अधिवक्ता कल्याण फंड की हिस्सेदारी पर लिपिक संघ ने जताया दावा
अधिवक्ता लिपिक संघ ने अधिवक्ता कल्याण राशि में अपनी हिस्सेदारी पर दावा किया है। इसे लेकर संघ के अध्यक्ष डीसी मंडल ने झारखंड स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन को पत्र लिखा है। पत्र में बार काउंसिल के नियमों का हवाला दिया गया है।
रांची : अधिवक्ता लिपिक संघ ने अधिवक्ता कल्याण राशि में अपनी हिस्सेदारी पर दावा किया है। इसे लेकर संघ के अध्यक्ष डीसी मंडल ने झारखंड स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन को पत्र लिखा है। पत्र में बार काउंसिल के नियमों का हवाला दिया गया है। दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट में दाखिल होने वाली प्रत्येक याचिका पर एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से 10 से 15 रुपये का स्टांप लगाया जाता है। उक्त राशि अधिवक्ता कल्याण फंड में जमा होती है। स्टेट बार काउंसिल की ओर से बनाए गए नियम में अधिवक्ता कल्याण फंड का पांच फीसद हिस्सा अधिवक्ता लिपिक संघ को दिया जाना चाहिए। लेकिन वर्ष 2013 से अभी तक उक्त राशि लिपिक संघ को नहीं मिली है।
पत्र में बार काउंसिल के चेयरमैन को उक्त राशि देने के लिए एडवोकेट एसोसिएशन को निर्देश देने की मांग की गई। लिपिक संघ के अध्यक्ष डीसी मंडल ने बताया कि जब से एक्ट बना है, तब से लेकर आज तक उन्हें राशि नहीं मिली है। इसलिए बार काउंसिल के चेयरमैन को पत्र लिखकर राशि की मांग की गई है। उन्होंने बताया कि अधिवक्ता लिपिक संघ में अभी तीन सौ से ज्यादा सदस्य हैं। कोरोना संकट में संघ की ओर से सभी लिपिकों को दो-दो हजार रुपये की आर्थिक मदद की गई थी। उन्होंने कहा कि अगर उक्त राशि उन्हें मिल जाए तो अधिवक्ता लिपिक संघ के सदस्यों को फिर से आर्थिक मदद की जा सकती है।
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फिजिकल कोर्ट शुरू करने को लेकर अधिवक्ताओं में उत्साह नहीं
राज्य ब्यूरो, रांची : झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं में फिजिकल कोर्ट शुरू करने को लेकर कोई खास उत्साह नहीं दिख रहा है। इसके लिए अब तक झारखंड हाई कोर्ट में बहुत ज्यादा मांग नहीं आई है। कुछ अधिवक्ताओं ने फिजिकल कोर्ट में अपने मामले की सुनवाई के लिए आवेदन दिया है, लेकिन उस मामले में विपक्षी (प्रतिवादी) की ओर से सहमति नहीं मिली है। ऐसे में अभी फिजिकल कोर्ट शुरू करने पर संशय ही दिख रहा है। दरअसल पिछले दिनों एडवोकेट एसोसिएशन ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था कि फिजिकल कोर्ट के जरिए सुनवाई शुरू की जानी चाहिए। इसके बाद से हाई कोर्ट ने एक नोटिस जारी कर हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं से इस मामले पर मंतव्य मांगा था और कहा था कि जिन मामलों में अधिवक्ताओं को फिजिकल कोर्ट में सुनवाई चाहिए। उस मामले में प्रतिवादी की सहमति के साथ पूरी जानकारी ई-मेल करें, ताकि फिजिकल कोर्ट की सुनवाई शुरू की जा सके। इधर, एडवोकेट एसोसिएशन के महासचिव नवीन कुमार व कोषाध्यक्ष धीरज कुमार ने बताया कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए अधिवक्ता फिलहाल फिजिकल कोर्ट की सुनवाई में उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। लेकिन अगर फिजिकल सुनवाई शुरू होती है तो आर्थिक संकट का सामना कर रहे अधिवक्ताओं को थोड़ी राहत मिलेगी।
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