झारखंड के थानों में पुलिसकर्मी नहीं करेंगो मुंशी का काम, ADG प्रिया दुबे ने DGP के आदेश को चुनौती दी
जैप एडीजी प्रिया दूबे ने पुलिस मुख्यालय के आदेश को चुनौती दी है। उन्होंने अपने अधीन के सभी वाहिनी के कमांडेंट को सख्त निर्देश जारी किया है कि जैप आईआरबी व एसआईआरबी से प्रतिनियुक्त महिला सिपाहियों को थानों में मुंशी का कार्य करने के लिए विरमित नहीं करें। एडीजी ने डीजीपी कार्यालय के उस आदेश पर आपत्ति जताई है।

राज्य ब्यूरो, रांची। जैप की एडीजी प्रिया दूबे ने पुलिस मुख्यालय के आदेश को चुनौती देते हुए अपने अधीन के सभी वाहिनी के कमांडेंट को सख्त निर्देश जारी कर दिया है। चार अक्टूबर को जारी अपने आदेश में एडीजी प्रिया दूबे ने कहा है कि राज्य के थानों में मुंशी का कार्य करने के लिए झारखंड सशस्त्र पुलिस (जैप), इंडियन रिजर्व बटालियन (आइआरबी) व विशिष्ट इंडियन रिजर्व बटालियन (एसआइआरबी) से प्रतिनियुक्त महिला सिपाहियों को विरमित नहीं करें।
उन्होंने अपने उस पत्र का भी हवाला दिया है, जिसमें उन्होंने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखकर आपत्ति जताया था। उनकी आपत्ति है कि डीजीपी कार्यालय ने न तो उनकी सहमति ली और न हीं उनके माध्यम से गठित बोर्ड की सहमति ली और उनके नियंत्रण वाली इकाइयों जैप, आइआरबी, एसआइआरबी की 212 महिला पुलिसकर्मियों का राज्य के थानों में पदस्थापन करने संबंधित आदेश जारी कर दिया।
एडीजी ने सभी इकाइयों के कमांडेंट को आदेश दिया है कि जब तक उनके स्तर से पूरे मामले का निवारण नहीं हो जाता है, तब तक किसी भी वाहिनी से किसी भी महिला पुलिसकर्मी को मुंशी के पद पर कार्य करने के लिए विरमित किए जाने संबंधित आदेश जारी नहीं करना है।
क्या है पूरा मामला
डीजीपी कार्यालय ने 25 सितंबर को जैप, आइआरबी व एसआइआरबी की 212 महिला पुलिसकर्मियों को राज्य के सभी जिलों के विभिन्न थानों में मुंशी के पद पर पदस्थापित किए जाने संबंधित आदेश जारी किया था। इतना ही नहीं, पूर्व में भी डीजी सीआइडी ने 89 महिला सिपाहियों की प्रतिनियुक्ति महिला थाने में किया था।
एडीजी जैप प्रिया दुबे ने डीजीपी कार्यालय के उक्त आदेश पर कड़ी आपत्ति जताते हुए 29 सितंबर को डीआइजी कार्मिक को संबोधित करते हुए पत्राचार कर पदस्थापन का विरोध किया। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि जैप, आइआरबी, एसआइआरबी व एसआइएसएफ की प्रमुख वह स्वयं हैं।
पूर्व के किसी भी डीजीपी ने ऐसा नहीं किया
इसके बावजूद उनके नियंत्रणाधीन इकाइयों की महिला सिपाहियों की प्रतिनियुक्ति में उनकी सहमति नहीं ली गई। उन इकाइयों से जिला में पदस्थापन के लिए उनके माध्यम से एक बोर्ड गठित है, फिर भी उस बोर्ड की सहमति नहीं ली गई।
अब तक के इतिहास में पूर्व के किसी भी डीजीपी ने ऐसा नहीं किया था। थानों में बल व मुंशी का पदस्थापन संबंधित जिले के एसपी करते रहे हैं, लेकिन वहां भी डीजीपी कार्यालय से पदस्थापन किया गया। यह अनुचित है। एडीजी ने यह भी लिखा था कि डीजीपी कार्यालय के उक्त आदेश का अनुपालन संभव नहीं है। उक्त आदेश को रद करें।
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