अमन साव गिरोह का डार्क नेट कनेक्शन, नेपाल-अजरबैजान और सिंगापुर तक फैला था नेटवर्क; मयंक ने किए कई खुलासे
झारखंड एटीएस की जांच में अमन साव गिरोह के सदस्य मयंक सिंह से पूछताछ में पता चला कि पाकिस्तान से हथियारों की तस्करी हो रही है। अमन साव डार्क नेट के जरिए अंतरराष्ट्रीय अपराधियों से जुड़ा था और कोयला कारोबारियों से रंगदारी वसूलता था। डार्क नेट अपराधियों के लिए एक सुरक्षित मंच बन गया है जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड एटीएस की जांच में कुख्यात अमन साव गिरोह के अपराधी सुनील सिंह मीणा उर्फ मयंक सिंह के खिलाफ अहम जानकारी सामने आई है।
एटीएस को पता चला है कि पाकिस्तान निर्मित हथियार भारत में लगातार तस्करी के जरिए पहुंच रहे हैं। बिहार के गोपालगंज, झारखंड के रांची, लातेहार और पलामू में पहले भी ऐसे हथियार बरामद किए गए हैं। मयंक से इन मामलों में पूछताछ की गई, लेकिन कोई ठोस सुराग नहीं मिला।
छानबीन में खुलासा हुआ कि अमन साव (अब मृत) डार्क नेट के जरिए अंतरराष्ट्रीय अपराधियों से जुड़ा था। उसका आपराधिक नेटवर्क नेपाल, अजरबैजान और सिंगापुर तक फैला था।
वह डार्क नेट के माध्यम से कोयला कारोबारियों, ट्रांसपोर्टरों और व्यवसायियों की जानकारी मयंक को देता था। मयंक इंटरनेट कॉल के जरिए इनसे रंगदारी वसूलता था। इस नेटवर्क ने संगठित अपराध को और जटिल बना दिया।
डार्क नेट क्या है?
डार्क नेट एक गुप्त इंटरनेट नेटवर्क है, जिसे सामान्य सर्च इंजन से एक्सेस नहीं किया जा सकता। इसे केवल विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए खोला जा सकता है, जो गुमनाम और सुरक्षित माहौल प्रदान करता है।
यही कारण है कि अपराधी इसका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों, जैसे हथियार तस्करी और रंगदारी के लिए करते हैं। डार्क नेट की गुमनामी अपराधियों को ट्रैक करना मुश्किल बनाती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।