Jharkhand News: जरा संभलिए, यहां हर कदम पर है खतरा, रिम्स भवन की हालत पर निदेशक गंभीर
RIM रिम्स अस्पताल भवन की दयनीय स्थिति पर निदेशक ने चिंता जताई है। निदेशक ने स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण विभाग व अपर मुख्य सचिव को भवन की जर्जर स्थिति पर पत्र लिखा है। बताया है कि भवन की दीवार में दरारें आ चुकी हैं। बारिश में छत से पानी टपकता है । कई जगहों पर दीवार के प्लास्टर झड़ चुके है। बेसमेंट में पानी भर रहा है।

जयंती कच्छप,रांची। RIM रिम्स अस्पताल भवन की स्थिति दयनीय हो गई है। इस पर निदेशक ने चिंता जताई है। निदेशक ने स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण विभाग व अपर मुख्य सचिव को भवन की जर्जर स्थिति पर पत्र लिखा है।
उन्होंने पुराने भवन की स्थिति बताते हुए कहा कि भवन की दीवार में दरारें आ चुकी हैं। विगत दिनों हुई भारी बारिश से छत से पानी टपक रहा था। कई जगहों पर दीवार के प्लास्टर झड़ चुके है। बेसमेंट में पानी भर रहा है।
बरसात के मौसम में भवन की स्थिति और भी गंभीर हो गई है। भवन की स्थिति इतनी खराब है कि पीलर, छज्जा , दीवार किसी भी समय टूट कर गिर सकते हैं। इससे कर्मचारियों व मरीजों की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि 23 जून को न्यूरोसर्जरी ओटी (आपरेशन थिएटर) के पास प्लास्टर टूट कर गिर गया था। कई मरीज की बाल- बाल बचे थे। निदेशक ने पूरे अस्पताल भवन के जीर्णोद्धार की प्रशासनिक स्वीकृति और इंडोर का जीर्णोद्धार कराने की मांग की है।
रिम्स राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है, जहां रोजाना हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा भगवान भरोसे है। अस्पताल के पुराने भवन के कई हिस्से टूटे हैं तो कई टूट कर गिर गए हैं।
महिला वार्ड में बारिश के दिनों में आए दिन पानी भर जाता है। बेसमेंट में पानी भरने के कारण कई बीमारियां अस्पताल परिसर में ही जन्म ले रही हैं।
जगह जगह पर फ्लोर टूटे हैं। इससे जल्दबाजी में पहुंच रहे मरीजों के परिजनों के गिरने का खतरा है। सीढ़ियों की रेलिंग जंग लगकर खराब हो गई है। रेलिंग के सहारे चार तल्ले पर चढ़ना भयावह है।
मरीजों की जांच फोटोकापी पर निर्भर
रिम्स में मरीजों की जांच फोटोकापी पर निर्भर है, अगर डाक्टर की लिखी पर्ची की फोटोकापी नहीं करा पाए तो जांच नहीं हो पाएगी। रिम्स में जब ई-हास्पिटल शुरू की गई है उसके बाद भी आज मरीजों को पर्ची की फोटोकापी के लिए बाहर दुकानों तक दौड़ लगानी पड़ती है।
इसमें समय तो बर्बाद होता ही है, साथ ही गंभीर मरीजों को जांच कराने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। ट्रामा सेंटर से लेकर इंडोर में भर्ती मरीजों तक को फोटोकापी के लिए बाहर दौड़ लगानी ही पड़ रही है।
जरूरी जांच जिसमें देर नहीं करने की सलाह दी जाती है उसमें भी इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे जांच में सिटी स्कैन जांच के लिए भी मरीजों को पर्ची की पहले फोटोकापी करानी पड़ती है उसके बाद ही रसीद काटी जाती है।
परेशानी तो रात में बढ़ जाती है जब बाहर की दुकाने बंद रहती हैं। ऐसे में कभी काउंटर में ही फोटोकापी कर मदद कर दी जाती है तो कभी मरीजों को भटकना पड़ता है।
हर दिन करीब चार हजार फोटोकापी हो रही जमा
सैंट्रल लैब हो या रेडियाेलाजी जांच, सभी जगहों पर मरीजों को डाक्टर द्वारा लिखी गई पर्ची की फोटोकापी जमा कर जांच करनी पड़ती है। हर दिन करीब 4000 फोटोकापी रिम्स में जमा होती है।
कभी-कभी तो यह आंकड़ा 5000 भी पार कर जाता है। सोमवार को रिम्स सेंट्रल लैब में 6000 सैंपलों की रिकार्ड जांच की गई। इसमें कई जांच अलग-अलग विभागों की थी, जिसके लिए करीब 5000 फोटोकापी के पेपर जमा किए गए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।