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    सीएसआर फंडों का हो रहा दुरुपयोग, वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा- इस पर निगरानी जरूरी

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 01:39 PM (IST)

    राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने राज्य में सीएसआर फंड के दुरुपयोग पर गंभीर आपत्ति जताई है। कहा कि बैंक प्रत्येक जिले के एक पिछड़े गांव को गोद ले और शिक्षा जलापूर्ति पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में सीएसआर फंड खर्च करें। उन्होंने सरकारी और सीएसआर फंड के दोहरे खर्च को फिजूलखर्ची बताया।

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    सीएसआर फंड के दुरुपयोग पर वित्त मंत्री ने चिंता जताई है।

    राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य सरकार के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने राज्य में कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड के दुरुपयोग पर गंभीर आपत्ति जताई है। इस पर निगरानी की जरूरत बताई। 

    मुख्य सचिव को लिखे पत्र में उन्होंने बताया कि बैंक सीएसआर फंड का उपयोग तुच्छ कार्यों में कर रहा है।धनबाद समाहरणालय में तीन एलईडी स्क्रीन, धनबाद पुलिस लाइन में 200 सिलिंग फैन और चतरा के डीआरडीओ कार्यालय में वाटर कूलर व आरओ प्यूरिफायर लगाने में फंड का उपयोग हो रहा है।

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    कुछ बैंक तो सिर्फ डेढ़-दो लाख रुपये के स्कूल बैग वितरण तक सीमित हैं, जो शिक्षा, कुपोषण या गरीबी उन्मूलन जैसे लक्ष्यों को पूरा नहीं करता। राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि सीएसआर फंड का उपयोग महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण संरक्षण, ग्रामीण विकास और आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में होना चाहिए।

    लेकिन 2022-23 में बैंकों द्वारा 2,000 रुपये के फूड पैकेट और 22,000 रुपये के शाल वितरण जैसे कार्यों से ये उद्देश्य पूरे नहीं होते। एचडीएफसी बैंक ने 2022-23 और 2023-24 में 148.16 करोड़ रुपये के सीएसआर खर्च का दावा किया, लेकिन ग्रामीण विकास में इसका उपयोग स्पष्ट नहीं है, जिसकी जांच जरूरी है।

    पारदर्शी उपयोग के लिए प्रस्ताव

    मंत्री ने सुझाव दिया कि बैंक प्रत्येक जिले के एक पिछड़े गांव को गोद लें और शिक्षा, जलापूर्ति, पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में सीएसआर फंड खर्च करें।

    उन्होंने सरकारी और सीएसआर फंड के दोहरे खर्च को फिजूलखर्ची बताया। हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उन्होंने सभी सीएसआर प्रस्तावों को मुख्यमंत्री की मंजूरी के अधीन करने की मांग की, ताकि फंड का सही उपयोग हो।

    उन्होंने बैंकों के सीएसआर खर्च की समीक्षा और जांच की मांग की, ताकि यह सुनिश्चित हो कि फंड केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार खर्च हो।

    पारदर्शी प्रणाली से झारखंड में सीएसआर फंड का उपयोग हाशिए पर रहने वाली आबादी के उत्थान के लिए हो सकता है, जो राज्य के लिए एक मिसाल बन सकता है।