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    शराब घोटाला: निलंबित IAS विनय चौबे सहित सभी आरोपितों पर अब 90 दिनों के भीतर चार्जशीट करेगी ACB

    Updated: Mon, 21 Jul 2025 08:22 PM (IST)

    रांची में शराब घोटाला मामले में एसीबी निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे समेत सभी आरोपियों पर 90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करेगी। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के साथ भारतीय न्याय संहिता की धाराएं भी लगी हैं जिनमें अधिक सजा का प्रावधान है। प्राथमिकी में आरोपियों पर पद का दुरुपयोग कर सरकार को 38 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है।

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    निलंबित आईएएस विनय चौबे पर 90 दिनों में चार्जशीट। (फोटो जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अब मुख्य आरोपित निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे सहित सभी आरोपितों पर 90 दिनों के भीतर चार्जशीट करेगी।

    इसका मूल कारण भारतीय न्याय संहिता की कुछ धाराएं हैं, जो भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के अतिरिक्त लगी हुई हैं। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम (पीसी एक्ट) में 60 दिनों के भीतर चार्जशीट की बाध्यता है।

    कानून के विशेषज्ञ बताते हैं कि जिन धाराओं में अधिकतम सजा सात साल तक है, उनमें 60 दिनों के भीतर चार्जशीट की बाध्यता है। इस अवधि में चार्जशीट नहीं करने पर आरोपित जेल से बाहर हो जाएंगे।

    वहीं, जिन धाराओं में सजा इससे अधिक है, उनमें 90 दिनों के भीतर चार्जशीट की अनुमति मिल जाती है। हालांकि, अनुसंधानकर्ता को यह शक्ति मिली हुई है कि वह कोर्ट से अनुसंधान लंबित होने का हवाला देकर चार्जशीट में विलंब के लिए अनुमति ले सकते हैं।

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    निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे से संबंधित शराब घोटाला केस में एसीबी थाना में कांड संख्या 09/2025 में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। इस प्राथमिकी में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के अलावा भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 61 (2), 318, 336, 340, 316, 45 व 49 भी लगे थे।

    अगस्त में होगी चार्जशीट

    इनमें धारा 336 व 340 फर्जी दस्तावेज को असली के रूप में प्रस्तुत करने से संबंधित हैं। ये सात साल से ऊपर की सजा वाली धाराएं हैं। चूंकि ये धाराएं चार्जशीट के लिए 90 दिनों तक का समय देती हैं और उक्त केस से जुड़ी हैं, यही वजह है कि इस केस में एसीबी अब 90 दिनों के भीतर चार्जशीट करेगी। यानी अब विनय कुमार चौबे पर अगस्त में चार्जशीट होगी।

    जो प्राथमिकी दर्ज हुई थी, उसमें आरोप लगा था कि निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे व उनकी टीम ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए नियमों को ताक पर रखकर प्लेसमेंट एजेंसियों का चयन किया।

    आपराधिक मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज के आधार पर सरकार के साथ जालसाजी धोखाधड़ी कर सामूहिक अपराध से प्लेसमेंट एजेंसियों को अनैतिक लाभ पहुंचाया गया। इसके परिणाम स्वरूप राज्य सरकार को लगभग 38 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा।

    20 मई को गिरफ्तार हुए थे चौबे, अब तक दस आरोपित हो चुके हैं गिरफ्तार

    उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे को एसीबी ने 20 मई को गिरफ्तार किया था। उनके साथ-साथ संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह भी गिरफ्तार हुए थे। गजेंद्र सिंह वर्तमान में जमानत पर जेल से बाहर हैं। वे हर दिन विभाग में भी जा रहे हैं, लेकिन अभी उन्हें कोई कार्य नहीं मिला है।

    इस पूरे प्रकरण में अब तक दस आरोपित गिरफ्तार हो चुके हैं। अन्य आरोपितों में पूर्व महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सह अभियान सुधीर कुमार, पूर्व आयुक्त उत्पाद अमित प्रकाश, प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन के नीरज कुमार सिंह, छत्तीसगढ़ के शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया, होलोग्राम कंपनी प्रिज्म होलोग्राफी के विधु गुप्ता, श्री ओम साईं बेवरेजेज के अतुल कुमार सिंह और मुकेश मनचंदा शामिल हैं। एसीबी सभी गिरफ्तार व फरार आरोपितों के विरुद्ध चार्जशीट करेगी।