Jharkhand सरकार के खिलाफ वित्तरहित शिक्षकों ने कर दिया बड़ा ऐलान, जानें विस्तार से
वित्तरहित शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने घोषणा की है कि राज्य सरकार द्वारा अनुदानित स्कूलों के लिए 75% अनुदान वृद्धि पर निर्णय लेने तक 600 स्कूल और इंटर कॉलेज 2025-26 का अनुदान प्रपत्र नहीं भरेंगे। यह निर्णय शिक्षकों की आर्थिक स्थिति और अनुदान प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण लिया गया है। सावित्रीबाई फुले बालिका समृद्धि योजना को रोकने से भी छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

अपने हक के लिए वित्तरहित शिक्षक संघर्ष मोर्चा लंबे समय से संघर्षरत है।
जागरण संवाददाता, रांची । वित्तरहित शिक्षक संघर्ष मोर्चा के सदस्यों के अध्यक्ष मंडल की बैठक धुर्वा में हुई। बैठक में सभी सदस्यों ने कहा कि जब तक राज्य सरकार वित्तरहित अनुदानित स्कूल, इंटर कालेज के 75 प्रतिशत अनुदान बढ़ोतरी के संलेख प्रस्ताव पर निर्णय नहीं लेगी, तब तक राज्य के 600 स्कूल इंटर कालेज वित्तीय वर्ष 2025-26 का अनुदान प्रपत्र नहीं भरेंगे।
यह निर्णय रविवार को हुई मोर्चा के अध्यक्ष मंडल की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। वक्ताओं ने कहा कि अनुदान प्रपत्र नहीं भरने का प्रस्ताव 18 नवंबर को प्राचार्य एवं प्रधानाचार्य तथा शिक्षक प्रतिनिधियों की बैठक में लिया गया था।
बैठक में 500 से अधिक स्कूल, इंटर कालेज के प्राचार्य, प्रधानाचार्य एवं प्रतिनिधि शामिल थे। रविवार को प्राचार्य एवं प्रधानाचार्य के प्रस्ताव पर अध्यक्ष मंडल ने मुहर लगा दी। बैठक में तय किया गया कि जब तक संलेख प्रस्ताव को मंत्री परिषद की बैठक में रखकर उस पर निर्णय नहीं होगा तब तक 195 इंटर कालेज, 334 उच्च विद्यालय, 40 संस्कृत विद्यालय एवं 46 मदरसा विद्यालय अनुदान प्रपत्र नहीं भरेंगे।
बता दें कि इन संस्थानों में तीन से चार लाख बच्चे अध्यनरत हैं। ये संस्थाएं विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक हैं और इसमें गरीब बच्चे पढ़ाई करते हैं। इंटर कालेज में 7000 से 8000 रुपये मासिक एवं उच्च विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों एवं मदरसा विद्यालयों के शिक्षकों को तीन हजार से 4000 रुपये मासिक मिलता है।
इतनी छोटी राशि से इस महंगाई में शिक्षक कैसे परिवार चलाएंगे। इसलिए मोर्चा ने निर्णय लिया है कि जब तक अनुदान बढ़ोतरी पर निर्णय नहीं होगा तब तक अनुदान के लिए आनलाइन प्रपत्र नहीं भरा जाएगा।
अनुदान भेजने की प्रक्रिया ऐसी है कि 10 से 15 प्रतिशत कार्यालयों एवं बिचौलिए में बंदरबांट हो जाती है
अध्यक्ष मंडल की बैठक में सदस्यों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा अनुदान भेजने की प्रक्रिया ऐसी कर दी गई है कि 10 से 15 प्रतिशत राशि जिला ट्रेजरी, डीईओ कार्यालय, आरडीडीई कार्यालय एवं बिचौलिए में बंदरबांट हो जाती है। मोर्चा के सदस्य हमेशा यह मामला उठा रहे हैं लेकिन विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
एक माह होने को है। अपीलीय आवेदन और 12 प्रतिशत बकाया राशि का पैसा अभी तक संस्थाओं को नहीं भेजा गया है। वित्तीय वर्ष 2017-18 के पहले अनुदान की राशि सीधे संस्थाओं के खाते में जाती थी और यह गड़बड़ी नहीं होती थी।
कार्मिक विभाग ने 17 मार्च 2025 को ही वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त कर नियमावली बनाकर वेतनमान देने का पत्र स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भेजा था। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। वक्ताओं ने कहा कि सावित्रीबाई फुले बालिका समृद्धि योजना जो प्रत्येक वर्ष अनुदानित संस्थाओं में पढ़ने वाले कक्षा 8 से 12 की छात्राओं को मिलता था ,इस वर्ष इसे भी रोक दिया गया है।
इससे एक लाख से अधिक बालिकाओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। अध्यक्ष मंडल की बैठक में कुंदन कुमार सिंह, रघुनाथ सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कदीर अहमद, चंदेश्वर पाठक, डा. देवनाथ सिंह, अरविंद सिंह, डालेश चौधरी, मनीष कुमार, मनोज तिर्की, पशुपति महतो, विनय उरांव, रेशमा बैक, मुरारी प्रसाद सिंह, नरोत्तम सिंह, संजय कुमार, रघु विश्वकर्मा एवं रंजीत मिश्रा उपस्थित रहे।

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