फायदे का कारोबारः तरबूज की खेती से लाल हो रहे किसानों के चेहरे
जो जमीन दो-चार साल पहले बंजर रह जाती थी , वही जमीन आज आर्थिक सफलता की कुंजी बन गई है।

रांची, [प्रमोद सिंह] । गर्मी के मौसम में जब पीने के पानी का भी संकट हो तो खेतों की बात कौन कहे। नदी, नाले भी सूख चुके हों ऐसे में कई एकड़ में फैली हरियाली दिख जाए तो आंखों के साथ-साथ मन को भी सुकून मिलना स्वाभाविक है।
रांची के ओरमांझी केउकरीद मोड़ आकर देखिए, आपको दूर-दूर तक कई एकड़ में फैली हरियाली दिखेगी। इस हरियाली के पीछे छिपी है कड़ी मेहनत और पक्का इरादा। हरियाली के बीच फैला हुआ है हजारों तरबूज। तरबूज की खेती का आलम यह है कि यहां और भी खेतों में इसकी फसल लहलहा रही है। फायदे का कारोबार हो गया है।
यहां लगभग चार एकड़ में विद्यासागर तरबूज की खेती कर रहे हैं। यह जमीन विद्यासागर ने 15 साल के लिए लीज पर ली है। साथ देता है इनका छोटा भाई कृष्णा। दोनों भाई जान गए हैं कि इलाके में आर्थिक रूप से मजबूत होने का इससे अच्छा विकल्प दूसरा नहीं है। कृष्णा, बीकॉम कर रहा है, कहता है खेती ही करूंगा, नौकरी नहीं।
विद्यासागर ने बताया कि इस चार एकड़ में खेती लगाने में करीब तीन लाख रुपये का खर्च आया है। कमाई के बारे में कहते हैं कि 45 दिनों में फल तैयार हो जाता है। उम्मीद है कि लगभग पांच लाख का फल तो बेच ही लेंगे। बाजार के बारे में पूछने पर कहते हैं कि खेत पर से ही फल विक्रेता खरीद कर ले जाते हैं। इन खेतों में सालों भर कुछ न कुछ लगा रहता है चाहे तरबूज हो या हरी सब्जी या कुछ और। पूरा परिवार इसी में लगा रहता है। इनकी मेहनत से खेत के साथ-साथ पूरा परिवार भी गुलजार है।आत्मनिर्भर है।
वैज्ञानिक तरीके से पूरे साल उगाते हैं फल और सब्जी:
दोनों भाई सिर्फ तरबूज की खेती ही नहीं करते हैं, बल्कि वहां पर इन्होंने बोरिंग करा ली है। खेतों में डिप इरिगेशन सिस्टम लगा हुआ है। इससे पानी के साथ-साथ कीटनाशक दवाएं भी फसल की जड़ में पहुंच जाती हैं। तरबूज के बाद वहां पर ये फूलगोभी लगाएंगे और फिर मटर व टमाटर लगाते हैं। अब खेती करना इनकी आदत में शुमार हो गया है। दोनों भाई कहते हैं कि अब सुबह और शाम खेतों में आकर काम नहीं कर लेते हैं तो मन नहीं लगता है।
पढ़े-लिखे युवा अपना रहे खेती:
इनकी खेती देखकर काफी लोग सब्जी और फल की खेती में हाथ आजमाने लगे हैं। ओरमांझी क्षेत्र में उकरीद के आसपास के अलावा डैम किनारे भी कई एकड़ में तरबूज और अन्य सब्जियों की खेती देखने को मिल जाएगी। महत्वपूर्ण यह कि खेती को पढ़े-लिखे युवा अपना रहे हैं।
निश्चित रूप से ये खेती को अलग तरीके से करते हैं। दूसरे प्रदेश में जाकर यहां के युवा वैज्ञानिक खेती के गुर सीखकर आते हैं और अपने खेतों में आजमाते हैं। दर्जन भर से ज्यादा युवा ओरमांझी में ही डैम किनारे और आसपास में खेती में अपना हाथ आजमा रहे हैं।
उन्हें सफलता भी मिल रही है। इन्होंने जमीन लीज पर ले रखी है। जो जमीन दो-चार साल पहले बंजर रह जाती थी और जमीन मालिक पैसे के अभाव में कुछ नहीं कर पा रहे थे, वही जमीन आज आर्थिक सफलता की कुंजी बन गई है।

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