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    CGL पेपर लीक मामले में बड़ा अपडेट, विस्तार से जानिए- सरकार के आवेदन पर कोर्ट ने कहा ...

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 07:21 PM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट ने जेएसएससी सीजीएल परीक्षा पेपर लीक मामले की अब तक की जांच पर नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि जांच का स्तर संतोषजनक नहीं है। अदालत ने सरकार को सही तरीके से जांच कर 15 अक्टूबर तक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस दौरान अदालत ने सीजीएल परीक्षा परिणाम पर जारी रोक को बरकरार रखा।

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    सीजीएल पेपर लीक मामले में परिणाम जारी करने पर रोक बरकरार है।

    राज्य ब्यूरो, रांची । झारखंड हाई कोर्ट ने जेएसएससी सीजीएल परीक्षा पेपर लीक मामले की अब तक की जांच पर नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि जांच का स्तर संतोषजनक नहीं है।

    अदालत ने सरकार को सही तरीके से जांच कर 15 अक्टूबर तक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस दौरान अदालत ने सीजीएल परीक्षा परिणाम पर जारी रोक को बरकरार रखा।

    परिणाम पर अभी रोक हटाना उचित नहीं

    अदालत ने कहा कि अभी रोक हटाना उचित नहीं है। हालांकि अदालत ने परीक्षा परिमाण जारी करने पर लगी रोक हटाने के सरकार के आवेदन पर अगली तिथि को सुनवाई करने की बात कही।

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    अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अपराजिता भारद्वाज ने अब तक की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस संबंध में संतोष मस्ताना ने पेपर लीक होने की बात डीएसपी को बताई थी।

    लेकिन उससे मिली जानकारी के बाद आगे की जांच नहीं की गई। जबकि फारेंसिक जांच में मोबाइल से छेड़छाड़ नहीं होने की बात कही गई है। कोर्ट ने सवाल उठाया कि अब तक उससे गंभीरता से पूछताछ क्यों नहीं हुई।

    कोर्ट ने कहा कि यदि वह व्यक्ति कह रहा है कि उसे उम्मीदवारों से फोन आया था तो यह पूछना जरूरी था कि किस उम्मीदवार ने फोन किया और उसका नाम क्या है।

    मिले तथ्यों से पेपर लीक की पुष्टि नहीं होती : जेएसएससी

    लेकिन जांच में इस तरह की गहराई नहीं दिखाई गई। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जांच उसी ढंग से होनी चाहिए जैसी अपेक्षित है। सरकार और जेएसएससी की ओर से अदालत को बताया गया कि अब तक मिले तथ्यों से पेपर लीक की पुष्टि नहीं होती है।

    प्रस्तुत साक्ष्य में केवल फटे हुए प्रश्नपत्र के अंश या हाथ पर लिखे कुछ प्रश्न मिले हैं। इस मामले में अभ्यर्थियों से धोखाधड़ी की गई है, उन्हें नेपाल सहित अन्य जगहों पर पेपर के आंसर रटाने के लिए पैसे की वसूली की गई है।

    परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन और अमृतांश वत्स ने सुप्रीम कोर्ट के नीट परीक्षा से जुड़े आदेश का हवाला देते हुए कहा कि इतने लंबे समय तक परिणाम रोकना उचित नहीं है।

    नियुक्ति को ले अभ्यर्थी अब भी असमंजस में

    उन्होंने आग्रह किया कि परीक्षा परिणाम जारी करने पर रोक हटाई जाए। हाई कोर्ट इसकी जांच अपनी निगरानी में कराए और परिणाम कोर्ट के अंतिम आदेश से प्रभावित होने की शर्त भी लगा सकती है। क्योंकि परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी अभी भी असमंजस में हैं कि उनकी नियुक्ति हो पाएगी या नहीं।

    प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अपराजिता भारद्वाज ने इसका विरोध करते हुए कहा कि परीक्षा में पेपर लीक की घटना हुई है और इसकी गहन जांच जरूरी है।

    उन्होंने आरोप लगाया कि जांच को जानबूझकर प्रभावित किया जा रहा है। अदालत को उन्होंने प्रमाण स्वरूप ऐसे प्रश्न दिखाए जो कथित लीक पेपर और वास्तविक प्रश्नपत्र दोनों में मौजूद थे।

    उन्होंने कहा कि पूरे मामले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए। बता दें कि सीजीएल-2023 परीक्षा पहली बार 28 जनवरी 2024 को हुई थी।

    पेपर लीक की शिकायत के बाद इसे निरस्त कर दिया गया और एसआइटी का गठन हुआ। इसके बाद दोबारा 21 और 22 सितंबर 2024 को परीक्षा कराई गई, लेकिन उसमें भी पेपर लीक की बात सामने आई। इसको लेकर प्रकाश व अन्य की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है।