गैंगस्टर अमन साहू एनकाउंटर मामले में अधिकारियों पर प्राथमिकी क्यों नहीं, हाई कोर्ट ने सरकार से किए सवाल
झारखंड हाई कोर्ट ने गैंगस्टर अमन साहू के एनकाउंटर मामले में प्राथमिकी दर्ज न होने पर सरकार से सवाल किया है। अदालत ने पूछा कि किस प्रावधान के तहत प्राथमिकी में देरी हो रही है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य है। प्रार्थी ने ऑनलाइन आवेदन दिया था, फिर भी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। अदालत ने सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

गैंगस्टर अमन साहू की पुलिस मुठभेड़ में मौत के मामले की सीबीआइ जांच को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद और एके राय की अदालत में गैंगस्टर अमन साहू की पुलिस मुठभेड़ में मौत के मामले की सीबीआइ जांच को लेकर दाखिल याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं किए जाने पर फिर नाराजगी जताई।
अदालत ने सरकार से पूछा है कि मामले में अब तक प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई और किस प्रविधान के तहत प्राथमिकी दर्ज करने में देरी की जा रही है? अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी मामले में प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य है। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।
मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि अमन साहू कुख्यात अपराधी था और उस पर कई दर्जन मुकदमे लंबित थे। यह भी कहा गया कि इस मामले में शिकायतवाद के रूप में आवेदन की जांच की जाती है, जिसके बाद ही आगे की कार्रवाई होती है।
प्रार्थी की ओर से राज्य सरकार के जवाब का विरोध किया गया। प्रार्थी के अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने अदालत को बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आनलाइन आवेदन दिया है, न कि कोई शिकायतवाद याचिका दाखिल की है, इसलिए प्राथमिकी दर्ज करना आवश्यक है।
अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि क्या पुलिस को किसी अपराधी की हत्या करने का अधिकार मिल गया है। यदि कोई अपराधी है तो क्या पुलिस उसकी हत्या कर देगी और पुलिस को खुले तौर पर हत्या करने की छूट दे दी गई है? ऐसे में न्यायालय की व्यवस्था क्यों की गई है।
राज्य सरकार ने कहा कि वह मामले में विस्तृत शपथ पत्र दायर करेगी और इसके लिए समय की आवश्यकता है। अदालत ने सरकार को दो सप्ताह का समय देते हुए निर्देश दिया कि शपथ पत्र दो सप्ताह से पहले दायर किया जाए। अदालत ने प्रार्थी के अधिवक्ता को भी निर्देश दिया कि यदि आवश्यक हो, तो वे भी अपना पक्ष दाखिल करें।
इस मामले में अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया है। अमन साहू की मां किरण देवी ने झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर एनकाउंटर की पूरी जानकारी और तस्वीरें सौंपी थीं। बाद में उन्होंने हस्तक्षेप याचिका दायर कर कहा कि एनकाउंटर से पूर्व तत्कालीन डीजीपी अनुराग गुप्ता ने उनके बेटे को मुठभेड़ में मारने की धमकी दी थी।
और इसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। किरण देवी की ओर से अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने अदालत को बताया कि उन्होंने डीजीपी अनुराग गुप्ता, रांची एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा, एटीएस एसपी ऋषभ झा और इंस्पेक्टर पीके सिंह के खिलाफ नामजद आनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन अब तक पुलिस ने इसे रजिस्टर नहीं किया है।
याचिका में किरण देवी ने 11 मार्च को पलामू में हुए कथित एनकाउंटर की जांच सीबीआइ से कराने का आग्रह किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि रायपुर सेंट्रल जेल से रांची एनआइए कोर्ट में पेशी के दौरान पुलिस ने उनके बेटे को योजनाबद्ध तरीके से एनकाउंटर में मार दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि पिछले साल अक्टूबर में अमन को 75 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में चाईबासा जेल से रायपुर भेजा गया था, लेकिन रायपुर से रांची लाते समय केवल 12 सदस्यीय एटीएस टीम को लगाया गया, जिससे पहले से साजिश की आशंका थी।

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