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    प्रशासन के पास अवैध बूचड़खानों के आंकड़े ही नहीं हैं

    By Bhupendra SinghEdited By:
    Updated: Wed, 29 Mar 2017 05:59 AM (IST)

    सबसे बड़ी समस्या यह है कि प्रशासन के पास यह पक्की जानकारी नहीं कि कितने अवैध बूचड़खाने चल रहे हैं।

    प्रशासन के पास अवैध बूचड़खानों के आंकड़े ही नहीं हैं

    जागरण न्यूज नेटवर्क, रांची। राज्यभर के अवैध बूचडख़ानों को 72 घंटे के भीतर बंद कराने के आदेश को लेकर ज्यादातर जिलों में प्रशासन रेस हो गया है। जिलों के उपायुक्तों ने बैठक कर अधिकारियों को कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया है। इसके लिए दंडाधिकारी भी तैनात कर दिए गए हैं। हालांकि अपवाद स्वरूप रांची में अफसर व्यस्त रहे और कोई संयुक्त बैठक नहीं हुई कि कैसे अवैध बूचड़खानों को बंद किया जाए। सबसे बड़ी समस्या यह है कि प्रशासन के पास यह पक्की जानकारी नहीं कि कितने अवैध बूचड़खाने चल रहे हैं।

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     खस्सी और मुर्गा बेचने वालों को भी अब बिना रजिस्ट्रेशन के दुकान चलाना संभव नहीं होगा इसलिए उनमें हड़कंप मचा हुआ है। राज्य में ऐसे हजारों खस्सी-मुर्गा बेचने वाले हैं जो बिना निबंधन के अपनी दुकान चला रहे हैं। कुछ जिलों में इसे लेकर पहल की गई है। रजिस्ट्रेशन के लिए काउंटर खोलकर एक समय सीमा तय कर दी गई है। वहीं देवघर में राज्य का पहला अवैध बूचड़खाना सील किया गया। उपायुक्त अरवा राजकमल व एसपी के निर्देश पर मधुपुर के पनाहकोला मोहल्ले में अवैध रूप से संचालित बूचडख़ाने पर मंगलवार को कार्रवाई की गई।
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    अवैध बूचडख़ाने पर रोक से बिफरी कांग्रेस
    राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य सरकार द्वारा अवैध बूचडख़ाने पर रोक कांग्र्रेस को रास नहीं आ रहा है। पार्टी महासचिव आलोक कुमार दुबे ने यहां जारी बयान में तंज कसा कि ज्ञान का यह प्रवाह आखिरकार कहां से झारखंड सरकार को मिल रहा है? सोलह वर्षों में सबसे ज्यादा दिनों तक शासन करने वाली सरकार कहां से प्रेरणा लेकर उत्साहित हो रही है। सरकार को यह बताना चाहिए कि वैध और अवैध बूचडख़ाने की क्या परिभाषा है और किस श्रेणी को वैध और किसे अवैध माना जाए। भारत के संविधान ने सबको व्यवसाय करने का अधिकार दिया है।

     झारखंड में हजारों लाखों लोग मीट के कारोबार से जुड़े हुए हैं। छोटे-छोटे गरीब कारोबारी मीट, चिकेन, मछली सड़कों पर बेचकर खाते-कमाते हैं। अगर ऐसे कारोबारियों पर कार्रवाई हुई तो बेरोजगारों की बड़ी फौज तैयार होगी जिसकी जवाबदेही सरकार की होगी।

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     सरकार जीवनयापन और रोजगार पर सीधा प्रहार कर रही है। सरकार को इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों को हटाने या बंद करने से पहले रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। जिस प्रकार विस्थापित करने से पहले पुनर्वास किये जाने का प्रावधान है उसी प्रकार बूचडख़ाने बंद करने से पहले रोजगार दिया जाए। अगर सरकार कारोबारियों पर कानूनी कारवाई करती है तो अवैध स्थल से खरीदने वालों पर भी कानूनी कारवाई हो।

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