नहीं बनता है। दल-बदल के इस मामले में स्पीकर न्यायाधिकरण में मेरिट के आधार पर सुनवाई तेज होगी। जानकारी के अनुसार स्पीकर एक-दो दिन में सुनवाई की अगली तारीख तय कर सकते हैं। स्पीकर पहले भी बोल चुके हैं कि इस मामले में वह जल्द फैसले के पक्ष में हैं।