एक युग का अंत: क्या शिबू सोरेन को मिलेगा सर्वोच्च सम्मान? झारखंड विधानसभा में उठी भारत रत्न की मांग
झारखंड विधानसभा में शोक सभा के दौरान दिशोम गुरु शिबू सोरेन रामदास सोरेन और पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक सहित कई प्रमुख हस्तियों को श्रद्धांजलि दी गई। दिशोम गुरु को भारत रत्न देने की मांग उठी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि उन्होंने राजनीति को सत्ता का जरिया नहीं बनाया। शिबू सोरेन ने झारखंड आंदोलन का नेतृत्व किया और सामाजिक सुधार के लिए काम किया।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड विधानसभा में चल रहे मानसून सत्र के दौरान कई जाने-माने लोगों के निधन पर शोक व्यक्त किया गया, जिनमें दिशोम गुरु शिबू सोरेन, स्कूली शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन, पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक व वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह प्रमुख हैं। विधानसभा में दिशोम गुरु को भारत रत्न देने और उनकी आदमकद प्रतिमा लगाने की मांग भी उठी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने शोक संदेश में कहा कि दिशोम गुरु ने राजनीति को कभी भी सत्ता का माध्यम नहीं बनाया। पक्ष और विपक्ष के कई प्रमुख नेताओं, जिनमें जदयू विधायक सरयू राय, कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव और राजद विधायक दल के नेता सुरेश पासवान शामिल हैं, ने शिबू सोरेन के विशाल व्यक्तित्व को सराहा और उन्हें भारत रत्न देने की मांग की है। शिबू सोरेन पर सदन में शोक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भावुक नजर आए हेमंत सोरेन। आजसू के विधायक निर्मल महतो ने भी दिशोम गुरु को भारत रत्न देने की वकालत की।
शिबू सोरेन का राजनैतिक सफर
दिशोम गुरु दुमका से 1989, 1991, 1996, 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा सदस्य रहे। इसके अलावा, वह 1998, 2002 और 2020 में राज्यसभा के सदस्य भी थे। उन्होंने 2005, 2008 और 2009 में तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की बागडोर संभाली। वह 2004, 2005 और 2006 में केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री भी रहे। झारखंड राज्य आंदोलन के दौरान, उन्होंने झारखंड स्वायत्तशासी परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। दिशोम गुरु की याद में सदन में दो मिनट का मौन रखा गया।
दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन एक युग का अंत है। वह न केवल एक बड़े राजनेता थे, बल्कि झारखंडी अस्मिता और संस्कृति के सबसे प्रमुख ध्वजवाहक भी थे। 1972 में उन्होंने जिस झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की, वह पहले एक सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक आंदोलन के रूप में शुरू हुआ था।
सामाजिक आंदोलन में योगदान
शिबू सोरेन ने कोयला नगरी, धनबाद में 'टुंडी आश्रम' की स्थापना की, जहां उन्होंने 'सोनोत संथाल समाज' की नींव रखी। इस संगठन का उद्देश्य समाज सुधार, महिला सशक्तिकरण और शराब-निषेध था। उन्होंने 19 सूत्री कार्यक्रम की घोषणा भी की, जिसमें स्वरोजगार और आदिवासियों-गैर-आदिवासियों के बीच विवादों के निपटारे के लिए 'चेताब बैसी' का गठन शामिल था।
अन्य प्रमुख व्यक्तियों को श्रद्धांजलि
विधानसभा ने स्कूली शिक्षा एवं निबंधन मंत्री रामदास सोरेन के निधन पर भी शोक व्यक्त किया। उनका 15 अगस्त, 2025 को निधन हो गया। वे घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से 2009, 2019 और 2024 में विधायक रहे। उन्हें झारखंड आंदोलन का एक सच्चा योद्धा माना जाता था, जो मजदूरों और विस्थापितों की आवाज थे।
इसके अतिरिक्त, पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, 1971 के भारत-पाक युद्ध के नायक ग्रुप कैप्टन डी.के. पारुलकर , पद्म श्री विनोद कुमार पसायत और वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह के निधन पर भी शोक प्रकाश किया गया।

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