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    महिलाओं के लिए संविधान में कई प्रावधान

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    Updated: Wed, 27 Nov 2013 01:21 AM (IST)

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    रांची : लैंगिक समानता का सिद्धांत भारतीय संविधान के मूल तत्वों में शामिल है। इसलिए भारतीय संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्वों में महिला सुरक्षा, सम्मान, विकास व भेदभाव से बचाव के प्रावधान किए गए हैं।

    संविधान महिलाओं को न सिर्फ समानता का अधिकार देता है, बल्कि राज्यों को महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक प्रावधान करने भी कहा गया है।

    भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था, हमारे कानून, विकासात्मक नीतियों व योजनाओं के तहत हर क्षेत्र में महिलाओं के विकास को प्रमुखता दी गई है। संविधान के अनुच्छेद 14,15,16,39 व 42 में इसकी चर्चा की गई है। अनुच्छेद 14 महिलाओं को कानून के समक्ष समानता का अधिकार देता है। अनुच्छेद 15 (1) में कहा गया है कि राज्य किसी भी नागरिक से धर्म, जाति, लिंग व जन्म स्थान के नाम पर भेदभाव नहीं करेगा। अनुच्छेद 15 (3) में महिला और बच्चों के पक्ष में विशेष प्रावधान करने को कहा गया है। तो अनुच्छेद 16 में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता की बात कही गई है। संविधान में इन तमाम प्रावधानों के बावजूद जमीनी हकीकत अलग कहानी बयान करती है। महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे महिलाओं को बचाने के लिए 1956 से अबतक 50 से भी ज्यादा कानून बन चुके हैं।

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    प्रमुख कानून

    1. अनैतिक व्यापार निषेध कानून 1956

    2. दहेज निषेध कानून 1961, इसमें 1986 में संशोधन हुआ।

    3. महिला अमर्यादित चित्रण निषेध कानून 1986

    4. सती निषेध कानून 1987

    5. घरेलू हिंसा महिला सुरक्षा कानून 2005

    6. कार्यस्थल में महिला दुराचार निषेध कानून 2013

    7. मातृत्व लाभ कानून 1961

    8. पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994

    9. गर्भपात कानून 1971

    10. राष्ट्रीय महिला आयोग कानून 1990

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