शिक्षक नियुक्ति में एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल होगी अपील, जेएसएससी और सरकार ने दी हाई कोर्ट को जानकारी
झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति की मेरिट लिस्ट को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई हुई। जेएसएससी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि समान मामले में एकलपीठ के आदेश के खिलाफ सरकार और जेएसएससी ने खंडपीठ में अपील दाखिल करने का निर्णय लिया है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति की मेरिट लिस्ट को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान जेएसएससी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि समान मामले में एकलपीठ के आदेश के खिलाफ सरकार और जेएसएससी ने खंडपीठ में अपील दाखिल करने का निर्णय लिया है।
इसलिए इस मामले की सुनवाई स्थगित की जाए। आयोग के आग्रह पर अदालत ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति की मेरिट लिस्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने सेवानिवृत्त जस्टिस डा एसएन पाठक की अध्यक्षता में वन मैन फैक्ट फाइंडिंग कमीशन का गठन किया है।
आयोग को जेएसएससी की अनियमितताओं की जांच करने और जिन पदों को रिक्त पाया जाएगा, उनके भरने की सिफारिश करने का निर्देश दिया गया है। कमीशन को तीन महीने के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट अदालत में जमा करने का निर्देश दिया गया है।
जस्टिस आनंद सेन की अदालत में गुरुवार को इसी मामले से जुड़ी करीब 250 याचिकाएं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थीं। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से इस मामले में पहले जारी आदेश का हवाला देते हुए उसी आदेश से इन याचिकाओं को भी प्रभावित होने का निर्देश देने का आग्रह किया गया।
इस पर जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह की ओर से अदालत को बताया गया कि पूर्व में जो आदेश दिया गया है, उसके खिलाफ खंडपीठ में अपील दाखिल की जा रही है। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
शिक्षकों के अंतर जिला तबादले पर सरकार से मांगा जवाब
झारखंड हाई कोर्ट ने शिक्षकों के अंतर-जिला तबादले से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई दुर्गापूजा के बाद होगी।
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों ने बताया कि आनलाइन टीचर ट्रांसफर पोर्टल पर उनके आवेदन केवल इस आधार पर खारिज कर दिए गए हैं कि उनके जीवनसाथी (पति या पत्नी) सरकारी कर्मचारी नहीं हैं।
जबकि राज्य सरकार के एक आदेश में स्पष्ट प्रविधान है कि अनुबंधित कर्मचारी के रूप में कार्यरत जीवनसाथी वाले मामलों को भी दंपती स्थानांतरण श्रेणी में शामिल किया जाएगा।
शिक्षकों का आरोप है कि यह कार्रवाई राज्य सरकार की स्वीकृत नीति के विरुद्ध है और समान परिस्थितियों में वर्ष 2024 में कई अन्य शिक्षकों को दंपती स्थानांतरण का लाभ दिया गया है।
जबकि प्रार्थियों को इससे वंचित रखा गया। प्रार्थी वर्तमान में राज्य के विभिन्न जिलों में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत हैं और उन्होंने जीवनसाथी के कार्यस्थल वाले जिले में तबादले के लिए आवेदन किया था।
याचिका में हाई कोर्ट से मांग की गई है कि संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि वे स्थानांतरण नीति के अनुसार उनके आवेदनों पर पुनर्विचार करें और उन्हें भी वही लाभ प्रदान करें, जो पहले समान परिस्थितियों वाले शिक्षकों को दिया जा चुका है।
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