A New Day Movie: सच्ची कहानी पर आधारित है फिल्म एक नया दिन
A New Day Movie. मिर्गी कोई छूआछूत की बीमारी नहीं है। इसकी जागरूकता के लिए सच्ची घटना पर आधारित फिल्म बनाई गई है। इसको रिम्स के ऑडिटोरियम में दिखाया गया।
रांची, जागरण संवाददाता। A New Day Movie - मिर्गी कोई छूआछूत की बीमारी नहीं है और न ही यह साथ खाने या किसी के छूने से फैलता है। अक्सर यह देखा जाता है कि मिर्गी के मरीजों पर भूत-प्रेत का मानकर लोग झाड़-फूंक भी कराते हैं। लोगों को इससे बचने की जरूरत है। लोगों को इस बीमारी का इलाज कराना चाहिए। दवा खाने से यह ठीक हो जाता है।
मिर्गी के प्रति ऐसी ही जागरूकता भरी बातों की जानकारी देती फिल्म एक नया दिन का प्रदर्शन रिम्स ऑडिटोरियम में किया गया। इस फिल्म को मेडिकल, नर्सिग, पारा मेडिकल के विद्यार्थियों ने देखी। इस फिल्म प्रदर्शन की शुरुआत मुख्य अतिथि बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ बीएन मिश्रा के स्वागत से हुई।
मौके पर जेडीए की ओर से डॉ बीएन मिश्रा का स्वागत डॉ अजीत, डॉ आशुतोष, डॉ राणा व डॉ सुरेंद्र ने किया। मौके पर डॉ बीएन मिश्रा ने बताया कि यह बीमारी एक हजार बच्चों में एक बच्चे को है। वहीं 100 बड़े लोगों में से एक को यह बीमारी है। 56 मिनट की इस फिल्म को बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ बीएन मिश्रा व उनकी टीम ने तैयार किया है।
बनारस के बैकग्राउंड पर आधारित यह फिल्म प्रीति नाम की एक लड़की की सच्ची कहानी पर आधारित है। प्रीति को मिर्गी की बीमारी हो जाती है। जहां वह रहती है, उसके आसपास के लोग इसे भूत की वजह से होने वाली बीमारी मान लेते हैं। प्रीति की मां मीनाक्षी को लोग झाड़-फूंक के लिए कहते हैं, लेकिन वह अंधविश्वास में पड़ने की बजाय चिकित्सकों से मिलकर उसका इलाज कराती है।
इलाज से वह ठीक हो जाती है। पहली बार 2013 में राष्ट्रपति भवन में हुआ था प्रदर्शन इस फिल्म के संबंध में इसे तैयार करने वाले डॉ बीएन मिश्रा ने बताया कि इस फिल्म को पहली बार 2013 में राष्ट्रपति भवन में डॉ प्रणब मुखर्जी के समक्ष प्रदर्शित किया गया था।
इस फिल्म को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में इंटरनेशनल इपिलिप्सी अवेयरनेस अवार्ड से नवाजा जा चुका है। यह पहली ऐसी फिल्म है, जिसका रिव्यू मेडिकल जर्नल दि लेंसेंट ने प्रकाशित किया है। इस फिल्म का भारत में डेढ़ हजार से ज्यादा शो हो चुका है। जबकि दुनिया के 53 देशों में इस फिल्म का प्रदर्शन हुआ है। जिसकी सराहना लोगों ने खुले दिल से की है।
मिर्गी के प्रति ऐसी ही जागरूकता भरी बातों की जानकारी देती फिल्म एक नया दिन का प्रदर्शन रिम्स ऑडिटोरियम में किया गया। इस फिल्म को मेडिकल, नर्सिग, पारा मेडिकल के विद्यार्थियों ने देखी। इस फिल्म प्रदर्शन की शुरुआत मुख्य अतिथि बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ बीएन मिश्रा के स्वागत से हुई।
मौके पर जेडीए की ओर से डॉ बीएन मिश्रा का स्वागत डॉ अजीत, डॉ आशुतोष, डॉ राणा व डॉ सुरेंद्र ने किया। मौके पर डॉ बीएन मिश्रा ने बताया कि यह बीमारी एक हजार बच्चों में एक बच्चे को है। वहीं 100 बड़े लोगों में से एक को यह बीमारी है। 56 मिनट की इस फिल्म को बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ बीएन मिश्रा व उनकी टीम ने तैयार किया है।
बनारस के बैकग्राउंड पर आधारित यह फिल्म प्रीति नाम की एक लड़की की सच्ची कहानी पर आधारित है। प्रीति को मिर्गी की बीमारी हो जाती है। जहां वह रहती है, उसके आसपास के लोग इसे भूत की वजह से होने वाली बीमारी मान लेते हैं। प्रीति की मां मीनाक्षी को लोग झाड़-फूंक के लिए कहते हैं, लेकिन वह अंधविश्वास में पड़ने की बजाय चिकित्सकों से मिलकर उसका इलाज कराती है।
इलाज से वह ठीक हो जाती है। पहली बार 2013 में राष्ट्रपति भवन में हुआ था प्रदर्शन इस फिल्म के संबंध में इसे तैयार करने वाले डॉ बीएन मिश्रा ने बताया कि इस फिल्म को पहली बार 2013 में राष्ट्रपति भवन में डॉ प्रणब मुखर्जी के समक्ष प्रदर्शित किया गया था।
इस फिल्म को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में इंटरनेशनल इपिलिप्सी अवेयरनेस अवार्ड से नवाजा जा चुका है। यह पहली ऐसी फिल्म है, जिसका रिव्यू मेडिकल जर्नल दि लेंसेंट ने प्रकाशित किया है। इस फिल्म का भारत में डेढ़ हजार से ज्यादा शो हो चुका है। जबकि दुनिया के 53 देशों में इस फिल्म का प्रदर्शन हुआ है। जिसकी सराहना लोगों ने खुले दिल से की है।
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