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    सरेंडर के बाद ओपेन जेल में बंद 63 माओवादियों में सिर्फ आठ को मिली जमीन, पांच साल में 109 कर चुके हैं आत्मसमर्पण

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 12:37 PM (IST)

    माओवादियों को मुख्य धारा से जोड़ने व राज्य को माओवाद से मुक्त करने के लिए लाई गई राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति को शत प्रतिशत लागू कराने में सरकार के अधिकारी ही शिथिल पड़े हुए हैं। जिला पुनर्वास समिति की ससमय नहीं हो रही बैठकों के चलते आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को इस नीति के तहत प्रस्तावित वांछित लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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    ओपेन जेल में बंद 63 माओवादियों में सिर्फ आठ को ही मिली जमीन।

    दिलीप कुमार, रांची। माओवादियों को मुख्य धारा से जोड़ने व राज्य को माओवाद से मुक्त करने के लिए लाई गई राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति को शत प्रतिशत लागू कराने में सरकार के अधिकारी ही शिथिल पड़े हुए हैं।

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    जिला पुनर्वास समिति की ससमय नहीं हो रही बैठकों के चलते आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को इस नीति के तहत प्रस्तावित वांछित लाभ नहीं मिल पा रहा है। राज्य को माओवादियों से मुक्त कराने को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गंभीर हैं।

    उन्होंने पूर्व में विधि व्यवस्था संबंधित बैठकों में अधिकारियों को निर्देशित भी किया है कि राज्य सरकार की आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति से आच्छादित वैसे सभी माओवादियों को, जिन्होंने आत्मसमर्पण किया है, उन्हें उसका शीघ्र लाभ दिलाएं।

    वर्तमान में स्थिति यह है कि हजारीबाग स्थित खुली जेल में बंद 63 माओवादी हैं। इनमें 55 पुरुष व आठ महिला माओवादी हैं। इन 63 माओवादियों में सिर्फ आठ ही ऐसे हैं, जिन्हें जमीन मिली।

    घर बनाने का पैसा किसी को नहीं मिला। बच्चों की शिक्षा व अन्य व्यवस्था की दिशा में भी अधिकारियों की उदासीनता रही है।

    परेशान आत्मसमर्पित माओवादियों ने राज्य सरकार, पुलिस मुख्यालय से पत्राचार कर अपना हक मांगा है और उनके किए गए वादों को याद दिलाया है।

    मिली जानकारी के अनुसार किसी भी माओवादी के परिवार का सामूहिक बीमा नहीं हुआ है। बच्चों की निश्शुल्क शिक्षा व निश्शुल्क कानूनी सेवा भी उपलब्ध नहीं कराया गया है।

    जिन आठ माओवादियों को जमीन मिली, उनमें प्रेमशिला, रिमिल, संतोष भुइयां, कान्हूराम मुंडा, ऐनुल मियां, खुदी मुंडा, रामकुमार भोग्ता व फोगरा मुंडा शामिल हैं।

    जिन पर गंभीर मामले उन्हें सामान्य जेल में रखा गया है

    एक जनवरी 2020 से अब तक राज्य में 109 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। जिनपर गंभीर मामले दर्ज हैं, उन्हें सामान्य जेल में रखा गया है। वैसे माओवादियों को सरकार की ओर से ही निश्शुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराया जाता है, जो उनके पक्ष को न्यायालय में रख सकें।

    मुख्य धारा में लौटने वाले सभी माओवादियों को उनपर दर्ज कांडों में जमानत मिलने के बावजूद सुरक्षा के ख्याल से उन्हें खुली जेल में रखा जाता है। यहां वे अपने परिवार के साथ रह सकते हैं।

    वैसे माओवादी जिन्हें जमानत मिलने के बावजूद किसी तरह का कोई खतरा नहीं है, उन्हें उनके गांव जाने दिया जाता है।

    राज्य में सबसे पहले 18 फरवरी 2009 को माओवादियों के लिए आत्मसमर्पण नीति लागू हुई थी। तब से लेकर अब तक करीब 300 से अधिक माओवादियों ने राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का लाभ उठाया।

    2009 की आत्मसमर्पण नीति को और बेहतर बनाने के लिए वर्ष 2015 व उसके बाद वर्ष 2018 में संशोधित किया गया था। संशोधित नीति में आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों व उनके परिवार के सदस्यों के लिए आकर्षक योजनाएं लागू हुईं थीं।

    ये हैं 63 आत्मसमर्पित माओवादी जो खुली जेल में हैं बंद

    कुंदन पाहन, शंकर यादव, महाशय सोरेन, प्रीशिला, प्रेमशिला, पक्कू टुडू, सिद्धू मरांडी, उमेश गंझू, बलवीर महतो, देवीलाल हांसदा, नुनूलाल हांसदा, रिमिल हेम्ब्रम, राजेंद्र राय, जीवन पतरस कंडुलना, नकूल यादव, राधेश्याम कुमार, सुरेश मुंडा, राकेश मुंडा, सूरज सरदार गजू सरदार, गीता गांगुली,

    महाराज प्रमाणिक, मुकेश गंझू, भवानी भुइया, बिलोन सरदार, चांदनी सरदार, सोमवारी कुमारी, मिथिलेश सिंह, जयराम बोदरा, सरिता, नागेश्वर गंझू, अमन गंझू, दशरथ उरांव, इंदल गंझू, संतोष भुइया, अमरजीत यादव, नीरू यादव, सहदेव यादव, संटू भुइया, कान्हूराम मुंडा, बिमल लोहरा, विजय यादव,

    कुलदीप गंझू, एनुल मियां, खुदी मुंडा, नुनू चंद महतो, चंद्रमोहन, अमन बोइपे, नीरज सिंह खेरवार, राम कुमार भोग्ता, मनोहर परहिया, रामदयाल महतो, जितेंद्र नगेसिया, रामजीत नगेशिया, विष्णु दयाल नगेसिया, सूरज नाथ खेरवार, जतरू खेरवार, सुनीता मुरमू, बासुदेव हजाम, लोदरो लोहरा, बोयदा पाहन, फोगरा मुंडा, मदन यादव व औदेश गंझू।

    आत्मसमर्पण नीति में माओवादियों को मिलने हैं ये लाभ

    आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को उस पर इनाम की पूरी राशि उसे देय है। इसके अलावा जोनल कमांडर व उससे उपर वाले के लिए पुनर्वास अनुदान छह लाख रुपये, जिसमें दो लाख रुपये तत्काल व चार लाख में दो लाख एक वर्ष पर व दो लाख दो वर्ष के बाद विशेष शाखा की रिपोर्ट पर दिए जाते हैं।

    जोनल कमांडर से नीचे रैंक वालों के लिए पुनर्वास अनुदान तीन लाख है, जिसमें एक लाख रुपये तत्काल व दो लाख में एक लाख एक वर्ष व दूसरा एक लाख दूसरे वर्ष पर देने का प्रविधान है।

    अधिकतम चार डिसमिल जमीन व मकान बनाने के लिए 40 हजार रुपये। प्रधानमंत्री आवास योजना की शर्तों वालों को उसका लाभ दिलाना है।

    माओवादी व उसके परिवार वालों को निश्शुल्क चिकित्सा, माओवादियों के बच्चों को स्नातक स्तर तक निश्शुल्क शिक्षा या अधिकतम 40 हजार रुपये वार्षिक प्रत्येक तिमाही में देय है। माओवादी का पांच लाख तक का बीमा व परिवार का एक लाख का बीमा दिया जाता है।