Jharkhand Politics: झारखंड के नेताओं का AI अवतार, भाषण देते बालक वाले वीडियो ने सोशल मीडिया पर मचाया धमाल
राजनीति में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल बढ़ रहा है। झारखंड के नेता प्रदीप यादव और राजेश ठाकुर के एआई-जनरेटेड बाल अवतार सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हो रहे हैं। लोग इन वीडियो को पसंद कर रहे हैं और खूब प्रतिक्रिया दे रहे हैं। दक्षिण भारत में भी AI का इस्तेमाल राजनेता कर रहे हैं। हालांकि प्रतिद्वंद्वियों की गलत छवि पेश करने की चिंताएं भी हैं।

प्रदीप सिंह, रांची। राजनीति में अत्याधुनिक तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, हालांकि इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर विरोधियों के प्रति कुप्रचार में भी होता है। लेकिन हाल ही में देश के तमाम प्रमुख नेताओं के एआइ से बनाए गये लोकसभा में भाषण देते बालक अवतार का वीडियो इंटरनेट मीडिया में काफी पसंद किया गया।
इसके प्रचलन और स्वीकार्यता को बढ़ता देख झारखंड के कई कद्दावर नेता भी इसका अनुसरण कर रहे हैं। झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने इसकी शुरुआत की है।
हाल ही में मध्य प्रदेश कांग्रेस के पर्यवेक्षक बनाए गए झारखंड प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी इस कड़ी में जुड़े हैं।
इनके बालक अवतार को लोग खूब पसंद कर रहे हैं। जनता नेताजी के बाल अवतार पर मोहित और गदगद है। इसके जरिए इन्हें खूब प्रसिद्धि मिल रही है।
प्रदीप यादव के बालक रूप वाले वीडियो को इंस्टाग्राम पर खूब लाइक्स मिल रहे हैं। इसे हजारों लोगों ने पसंद किया और अपने कमेंट्स भी दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि राजनीति के अलावा प्रदीप यादव कई अन्य विधाओं में माहिर हैं। वे तबला वादन के साथ-साथ गायन में भी रूचि रखते हैं। इसके अलावा क्रिकेट के मैदान में भी वे अपना कमाल दिखाते हैं।
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने काफी कम समय में तेजी से राजनीतिक ऊंचाई हासिल की है। दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति से सार्वजनिक जीवन में उन्होंने अबतक लंबा सफर तय किया है। इनके बालक रूप में नेता वाली छवि को फेसबुक पर समर्थकों ने काफी पसंद किया है और काफी प्रतिक्रिया दी है।
दक्षिण भारत के राजनेता आगे, यहां भी आने वाले समय में तेज होगा प्रयोग
फिलहाल राजनीतिक प्रचार में कृत्रिम बुद्धिमता के इस्तेमाल के मामले में दक्षिण भारत के राज्यों के राजनेता काफी आगे हैं। तमिलनाडु विधानसभा के चुनाव में इसका काफी उपयोग किया गया था।
इसमें करूणानिधि की आवाज में जारी वीडियो काफी चर्चा में आया था। कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में भी इसका तमाम प्रमुख दलों ने उपयोग किया था।
हालांकि पिछले वर्ष संपन्न झारखंड विधानसभा चुनाव में इसका सीमित उपयोग हुआ। अब धीरे-धीरे इसका जोर पकड़ रहा है।
हालांकि इसके इस्तेमाल के जरिए गलत तरीके से प्रतिद्वंद्वियों की छवि को प्रस्तुत करने संबंधी चुनौतियां भी है, जिसके लेकर अक्सर चिंता प्रकट की जाती है।
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