Hemant Cabinet: हेमंत कैबिनेट का विवि को लेकर बड़ा फैसाला, सरकार और राजभवन में बढ़ सकता है टकराव
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई गुरुवार को झारखंड कैबिनेट की बैठक में झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 को भी स्वीकृति दी गई है जिसमें विश्वविद्यालयों में होने वाली नियुक्तियों में राज्यपाल के अधिकारों को सीमित किया गया है। इस निर्णय से राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है और राज्यपाल बनाम सरकार के बीच टकराव की आशंका बढ़ी है।

मृत्युंजय पाठक, रांची । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई गुरुवार को झारखंड कैबिनेट की बैठक में झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 को भी स्वीकृति दी गई है, जिसमें विश्वविद्यालयों में होने वाली नियुक्तियों में राज्यपाल के अधिकारों को सीमित किया गया है।
इसके लागू होने के बाद, राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपति, प्रतिकुलपति और वित्तीय सलाहकार की नियुक्ति का अधिकार भी राज्यपाल के बजाय राज्य सरकार के पास होगा। इस निर्णय से राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है और राज्यपाल बनाम सरकार के बीच टकराव की आशंका बढ़ी है।
बताया जा रहा है कि सरकार ने यह कदम विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता बढ़ाने, पारदर्शिता लाने और प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया है।
वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले से खींचतान बढ़ सकती है। अन्य राज्यों में भी ऐसे फैसलों की परिणति विवाद के रूप में ही देखी गई है।
बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में भी राज्य सरकारों ने विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति से राज्यपाल की भूमिका को खत्म करने या सीमित करने के लिए विधेयक पारित किए हैं।
इन मामलों में टकराव इतना बढ़ा कि विवाद अदालतों तक पहुंच गए। अभी भी कानूनी लड़ाई जारी है।
संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि राज्यपाल का कुलाधिपति के रूप में कार्य करना एक वैधानिक जिम्मेदारी है, न कि संवैधानिक।
ऐसे में राज्य सरकारें कानून बनाकर इस भूमिका को बदल सकती हैं। हालांकि, राज्यपाल यदि चाहें, तो ऐसे विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं, जिससे मामला लंबा खिंच सकता है। झारखंड में भी इस बदलाव को लेकर स्थिति अब टकराव की ओर बढ़ती नजर आ रही है।
राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 विधानसभा में पारित होने के बाद अगर राज्यपाल इस फैसले को मंजूरी नहीं देंगे, तो यह मुद्दा कानूनी और राजनीतिक विवाद का कारण बन सकता है। अब देखना यह है कि राज्यपाल की प्रतिक्रिया क्या होती है और यह फैसला किस दिशा में आगे बढ़ता है।
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