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बांस की स्टिक से प्रैक्टिस कर चैंपियन बनी अंजलि

जूनियर नेशनल महिला हॉकी में झारखंड को चैंपियन बनाने में रांची की अंजलि की भूमिका अहम रही।

By Edited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 07:49 AM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 07:52 AM (IST)
बांस की स्टिक से प्रैक्टिस कर चैंपियन बनी अंजलि
बांस की स्टिक से प्रैक्टिस कर चैंपियन बनी अंजलि

रांची, जासं। जूनियर नेशनल महिला हॉकी में झारखंड को चैंपियन बनाने में रांची की अंजलि बिंझिया का अहम योगदान है। टीम की 18 चैंपियन बेटियों में से एक अंजलि की सफलता की कहानी किसी को प्रेरित कर सकती है। मुसीबतें और आर्थिक तंगी अंजलि की राह में भी थी लेकिन उसने कभी इनसे हार नहीं मानी। बांस की स्टिक से ढेले को गेंद बनाकर मैदान पर घंटों अभ्यास करती रही। उसकी मेहनत रंग लाई और स्कूल में ट्रेनिंग लेकर वह परिपक्व हो गई। अंजलि टीम की गोलकीपर है और केरल में हुई चैंपियनशिप में टीम की जीत में उसने अहम रोल निभाया।

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आज चैंपियन टीम का हिस्सा बनकर वह गौरवान्वित है। सीना तो मां-बाप का भी चौड़ा हो गया है। सोमवार की सुबह हरदाग में लोगों की आंख खुली तो अखबार से पता चला कि अंजलि राष्ट्रीय चैंपियन हो गई है। अंजलि के पिता को पड़ोसी ने बताई पूरी बात। तब वह आम दिनों की ही तरह अपने छोटे से होटल में आलू चॉप व ढुसका बना रहे थे। फिर तो एक के बाद एक बधाई का तांता लग गया। सबके मुंह से बेटी की बड़ाई और बधाई पाकर पिता मदन सिंह बिंझिया गदगद थे।

पिता मदन ने बताया कि इसी छोटे से होटल से घर का खर्च चलता है और अंजलि की हॉकी का खर्च भी। बचपन में गुड़िया की जगह वह अंजलि का रुझान हॉकी की ओर देखा। तभी फैसला लिया कि बेटी को आगे बढ़ाना है इस क्षेत्र में। हॉकी स्टिक खरीदने के पैसे नहीं थे तो अंजलि बांस की जड़ को स्टिक बना लेती। ढेला को गेंद मानकर अभ्यास करती पूरे लगन के साथ। हरदाग मैदान में घंटों पसीना बहाती। पिता ने कहा कि अंजलि ने कभी शिकायत नहीं की कि उसे कोई दिक्कत है। परेशानियों का रोना नहीं रोया। संत जोसेफ स्कूल में पढ़ाई के क्रम में वह साथियों की स्टिक से ही अभ्यास करती। उसका यह लगाव जुनून बन गया। 2015 में वह झारखंड की जूनियर टीम में चुनी गई।

नेशनल चैंपियनशिप में उस वर्ष झारखंड की टीम उपविजेता रही। बाद में वह बरियातू हॉकी आवासीय सेंटर से जुड़ी और यहां से उसके खेल में निखार आता गया। 2017 में खेलो इंडिया में उपविजेता रही झारखंड टीम की सदस्य रही। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा है और आज झारखंड टीम की नियमित खिलाड़ी है। पिता ने उम्मीद जताई कि उसकी बेटी को आगे अगर सरकारी मदद और अच्छी ट्रेनिंग मिले तो वह सीनियर टीम में शामिल होकर देश का नाम रोशन कर सकती है। सेमीफाइनल में जीत दिलाई : अंजलि बिंझयानी झारखंड टीम की गोलकीपर है। इस वर्ष जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में उत्तर प्रदेश के खिलाफ झारखंड ने टाईब्रेकर में 2-1 से जीत दर्ज की। इस जीत की नायिका अंजलि ही थी। उसने उत्तर प्रदेश को पेनाल्टी स्ट्रोक से सिर्फ एक गोल करने दिया।


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