झारखंड शराब घोटाला में बड़ा खुलासा, छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार मनीष मिश्रा ने टेंडर में कमीशन दिए 2.5 करोड़ रुपये
झारखंड के शराब घोटाले के तार छत्तीसगढ़ से जुड़े हैं। दोनों राज्यों में आगे बढ़ रही जांच के दौरान इसकी परतें खुल रही हैं। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो छत्तीसगढ़ के एक केस में मनी लांड्रिंग के तहत ईडी की जांच तो चल ही रही है वहीं छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच ने भी रफ्तार पकड़ ली है।

दिलीप कुमार, रांची। झारखंड के शराब घोटाले के तार छत्तीसगढ़ से जुड़े हैं। दोनों राज्यों में आगे बढ़ रही जांच के दौरान इसकी परतें खुल रही हैं।
राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो, छत्तीसगढ़ के एक केस में मनी लांड्रिंग के तहत ईडी की जांच तो चल ही रही है, वहीं छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच ने भी रफ्तार पकड़ ली है।
वहां की राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो सह एसीबी छत्तीसगढ़ ने हाल ही में पूरे प्रकरण में पांचवां अनुपूरक आरोपपत्र दाखिल कर छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की तह तो खोली ही, झारखंड के मामले को भी छूआ है।
छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू ने 20 जुलाई को वहां के उत्पाद विभाग के आडिटर रहे चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय मिश्रा व उनके भाई नेक्सजेन पावर इंजीटेक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनीष मिश्रा को गिरफ्तार किया था। मनीष मिश्रा के उस बयान को भी लगाया है।
इसमें उसने बताया है कि झारखंड में उत्पाद टेंडर हासिल करने के लिए उसकी कंपनी ने ढाई करोड़ रुपये कमीशन के रूप में खर्च किए थे।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का पूरा सिंडिकेट तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे के कार्यकाल में लागू उत्पाद नीति में भी सक्रिय था।
इसका हिस्सा छत्तीसगढ़ की शराब आपूर्ति कंपनी मेसर्स ओम साईं बेवरेजेज के दो निदेशक मुकेश मनचंदा व अतुल सिंह भी थे।
झारखंड एसीबी के हाथों गिरफ्तारी के बाद दोनों को रिमांड पर लेकर छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू रायपुर पहुंच चुकी है। झारखंड में एसीबी जहां शराब घोटाले की जांच में रेस है।
घोटाले की तह तक पहुंचने के लिए दोनों से होगी पूछताछ
वहीं छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3,200 करोड़ के शराब घोटाला में छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने जांच तेज कर दी है।
रांची की जेल में बंद ओम साईं बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा को छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू ट्रांजिट रिमांड पर लेकर रायपुर पहुंची है।
शुक्रवार को दोनों को रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया गया। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा को आठ दिनों (पांच सितंबर तक) की रिमांड पर भेजने का आदेश सुनाया।
केस की जांच कर रहे विवेचना अधिकारी अब घोटाले की तह तक पहुंचने के लिए दोनों आरोपितों से पूछताछ करेंगे। विवेचना अधिकारियों के अनुसार आने वाले दिनों में इस केस से संबंध रखने वाले और भी आरोपितों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा सकती है।
झारखंड में सक्रिय शराब माफिया छत्तीसगढ़ में भी आरोपित
झारखंड में सक्रिय शराब माफिया का सिंडिकेट छत्तीसगढ़ में भी सक्रिय रहा है। इसी सिंडिकेट ने झारखंड सरकार का करीब 450 करोड़ रुपये दबाया है, जिसकी वापसी के लिए झारखंड सरकार कानूनी लड़ाई लड़ रही है।
इन्हीं सिंडिकेट का हिस्सा वहां की दो शराब आपूर्ति कंपनियां भी थीं, जिनमें मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स ओम साईं बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड भी थी, जिन्हें वर्ष 2022 में शराब आपूर्ति का ठेका मिला था।
दोनों शराब आपूर्ति कंपनियों को गत वर्ष नवंबर 2024 में तत्कालीन आयुक्त उत्पाद अमित प्रकाश ने 11 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया था।
इन कंपनियों में मेसर्स ओम साईं बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड के दो निदेशकों मुकेश मनचंदा व अतुल सिंह को झारखंड एसीबी ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था, तत्कालीन आयुक्त उत्पाद अमित प्रकाश भी जेल भेजे गए थे। हालांकि, सभी वर्तमान में जमानत पर हैं।
मामला फंसा तो छत्तीसगढ़ के पार्टनर का भी भुगतान रोका
छत्तीसगढ़ में दाखिल आरोपपत्र में वहां की ईओब्ल्यू ने कोर्ट को बताया है कि मुकेश मनचंदा व अतुल सिंह की शराब आपूर्ति कंपनी ओम साईं बेवरेजेज में विजय भाटिया नामक व्यक्ति भी 52 प्रतिशत का हिस्सेदार था।
वित्तीय वर्ष 2020-21 से जुलाई 2022 तक विजय भाटिया को उसका हिस्सा मिलता रहा। उस वर्ष अक्टूबर-नवंबर में भुगतान रुक गया। उसके हिस्से की राशि मुकेश मनचंदा व अतुल ने जारी नहीं की।
इसका कारण दोनों ने बताया था कि उनकी कंपनी ओम साईं बेवरेजेज को झारखंड राज्य में विदेशी शराब आपूर्ति का टेंडर मिला था।
झारखंड में उनका भुगतान अटक गया, जिसके चलते वे अपने पार्टनर विजय भाटिया का भी भुगतान रोक दिए थे। इसके लिए विजय भाटिया को पुलिस का सहारा लेना पड़ा था।
शराब घोटाले के मास्टरमाइंड अनवर ढेबर के सहयोगी हैं सभी
झारखंड में सक्रिय शराब माफिया छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले के मास्टरमाइंड अनवर ढेबर के सहयोगी हैं। झारखंड में मैनपावर आपूर्ति करने वाली एजेंसी सुमित फैसिलिटिज के वर्किंग पार्टनर के तौर पर काम कर रहे विकास अग्रवाल उर्फ सिब्बू भी अनवर ढेबर का विश्वास पात्र था।
छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू के चार्जशीट में भी इसका जिक्र है। इसी ग्रुप का हिस्सा सिद्धार्थ सिंघानिया, मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी का विधु गुप्ता भी था। सिद्धार्थ सिंघानिया व विधु गुप्ता को झारखंड एसीबी ने भी गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
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