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    Jharkhand: जेल में बंद ITS अरुण पति त्रिपाठी को रिमांड पर लेगी ACB, अब तक 8 आरोपित जा चुके हैं जेल

    Updated: Sat, 05 Jul 2025 10:33 PM (IST)

    झारखंड में 100 करोड़ के शराब घोटाला मामले में एसीबी ने आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी को रिमांड पर लेने के लिए प्रोडक्शन वारंट मांगा है। त्रिपाठी जो छत्तीसगढ़ में भी शराब घोटाले में शामिल हैं पर झारखंड में नई उत्पाद नीति में मुख्य भूमिका निभाने का आरोप है। उन्होंने शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाया और करोड़ों का कमीशन लिया।

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    जेल में बंद आईएएस अरुण पति त्रिपाठी को रिमांड पर लेगी झारखंड एसीबी। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में 100 करोड़ से अधिक के शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच कर रही एसीबी ने अब छत्तीसगढ़ के रायपुर सेंट्रल जेल में बंद आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी को रिमांड पर लेने के लिए रांची स्थित एसीबी की विशेष अदालत से प्रोडक्शन वारंट मांगा है।

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    आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी को छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला केस में रायपुर एसीबी ने 12 अप्रैल 2024 को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

    उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग झारखंड के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे के कार्यकाल में मई 2022 में झारखंड में लागू नई उत्पाद नीति में आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी मुख्य भूमिका में थे।

    झारखंड में रची थी साजिश

    विनय कुमार चौबे ने आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी के साथ मिलकर ही छत्तीसगढ़ की तरह झारखंड में भी शराब घोटाले की साजिश रची थी।

    कुल मिलाकर कहा जाय तो उत्पाद विभाग झारखंड के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे व उत्पाद विभाग छत्तीसगढ़ के सचिव अरुण पति त्रिपाठी ही झारखंड में शराब घोटाले के मुख्य किंगपीन हैं।

    मई 2022 में झारखंड में लागू उत्पाद नीति के वक्त आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी छत्तीसगढ़ राज्य म्युनिसिपल कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के प्रबंध निदेशक थे और छत्तीसगढ़ के उत्पाद सचिव थे।

    तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे ने उन्हें झारखंड में उत्पाद नीति का परामर्शी बनाया था और इसके बदले करीब सवा करोड़ रुपये का भुगतान भी लिया था।

    आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी ने ही अपने करीबी शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया को झारखंड की उत्पाद नीति में प्रवेश कराया। इसके बदले में सिद्धार्थ सिंघानिया ने अरुण पति त्रिपाठी के साथ-साथ झारखंड के तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे को भी करोड़ों रुपये का कमीशन दिया।

    सिद्धार्थ सिंघानिया के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की चार प्लेसमेंट एजेंसियाें मेसर्स एटूजेड इंफ्रा सर्विसेज लिमिटेड, मेसर्स इगल हंटर सोल्यूशंस लिमिटेड, मेसर्स प्राइम वन वर्क फोर्स प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स सुमित फैसिलिटिज को झारखंड की खुदरा शराब दुकानों में मैनपावर आपूर्ति का काम मिला था।

    आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी व सिद्धार्थ सिंघानिया ने ही मिलकर मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्यूरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विधु गुप्ता को झारखंड में आपूर्ति होने वाली शराब की बोतलों के लिए होलोग्राम आपूर्ति का ठेका दिलवाया और उससे भी झारखंड के उत्पाद अधिकारियों को करीब 90 करोड़ से अधिक का कमीशन दिलवाया था।

    अब तक ये आठ आरोपित जा चुके हैं जेल

    उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सह अभियान सुधीर कुमार, प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन का स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह, पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश, छत्तीसगढ़ का शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया व मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी के प्रबंध निदेशक विधु गुप्ता।