Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सर्व धर्म प्रार्थनाः प्रार्थना के महाभियान में हर ओर भावनाओं का ज्वार, सबने कहा- मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Mon, 14 Jun 2021 12:04 PM (IST)

    Jharkhand News Hindi News कोरोना दिवंगतों को श्रद्धांजलि देने के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने उन लोगों के लिए भी प्रार्थना की जो वर्तमान समय में कोरोन ...और पढ़ें

    Hero Image
    राजभवन में सर्व धर्म प्रार्थना सभा में शामिल राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू।

    रांची, जासं। सर्व धर्म प्रार्थना सभा में सोमवार को जब झारखंड एक साथ श्रद्धा से नत दिखा। कोरोना काल में दिवंगत हुए लोगों के नाम प्रार्थना करने के साथ हर खास-ओ-आम ने उन लोगों के स्वस्थ होने की भी कामना की जो वर्तमान समय में संक्रमण से जूझ रहे हैं। प्रार्थना के इस महाअभियान से जुड़कर सबने बता दिया कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं। मुख्यमंत्री, राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री, विधायक, सांसद, सभी राजनीतिक दलों के नेता समेत शिक्षक, वकील, पुलिसकर्मी, प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी, सरकारी-गैरसरकारी संगठन, क्लब व संस्थाओं समेत विभिन्न वर्गों के लोग इस आयोजन में शामिल हुए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गांव-मोहल्लों में भी अलग-अलग जगह एकत्रित होकर लोगों ने हृदयतल की गहराई से मानवता के नाम अपनी भावनाएं समर्पित कीं। दिवंगतों को श्रद्धांजलि देने के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने उन लोगों के लिए भी प्रार्थना की जो वर्तमान समय में कोरोना से पीडि़त हैं। रांची, धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर, लोहरदगा, खूंटी, गुमला, पूर्वी, सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, देवघर, दुमका, पाकुड़, गोड्डा, जामताड़ा, साहिबगंज, पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, हजारीबाग, कोडरमा, रामगढ़ समेत राज्य के सभी जिलों में इस आयोजन के जरिये लोगों ने संकल्प शक्ति का परिचय दिया।

    नन्हें बच्चों के कोमल भावों ने दी प्रार्थना को नई ऊंचाई

    रांची शहर के से लेकर गांव-मुहल्लों में इस अभियान के साथ जुड़कर छोटे-बड़े स्त्री-पुरुष सभी श्रद्धा में नत नजर आए। छोटे बच्चों ने अपने नन्हें-नन्हें हाथ जोड़कर अपनी कोमल भावनाओं को अभिव्यक्ति दी तो ऐसा लगा मानो उन्होंने जीवन और मानवता के उच्चतम मूल्यों को आगे बढ़ाने की बागडोर थाम ली हो। इनमें कई ऐसे भी थे, जिनके घर के बड़े-बुजुर्ग व पालक को महामारी ने उनसे छीन लिया था। भावनाएं हिलोरे लेने लगीं तो कई की आंखें नम हो गईं, लेकिन खुद को संभाला और प्रार्थना के बाद पौधारोपण करने में जुट गए।