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    Ayushman Yojana: आयुष्मान योजना में बड़ा 'खेल', 212 अस्पतालों पर ED की नजर, 40 करोड़ की पेमेंट रुकी

    Updated: Tue, 17 Dec 2024 02:51 PM (IST)

    आयुष्मान योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। झारखंड के 212 अस्पतालों पर ईडी की नजर है। इन अस्पतालों पर फर्जीवाड़ा कर सरकार को चूना लगाने का आरोप है। ईडी की जांच में इन अस्पतालों के बड़े खुलासे हो सकते हैं। इन अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती किए बिना ही आयुष्मान के तहत भुगतान ले लिया है। सरकार ने इन अस्पतालों का भुगतान रोक दिया है।

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    आयुष्मान योजना में बड़ा 'खेल', 212 अस्पतालों पर ईडी की नजर

    अनुज तिवारी, रांची। झारखंड के 212 गैर-सरकारी अस्पतालों पर अब ईडी की नजर है। इनमें राजधानी रांची के नौ अस्पताल सहित विभिन्न जिलों के अस्पताल शामिल हैं। ये वो अस्पताल हैं, जो आयुष्मान योजना (Ayushman Yojana) में फर्जीवाड़ा कर सरकार को चूना लगा रहे हैं। ईडी की जांच आगे बढ़ने पर इन अस्पतालों पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

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    सरकार की ओर से किए गए विभिन्न स्तर की जांच में इन अस्पतालों का फर्जीवाड़ा सामने आया है। इन अस्पताल संचालकों द्वारा पैसे लेकर आयुष्मान लाभुकों का इलाज करने से लेकर मरीज को भर्ती किए बिना ही आयुष्मान केतहत भुगतान ले लेने की भी शिकायत है। जब सरकार की ओर से संचालित 104 सेवा व अन्य जांच तंत्र के द्वारा इन अस्पताल संचालकों द्वारा बताए गए मरीजों से बात कर उनके इलाज की जानकारी ली गई तो सभी फर्जी पाए गए।

    जांच के बाद इन अस्पतालों का भुगतान तो रोक दिया गया, लेकिन अभी भी इन अस्पताल संचालकों द्वारा आयुष्मान के नाम पर फर्जीवाड़ा जारी है। वर्तमान में राज्य में 750 सरकारी व गैर सरकारी अस्पताल आयुष्मान योजना से जुड़े हैं।

    सरकार ने 212 अस्पतालों के 40 करोड़ का भुगतान रोका

    फर्जीवाड़ा में पाए गए राज्य के ये 212 अस्पतालों का आयुष्मान योजना के तहत 40 करोड़ रुपये बकाया है, जिसे लेने के लिए अस्पताल संचालकों ने क्लेम किया है। जब सरकार की ओर से किए गए जांच में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है तो अब इनका भुगतान रोक दिया गया है। इसके बाद ये इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और हास्पिटल बोर्ड आफ इंडिया से भुगतान के लिए गुहार लगा रहे हैं।

    हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया झारखंड के सचिव डॉ. शंभु प्रसाद सिंह बताते हैं कि इन अस्पताल संचालकों को अभी तक इनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को लेकर हरी झंडी नहीं मिली है। बकाया भुगतान कराने में कोई संस्थान मदद नहीं कर सकता। अब तो केंद्र ने भी इनकी जांच के लिए पहले ही ईडी को लगाया है और इसका नतीजा निकलने के बाद ही हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया कुछ निर्णय ले सकता है।

    सीएजी की रिपोर्ट के बाद चौकन्ना हुआ विभाग

    बता दें कि अगस्त 2023 को लोकसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में आयुष्मान में भारी फर्जीवाड़े की बात सामने आई थी। इसमें सबसे ज्यादा गड़बड़ी झारखंड के अस्पतालों में हुई थी। रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि झारखंड के निजी अस्पतालों ने ऐसे 250 लोगों के नाम पर भी सरकार से भुगतान ले लिया, जिनकी इलाज के पहले ही मौत हो चुकी थी। वहीं कई अस्पतालों ने अपनी कुल बेड क्षमता से ज्यादा संख्या में मरीजों की भर्ती दिखाते हुए भुगतान ले लिया।

    मामला सामने आने के बाद फर्जीवाड़ा करने वाले 400 से भी ज्यादा अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई थी। 78 अस्पतालों को गड़बड़ी करने के आरोप में आयुष्मान की सूची से हटा दिया गया था, जबकि 89 अस्पतालों से करीब एक करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया। 250 से ज्यादा अस्पातलों को को शो-काज भी किया गया था और एक अस्पताल संचालक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

    स्वास्थ्य विभाग ने ईडी को उपलब्ध कराई थी अस्पतालों की सूची

    ‘आयुष्मान भारत योजना’ में जालसाजी का मामला प्रकाश में आने के बाद ईडी ने भी अगस्त 2023 में स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिख कर इससे संबंधित ब्योरा मांगा था। ईडी ने जानना चाहा था कि झारखंड सरकार ने आयुष्मान भारत योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों द्वारा किए गए कितने फर्जी दावों को पकड़ा है।

    इसके अलावा जालसाजी करनेवाले अस्पतालों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी सहित की गई अन्य कार्रवाइयों की जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सात जिलों के 13 अस्पतालों की सूची ईडी को उपलब्ध कराई थी। इन अस्पतालों पर 500 से अधिक फर्जी दावे करने सहित अन्य प्रकार की जालसाजी का आरोप है। हालांकि ईडी की नजर अन्य अस्पतालों की गड़बड़ियों पर भी है।

    आयुष्मान भारत के फ्रॉड डिटेक्शन में झारखंड को मिला था पहला अवॉर्ड:

    तत्कालीन आयुष्मान भारत के एमडी भुवनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में फ्रॉड डिटेक्शन में झारखंड को पहला स्थान मिला था। जिसमें यह पता चला था कि आयुष्मान योजना में भारी गड़बड़ी करने वाले राज्यों में झारखंड पहला राज्य है, जहां इन अस्पतालों की जानकारी सरकार को मिल सकी। इसके बाद से ही इन अस्पतालों का बकाया रोक दिया गया, लेकिन अभी भी इनके द्वारा इस योजना के तहत इलाज भी किया जा रहा है और क्लेम भी डाला जा रहा है।

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