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    Jharkhand News: बिरसा जैविक उद्यान का शेर शशांक की कैंसर से मौत, जानें कितने वर्ष होती है हाइब्रिड शेर की आयु

    Updated: Fri, 04 Jul 2025 05:00 PM (IST)

    ओरमांझी के भगवान बिरसा जैविक उद्यान में शेर शशांक की मौत हो गई है। वह हाइब्रिड नस्ल का था और वृद्ध हो गया था। एक माह से बीमार चल रहा था। रांची पशु चिकित्सा महाविद्यालय पैथोलोजी के विभागाध्यक्ष डा. एमके गुप्ता ने मौत का कारण कैंसर बताया है। जांच के लिए भेजा गया है।

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    बिरसा जैविक उद्यान का शेर शशांक की मौत हो गई है। शशांक का फाइल फोटो।

    ओरमांझी(रांची)। Jharkhand News भगवान बिरसा जैविक उद्यान ओरमांझी के शेर शशांक की मौत हो गई है। 15 वर्ष का शेर शषांक हाइब्रिड नस्ल का था और वृद्ध हो गया था।

    उद्यान प्रशासन ने बताया की शशांक शेर पिछले एक माह से बीमार था। उसका उपचार उद्यान के पषु चिकित्सक डा. दिनेश कुमार व डा. ओपी साहू की देख-रेख में हो रहा था।

    रांची के पशु चिकित्सा महाविद्यालय के विषेज्ञ चिकित्सक डा. अभिषेक कुमार ने भी जांच व उपचार किया था। गुरुवार  दोपहर 12.30 बजे के करीब उसकी मौत हो गई। शशांक की मौत की जानकारी मिलते ही कर्मियों के साथ चिकित्सक व पदाधिकरी पहुंचे।

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    रांची पशु चिकित्सा महाविद्यालय पैथोलोजी विभाग के अध्यक्ष डा. एमके गुप्ता के नेतृत्व में उनके दल द्वारा शेर का अंत्यपरीक्षण किया गया। डा. गुप्ता ने मृत्यु का कारण पेट में कैंसर बताया है।

    Birsa Biological Parks गहन जांच के लिए मृतक शेर के शरीर के अंगों का सैंपल लेकर रांची पशु चिकित्सालय महाविद्यालय भेजा गया है। बताया गया कि हाइब्रिड नस्ल के वन्यजीवों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

    संक्रमण का भी खतरा हमेशा बना रहता है। इनकी औसत उम्र लगभग 15 से 16 वर्ष की होती है।

    मृत शेर के अंत्यपरीक्षण के दौरान जैविक उद्यान के पदाधिकारी, कर्मचारी एवं कर्मी भी उपस्थित थे। बाद में उद्यान कर्मियों द्वारा उद्यान के शव दाहगृह में शशांक को जला दिया गया।

    मौके पर निदेशक जब्बर सिंह, सहायक वन संरक्षक अशोक कुमार, वनक्षेत्र पदाधिकरी गायत्री देवी, जीव विज्ञानी पार्थ सारथी, विवेकानंद कुमार, वनरक्षी ललन कुमार, मुकेश कुमार, अमित कुमार थे।

    बंगलुरु जू से लाया गया था शेर शशांक

    शेर शशांक व शेरनी प्रियंका को वर्ष 2014 में बन्नरघटा चिड़ियाघर, बेंगलुरु से लाया गया था। प्रियंका की मौत पूर्व में हो चुकी है। एक दशक से जैविक उद्यान आने वाले पर्यटक अन्य जीवों के साथ शशांक शेर की दहाड़ सुन उद्यान भ्रमण का आनंद उठा रहे थे।

    शशांक की मौत पर उद्यान प्रशासन व कर्मियों में काफी निराशा है। कुछ दिन पूर्व नंदनवन चिड़ियाघर रायपुर छत्तीसगढ़ से लाए गए शेर अभय व शेरनी सबरी बचे हैं। 

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