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    'DGP को न UPSC वैध मान रही न भारत सरकार', बाबूलाल मरांडी बोले- प्रशासन को बंधक बना खेला जा रहा सत्ता का खेल

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 03:34 AM (IST)

    भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन सरकार पर पुलिस प्रशासन को बंधक बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक अवैध नियुक्ति को जबरदस्ती थोप रखा है जिससे 17 सीनियर डीएसपी के प्रमोशन रुके हुए हैं। मरांडी ने डीजीपी की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए।

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    बाबूलाल मरांडी का हेमंत सरकार पर गंभीर आरोप। (जागरण)

    डिजिटल डेस्क, रांची। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने शनिवार को हेमंत सोरेन सरकार पर पुलिस प्रशासन को बंधक बनाकर सत्ता का खेल खेलने का गंभीर आरोप लगाया है।

    उन्होंने कहा कि इसका दुष्परिणाम यह है कि 17 सीनियर डीएसपी के प्रमोशन की प्रक्रिया महीनों से ठप पड़ी है। पुलिसकर्मी अपने हक से वंचित हैं क्योंकि सरकार ने एक अवैध नियुक्ति को जबरदस्ती थोप रखा है।

    संविधान और कानून की धज्जियां उड़ाकर सिर्फ और सिर्फ अपने भ्रष्टाचार को बचाने के लिए पूरी व्यवस्था को पंगु बना दिया है।

    न तो UPSC मान्यता देता है, न ही भारत सरकार

    मरांडी ने डीजीपी की नियुक्ति पर सरकार को घेरते हुए कहा कि UPSC ने अनुराग गुप्ता को प्रोन्नति बैठक में शामिल करने से इनकार कर दिया और इसी कारण बैठक तक रद कर दी गई, लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन निर्लज्ज होकर लोकतंत्र का गला घोटने पर उतर आए हैं।

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    राज्य सरकार ने जिन अनुराग गुप्ता को DGP बनाकर बिठा रखा है, उन्हें न तो UPSC मान्यता देता है, न ही भारत सरकार।

    बाबूलाल मरांडी ने कहा कि डीजीपी अनुराग गुप्ता अपनी सेवा अवधि पूरी कर चुके हैं, सेवानिवृत्ति की उम्र पार कर चुके हैं और वेतन तक नहीं पा रहे हैं। फिर भी सत्ता की कुर्सी बचाने और अपने गुनाहों को ढकने के लिए हेमंत सोरेन सरकार ने उन्हें DGP की कुर्सी थमा दी।

    उन्होंने कहा कि जब UPSC और गृह मंत्रालय ही अनुराग गुप्ता को DGP मानने से इनकार कर रहे हैं तो झारखंड सरकार किस आधार पर उन्हें इस पद पर बनाए हुए है?

    एक रिटायर्ड व्यक्ति को जबरन डीजीपी की कुर्सी

    मुख्यमंत्री को पता है कि उन्होंने गैर कानूनी तरीके से एक रिटायर्ड व्यक्ति को जबरन डीजीपी की कुर्सी पर बिठा रखा है इसलिये वो बिना डीजीपी के ही बैठक करने के लिये यूपीएससी से अनुरोध कर रहे हैं।

    बाबूलाल मरांडी ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर पुलिस प्रमोशन जैसी नियमित प्रक्रिया ही रुक जाए तो क्या इसका सीधा असर पूरे राज्य की कानून-व्यवस्था और पुलिस मनोबल पर नहीं पड़ेगा?

    मरांडी ने कहा कि असलियत यही है कि हेमंत सरकार ने पूरे सिस्टम को अपने भ्रष्ट नेटवर्क और माफियाओं की सेवा में झोंक दिया है। DGP की कुर्सी भी अब उनके लिए एक सुरक्षा कवच बन गई है ताकि उनके काले कारनामे बाहर न आ सकें और वे जेल से दूर रह सकें।

    हेमंत सोरेन जी को समझना होगा कि DGP संवैधानिक पद है, मुख्यमंत्री के हाथ का झुनझुना नहीं है कि जिसे जब मन चाहा थमा दिया। आपकी मनमानी का जवाब जनता के पास भी है और संविधान के पास भी।