Jharkhand सड़क दुर्घटनाओं में हर माह 400 लोगों की जा रही जान, रांची टाप और धनबाद दूसरे स्थान पर
राज्य में सड़क हादसे थमने के नाम नहीं ले रहे हैं। सबसे खराब स्थिति राजधानी रांची की है। यहां सर्वाधिक बल सबसे ज्यादा अस्पताल बड़े शहर बड़ी यातायात व्यवस्था के बावजूद न हादसों पर अंकुश है न ही मौत के आंकड़े कम हो रहे। सड़क सुरक्षा कोषांग के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो यहां सड़क दुर्घटनाओं में रांची टाप पर है धनबाद दूसरे तथा हजारीबाग तीसरे स्थान पर है।

राज्य ब्यूरो, रांची । लगातार कानूनी कार्रवाई के बावजूद सड़क हादसे थमने के नाम नहीं ले रहे हैं। सबसे खराब स्थिति राजधानी रांची की है। यहां सर्वाधिक बल, सबसे ज्यादा अस्पताल, बड़े शहर, बड़ी यातायात व्यवस्था के बावजूद न हादसों पर अंकुश है, न ही मौत के आंकड़े कम हो रहे।
सड़क सुरक्षा कोषांग के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो यहां सड़क दुर्घटनाओं में रांची टाप पर है, धनबाद दूसरे तथा हजारीबाग तीसरे स्थान पर है।
रिकार्ड के अनुसार पूरे राज्य में एक जनवरी से 31 जुलाई तक कुल 3500 सड़क दुर्घटनाएं हुईं हैं। इन दुर्घटनाओं में 2800 लोगों ने अपनी जान गंवाईं हैं।
इन दुर्घटनाओं में 1708 लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए, जबकि 493 सामान्य रूप से घायल हुए हैं। इन सात महीनों में सिर्फ रांची में 467 सड़क हादसे हुए, जिनमें 325 लोगों की मौत हुई।
धनबाद में 236 सड़क हादसों में 135 लोगों की जान गई। हजारीबाग में 231 सड़क हादसे हुए, जिनमें 191 लोगों ने जान गंवाईं। गिरिडीह में भी 222 सड़क दुर्घटनाओं में 199 लोगों की मौत हो चुकी है। जमशेदपुर में भी 190 सड़क दुर्घटनाओं में 128 लोगों ने जान गंवाईं हैं।
छोटे शहरों में भी सड़क हादसे में जा रहीं जानें
राज्य में छोटे शहरो में भी खूब सड़क हादसे हो रहे हैं और इसमें लोगों की जानें जा रहीं हैं। जैसे गुमला जिले में जनवरी से जुलाई तक सात महीने में 168 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 152 लोगों की मौत हुईं।
खूंटी में 114 सड़क दुर्घटनाओं में 104 ने जान गंवाईं, चाईबासा में 131 सड़क दुर्घटनाओं में 131 की जान गई जबकि सरायकेला-खरसांवा जिले में 154 सड़क दुर्घटनाओं में 133 लोगों की जानें गईं हैं।
छोटे शहरों में अस्पताल की कमी मौत की बड़ी वजह
सड़क सुरक्षा कोषांग ने सड़क हादसे व इससे होने वाली मौतों की वजह तलाशने की भी कोशिश की है। इसमें जो मूल कारण निकलकर सामने आए हैं, उनमें अस्पताल की कमी व एंबुलेंस के रिस्पांस टाइम अधिक होना बताया गया है।
जैसे गिरिडीह में अस्पतालों की संख्या बहुूत कम हैं। वहां एंबुलेंस का रिस्पांस टाइम अधिक लग जाता है, जिसके चलते घायलों की जान बचाने में बहुत समय निकल जाता है।
चाईबासा में भी यही कारण है। दुर्घटनाओं के समय का भी आकलन किया गया है। इसके अनुसार शाम छह बजे से नौ बजे के बीच सर्वाधिक दुर्घटनाएं होती हैं।
इस अवधि में कार्यालय से छुट्टी होती है, दिनभर काम से थके होकर घर जाते हैं, ओवरस्पीडिंग करते हैं, शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं, यह दुर्घटना की बड़ी वजह बनती है।
इसी तरह रात में 11 बजे से सुबह छह बजे के बीच दुर्घटनाओं में इलाज के लिए घायलों को ले जाने वाला नहीं मिलता है, जिससे जानें जाती हैं। इसके लिए सड़क सुरक्षा कोषांग ने सभी जिलों को हाइवे पेट्रोलिंग बढ़ाने पर जोर दिया है।
राज्य में अब तक अधिसूचित नहीं है राहबीर योजना
राज्य में अब तक राहबीर योजना अधिसूचित नहीं है। यह कार्य परिवहन विभाग का है, क्योंकि यही विभाग इसकी लीड एजेंसी है।
राहबीर योजना गुड समरटिन की अपग्रेड वर्जन है। इसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने पूरे देश के लिए जारी किया था। सभी राज्यों को अपने-अपने राज्य में इस योजना को अधिसूचित करना था।
इसके तहत जब कोई व्यक्ति घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो उसे 25000 रुपये का इनाम मिलता है। यह तभी होगा, जब यह योजना उस राज्य में अधिसूचित होगी।
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