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    बड़ी साजिश थी बच्चा चोरी अफवाह की आड़ में खून-खराबा

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Fri, 02 Jun 2017 04:54 PM (IST)

    बच्चा चोरी की अफवाह फैलाकर एक ही दिन सात लोगों को मार गिराना राज्य सरकार के खिलाफ एक बड़ी साजिश थी।

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    बड़ी साजिश थी बच्चा चोरी अफवाह की आड़ में खून-खराबा

    प्रदीप सिंह, रांची। जमशेदपुर के बागबेड़ा और सरायकेला-खरसावां के राजनगर में बच्चा चोरी की अफवाह फैलाकर एक ही दिन सात लोगों को मार गिराना राज्य सरकार के खिलाफ एक बड़ी साजिश थी। चंद लोगों ने इसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया, ताकि भावनाएं भड़काकर राज्य में अराजकता का माहौल बनाया जाए। उनका मकसद सरकार को पूरी तरह से असफल करार देकर अस्थिर करने का था।

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    बागबेड़ा और राजनगर में उन्हें शुरुआती सफलता भी मिली, लेकिन पुलिस-प्रशासन की सतर्कता और सरकार के तत्काल सक्रिय होने से स्थिति नियंत्रित हो गई। राज्य सरकार को विशेष शाखा की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में इसका सिलसिलेवार जिक्र किया गया है। रिपोर्ट का मजमून यह है कि ईसाई मिशनरियों द्वारा समर्थित तथाकथित आदिवासी संगठनों के चंद स्थानीय नेता घृणा की इस साजिश के पीछे हैं। उन्होंने अपने भरोसेमंद लोगों के जरिए इस योजना को लागू किया। इसके लिए क्षेत्र में जमीन देखने आने वाले गैर-आदिवासियों पर हमला करने की रणनीति बनाई गई।

    विश्र्वस्त और प्रशिक्षित दो-चार लोगों के माध्यम से इस पूरी कार्रवाई को अंजाम देना तय किया गया। इसके तहत ही इलाके में बाहर से आने वाले लोगों के बच्चा चोर होने की अफवाह फैलाकर उनका सेंदरा (शिकार) करने का फैसला किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक जमीन संबंधी कानून सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन की कोशिश के बाद यह धड़ा ज्यादा तेजी से सक्रिय हुआ है।

    इसे आदिवासी विरोधी बता कर अलग-अलग स्थानों पर हुई इनकी बैठकों में लोगों से यहां तक आह्वान किया गया कि वे अपने इलाके में किसी को बसने तो क्या, घुसने तक नहीं दें। बकायदा पर्चा बांटकर इसकी चेतावनी दी जा रही है। बड़े पैमाने पर सुदूर इलाकों में पत्थरों पर ऐसे पैगाम लिखे गए हैं और इसे अधिकारों से जोड़ते हुए तीव्र कार्रवाई की अपील की गई है।

    गोपनीय बैठकों में हिंसा की साजिश पर मुहर

    खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक बीते 12 अप्रैल को जमशेदपुर के करनडीह जाहेरथान में ईसाई मिशनरी समर्थित आदिवासी संगठनों की बैठक हुई थी। आयोजन आदिवासी महासभा के स्वयंभू प्रमुख विजय कुजूर और जमशेदपुर आदिवासी महासभा प्रमुख दशमत हांसदा ने किया था। इसमें सिर्फ दिखावे के लिए दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम की मौजूदगी में आठ मई को दलमा वन प्रक्षेत्र में शिकार की घोषणा की गई। इसी बैठक में यह रणनीति तैयार हुई थी कि आदिवासी गांवों में जमीन की खरीद-बिक्री करने आने वाले या जमीन देखने आने वाले गैर-आदिवासियों को देखते ही बच्चा चोरी की अफवाह में सेंदरा (शिकार) कर दिया जाए।

    सभी जगह भेजे संदेश

    इस संदेश को जमशेदपुर-सरायकेला के साथ-साथ रांची के तमाड़, बुंडू, नामकुम, ओरमांझी और पिठौरिया में संगठन से जुड़े लोगों तक भेजा गया। तमाड़ में भी दो-तीन दिन पहले ऐसी अफवाह फैलाकर कुछ लोगों को जख्मी कर दिया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक इस रणनीति से सभी आदिवासी क्षेत्रों के लोग वाकिफ नहीं हैं लेकिन दिन या रात में एकाएक बच्चा चोरी की अफवाह फैलने पर ये ग्रामीण संगठित होकर लोगों पर टूट रहे हैं। ऐसे में सेंदरा अभियान सफल हो रहा है।

    विजय-बबीता करा रहे पत्थलगड़ी

    रिपोर्ट में जिक्र है कि आदिवासी महासभा के स्वयंभू प्रमुख विजय कुजूर और उनकी सहकर्मी बबीता कच्छप जमशेदपुर, सरायकेला-खरसावां, गुमला और रांची में पत्थर गाड़ने का अभियान चला रहे हैं। पत्थलगड़ी (शिलालेख) के माध्यम से भोले-भाले आदिवासियों को भड़काया जा रहा है। इसमें यह लिखा जा रहा है कि संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत आने वाले जिलों में कोई कानून लागू नहीं होता। कलेक्टर और पुलिस की गाड़ी भी यहां नहीं आ सकती। सोशल मीडिया का भी भावनाओं को भड़काने में सहारा लिया जा रहा है।

    रिपोर्ट में राज्य सरकार को नसीहत भी

    सीएनटी-एसपीटी संशोधन के खिलाफ गलत प्रचार रोकने की हिदायत। जनप्रतिनिधियों की लें मदद।

    - आदिवासी गांवों में पत्थलगड़ी कर गुमराह करने वालों के खिलाफ हो कानूनी कार्रवाई।

    - थाना जमीन के गलत हस्तांतरण का मामला नहीं उलझाए। अगर आदिवासी हितों का उल्लंघन हुआ है तो तुरंत कार्रवाई हो।

    - गुमशुदगी का मामला आए तो तत्काल दर्ज करें मामला। 

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