Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चौकीदार नियुक्ति में आया बड़ा फैसला, अब बीट स्तर पर नहीं बल्कि जिला स्तर पर होगी बहाली

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 11:24 PM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट ने चौकीदार नियुक्ति में स्पष्ट किया है कि ग्रामीण चौकीदारों की नियुक्ति बीट स्तर पर नहीं बल्कि जिला स्तर पर होगी। कोर्ट ने कहा कि चौकीदारों को सामान्यत उनके निवास वाले बीट क्षेत्र में पदस्थापित किया जाना चाहिए लेकिन यदि उचित कारण हो तो उन्हें अन्य बीट क्षेत्र में भी पोस्टिंग या स्थानांतरण किया जा सकता है।

    Hero Image
    चौकीदारों की नियुक्ति अब बीट स्तर पर नहीं, बल्कि जिला स्तर पर होगी ।

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने चौकीदार नियुक्ति से संबंधित मामले में स्पष्ट किया है कि ग्रामीण चौकीदारों की नियुक्ति बीट स्तर पर नहीं, बल्कि जिला स्तर पर होगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोर्ट ने कहा कि चौकीदारों को सामान्यत: उनके निवास वाले बीट क्षेत्र में पदस्थापित किया जाना चाहिए, लेकिन यदि उचित कारण हो तो उन्हें अन्य बीट क्षेत्र में भी पोस्टिंग या स्थानांतरण किया जा सकता है।

    अदालत ने उक्त फैसला कोडरमा उपायुक्त की ओर से शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनाया। अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।

    आरक्षण रोस्टर भी जिला स्तर पर लागू होगा

    कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि झारखंड चौकीदार कैडर नियमावली 2015 के अनुसार सभी नियुक्तियां जिला स्तर पर ही होंगी और आरक्षण रोस्टर भी जिला स्तर पर लागू होगा।

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नियमों में अंकित यथासंभव और सामान्यत: जैसे शब्द इस बात का संकेत हैं कि बीट स्तर पर पोस्टिंग करना कोई बाध्यता नहीं है, बल्कि यह केवल निर्देशात्मक प्रावधान है।

    इस संबंध में एक दर्जन से अधिक याचिकाएं दाखिल की गईं थीं। प्रार्थियों का कहना था कि विज्ञापन के अनुसार भर्ती बीटवार होनी चाहिए और केवल संबंधित बीट का निवासी ही वहां नियुक्त हो सकता है।

    चयन प्राधिकरण को कट-आफ तय करने का अधिकार

    अदालत ने इसको खारिज करते हुए कहा कि यदि भर्ती बीटवार की जाए तो आरक्षण नीति लागू करना संभव नहीं रह जाएगा।

    भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक और आपत्ति लिखित परीक्षा में न्यूनतम 30 प्रतिशत अंक को लेकर थी। प्रार्थियों का कहना था कि 30 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले सभी अभ्यर्थियों को शारीरिक परीक्षा के लिए बुलाया जाना चाहिए।

    लेकिन कोर्ट ने कहा कि चयन प्राधिकरण को कट-आफ तय करने का अधिकार है। इस मामले में 80 प्रतिशत अंक पाने वालों को ही शारीरिक परीक्षा के लिए बुलाया गया था और इसमें कोई अनियमितता नहीं है।