Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रेल टेकारेल टेका-डहर छेका आंदोलन में शामिल हुए आजसू प्रमुख सुदेश महतो, चंद्रप्रकाश समेत कई नेता, कहा-कुड़मी समुदाय ने अपनी ताकत दिखा दी

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 11:12 PM (IST)

    कुड़मी समुदाय द्वारा कुड़मी को एसटी की सूची में सम्मिलित करने की मांग को लेकर शुरू रेल टेका डहर छेका आंदोलन में आजसू प्रमुख सुदेश महतो सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी पूर्व विधायक डा. लंबोदर महतो सहित कई नेता विभिन्न जगहों पर शामिल हुए। सुदेश मुरी रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारियों के साथ डटे रहे। चंद्रप्रकाश चौधरी और लंबोदर महतो जोगेश्वर बिहार चंद्रपुरा और पारसनाथ स्टेशनों पर आंदोलन में शामिल हुए।

    Hero Image
    रेल टेका, डहर छेका आंदोलन में सम्मिलित हुए आजसू सुप्रीमो सुदेश समेत कई नेता।

    राज्य ब्यूरो, रांची । कुड़मी समुदाय द्वारा कुड़मी को एसटी की सूची में सम्मिलित करने की मांग को लेकर शनिवार को शुरू रेल टेका, डहर छेका आंदोलन में आजसू प्रमुख सुदेश महतो, सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, पूर्व विधायक डा. लंबोदर महतो सहित कई नेता विभिन्न जगहों पर शामिल  हुए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सुदेश मुरी रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारियों के साथ डटे रहे। चंद्रप्रकाश चौधरी और लंबोदर महतो जोगेश्वर बिहार, चंद्रपुरा और पारसनाथ स्टेशनों पर आंदोलन में शामिल हुए।

    मांडू विधायक निर्मल महतो ने चरही स्टेशन पर आंदोलन का नेतृत्व किया तो पूर्व विधायक सुनीता चौधरी बरकाकाना स्टेशन पर उपस्थित रहीं। इसी तरह, अन्य नेताओं ने भी इस आंदोलन में अपनी भागीदारी निभाई।

    सुदेश ने अभियान के दौरान कहा कि कुड़मी समुदाय ने अपनी ताकत दिखा दी है। कुड़मी समाज को 1931 में एसटी सूची से बाहर कर दिया गया था। तब से यह समाज अपने अधिकारों की लड़ाई लगातार लड़ रहा है।

    कहा कि आजसू पार्टी ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर 16 संगठनों के साथ मिलकर भारत सरकार के समक्ष रखा है और गंभीर विचार-विमर्श के लिए प्रस्ताव भी सौंपा है।

    उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकालें, ताकि समाज का आक्रोश शांत हो और ऐतिहासिक न्याय सुनिश्चित हो सके।

    लंबोदर महतो ने कहा कि कुड़मी समुदाय की संस्कृतिक और जातीय विशेषताएं हैं। कृषि आधारित आजीविका और परंपराएं, वर्तमान में मान्यता प्राप्त जनजातियों के समान है। इस आधार पर कुडमी को एसटी की सूची में फिर से शामिल किया जाना चाहिए।