Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नौकरी के नाम पर झांसा देने वाले 10 आरोपितों को नहीं मिली राहत, कोर्ट ने बताया संगठित अपराध

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 12:47 PM (IST)

    अपर न्यायायुक्त एके तिवारी की अदालत ने बेरोजगार युवाओं को कृषि विभाग में नौकरी दिलाने की लालच देकर लाखों की ठगी मामले में नामजद एक महिला सहित दस आरोपितों को अग्रिम राहत देने से इन्कार किया है।अदालत ने माना कि यह एक संगठित अपराध है जो बेरोजगार युवाओं के साथ धोखाधड़ी और शोषण का गंभीर उदाहरण है।

    Hero Image
    नौकरी के नाम पर झांसा देने वाले 10 आरोपितों को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत।

    राज्य ब्यूरो, रांची। अपर न्यायायुक्त एके तिवारी की अदालत ने बेरोजगार युवाओं को कृषि विभाग में नौकरी दिलाने की लालच देकर लाखों की ठगी मामले में नामजद एक महिला सहित दस आरोपितों को अग्रिम राहत देने से इन्कार किया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत ने सभी की ओर से दाखिल अग्रिम जमानत पर सुनवाई करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी। जिनको राहत नहीं मिली है, उसमें लवजी ठाकुर, मुरारी यादव, अरुण कुमार श्रीवास्तव, मनीषा कुमारी, पंकज कुमार, मधुरेंद्र कुमार पाठक, अजय कुमार मसीह, गुड्डू कुमार, अभिषेक कुमार और श्रवण पंडित शामिल हैं।

    इसी मामले में एक आरोपित मनीष कुमार जेल में है। अदालत ने माना कि यह एक संगठित अपराध है, जो बेरोजगार युवाओं के साथ धोखाधड़ी और शोषण का गंभीर उदाहरण है।

    ठगी मामले को लेकर नामकुम थाना में वर्ष 2025 में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। मामले के अनुसार आर्यावर्त एसोसिएट नामक कंपनी के जरिए बेरोजगार युवाओं को कृषि विभाग में नौकरी दिलाने की लालच देकर लाखों रुपये ठगे गए।

    अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत देने से निष्पक्ष जांच प्रभावित होगी और समाज पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

    शिकायतकर्ता वीर भगत सिंह सरदार ने आरोप लगाया कि उसकी बहन को नौकरी का झांसा दिया गया और फार्म भरने व नियुक्ति के लिए 31 हजार रुपये मांगे गए।

    बाद में कथित ट्रेनिंग के नाम पर दर्जनों युवाओं को एक हाल में रखा गया, जहां उन्हें मनोविज्ञान पढ़ाया जा रहा था। विरोध करने पर पीड़ित को बंधक बनाकर धमकाया गया ।

    झूठे मामले में फंसाने की भी बात कही गई। सीआइडी और नामकुम पुलिस की संयुक्त छापेमारी में कंपनी कार्यालय और विवाह भवन से कई दस्तावेज, लैपटाप और फार्म बरामद हुए। सह-आरोपित मनीष कुमार ने भी बयान में सभी याचिकाकर्ताओं की संलिप्तता स्वीकार की।

    तेजाब पीड़िता मामले की जांच का जिम्मा झालसा के सचिव को 

    रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने साहिबगंज के राजमहल में तेजाब पीड़िता के बेहतर इलाज की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले की जांच झालसा के सचिव को सौंपी है।

    अदालत ने पीड़िता के बेहतर इलाज के बारे में जांच कर दो सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी।

    इस संबंध में तेजाब पीड़िता की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर बेहतर इलाज की मांग की गई है। उनकी ओर से अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने अदालत को बताया कि जमीन विवाद में पीड़िता और उसकी नाबालिग बच्ची पर तेजाब फेंका गया।

    हमले के बाद उनको बेहतर इलाज के लिए रिम्स भेजा गया। अभी वहां पर इलाज चल रहा है, लेकिन स्थिति ठीक नहीं है।

    इसलिए उनके बेहतर इलाज के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन कर दिल्ली या अन्य जगहों पर ले जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसका खर्च सरकार को वहन करना चाहिए।

    इसके बाद अदालत ने मामले की जांच झालसा सचिव को करने का निर्देश दिया है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि बेहतर इलाज रिम्स में संभव है या पीड़िता को दूसरी जगह भेजा जाए।

    comedy show banner
    comedy show banner