बालू घाटों की नीलामी पर आया बड़ा फैसला, झारखंड हाई कोर्ट ने लगाई रोक, इसके पीछे के कारणों को जानें...
झारखंड में बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया पर झारखंड हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। अदालत ने यह आदेश पेसा (PESA) एक्ट को लागू न किए जाने के संदर्भ में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में जवाब तलब किया है।

राज्य ब्यूरो, रांची । झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में अदालत के आदेश के बाद भी पेसा नियमावली लागू नहीं किए जाने को लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने अगले आदेश तक राज्य में बालू घाटों की नीलामी पर रोक लगा दी है। अदालत ने इस मामले में सरकार से प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी। इससे पहले प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत को बताया कि सरकार जानबूझ कर पेसा कानून लागू करने में देरी कर रही है।
लघु खनिज की नीलामी में ग्रामसभा की अनुमति जरूरी
पेसा एक्ट के तहत लघु खनिज की नीलामी में ग्रामसभा की अनुमति जरूरी है। उनको दूर रखने के लिए बिलंब किया जा रहा है। सरकार की ओर से राज्य के 440 बालू घाटों की नीलामी की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
यह पेसा एक्ट का उल्लंघन है। इसलिए नीलामी पर रोक लगाई जानी चाहिए। इसके बाद अदालत ने बालू घाटों की नीलामी पर रोक लगा दी।
सुनवाई के दौरान अदालत के आदेश पर पंचायती राज सचिव मनोज कुमार अदालत में उपस्थित हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि 17 विभागों से मंतव्य मांगा गया है, जिनमें से सात विभागों से जवाब प्राप्त हो चुका है।
हालांकि विधि और वित्त विभाग से मंतव्य अब तक नहीं मिला है, जबकि यह सबसे आवश्यक हैं। सचिव ने कहा कि दोनों विभागों का मंतव्य मिलते ही प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा जाएगा और स्वीकृति मिलते ही नियमावली लागू कर दी जाएगी।
अदालत ने सचिव से पूछा कि आदेश के बावजूद प्रक्रिया में इतनी देरी क्यों हो रही है। सचिव ने बताया कि लगातार बैठकें की जा रही हैं और प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। अदालत ने उन्हें समय देते हुए अगली सुनवाई 23 सितंबर को निर्धारित की है।
कोर्ट ने दो माह में पेसा एक्ट लागू करने का निर्देश दिया था
हाई कोर्ट ने जुलाई 2024 में ही कई जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए सरकार को दो माह में नियमावली बना कर पेसा एक्ट लागू करने का निर्देश दिया था।
लेकिन सरकार ने अब तक इसका पालन नहीं किया है। इसको लेकर आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से अवमानना याचिका दाखिल की गई है। अदालत को बताया गया कि राज्य को बने 25 साल होने जा रहे हैं।
आदिवासियों के हितों और उनके उत्थान के लिए राज्य का गठन किया गया था, लेकिन अब तक सरकार पेसा एक्ट की नियमावली नहीं बना सकी। जैसे- तैसे राज्य में काम हो रहा है।
जबकि पेसा एक्ट 1996 में ही बना था। सरकार की ओर से बताया गया था कि नियमावली लागू करने की प्रक्रिया जारी है। इसपर काम हो रहा है।
राज्य में पंचायती राज अधिनियम और दूसरे एक्ट के माध्यम से पेसा एक्ट के प्रविधानों को लागू किया गया है। संविधान में मिले अधिकारों के तहत ही राज्य राज्य सरकार ने ऐसा किया है।

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