Jharkhand Alert: दिसंबर के पहले हफ्ते नक्सली हिंसा की आशंका, सुरक्षा बल और खुफिया अलर्ट
Jharkhand News झारखंड में दो से आठ दिसंबर तक नक्सली किसी भी क्षेत्र में बड़ी घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए झारखंड पुलिस व सुरक्षा बल अभी से अलर्ट मोड में आ गए हैं। दरअसल पीएलजीए की 22वीं वर्षगांठ की तैयारियों में नक्सली जुटे हैं।

रांची, राज्य ब्यूरो। भाकपा माओवादियों का दस्ता इन दिनों पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की 22वीं वर्षगांठ की तैयारियों में जुट गया है। प्रत्येक वर्ष दो से आठ दिसंबर तक नक्सली यह वर्षगांठ मनाते हैं। इस दरम्यान वे इस प्रयास में रहते हैं कि सुरक्षा बलों को चोट पहुंचाएं। इसे देखते हुए पुलिस भी अलर्ट है और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपनी खुफिया एजेंसी को सक्रिय कर दी है। पुलिस मुख्यालय को भी पीएलजीए के वर्षगांठ की सूचना है और बहुत जल्द ही सभी जिलों को एक विधिवत अलर्ट जारी होगी।
दो दिसंबर को हुई थी पीएलजीए की स्थापना
एक सप्ताह तक चलने वाले नक्सलियों के इस आयोजन के दौरान नक्सल क्षेत्रों में पुलिस व सुरक्षा बलों की गश्त तेज होगी, ताकि वे सड़क, रेलवे व विकास योजनाओं आदि को कोई नुकसान न पहुंचाने पाएं। पीएलजीए की वर्षगांठ के मौके पर नक्सली अपने सबसे मजबूत ठिकाने पर बैठक करते हैं, जिसमें माओवादियों के सेंट्रल कमेटी सदस्य व बड़े नक्सली नेता शामिल होते हैं। इस दौरान नक्सली अपने छोटे कैडर से बंद बुलाने की जिम्मेदारी सौंपते हैं। पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी की स्थापना दो दिसंबर 2000 को हुई थी। वर्ष 2004 में पीएलजीए का भाकपा माओवादियों में विलय हो गया था। यही वजह है कि पूरे देश में माओवादी प्रत्येक वर्ष दो दिसंबर से आठ दिसंबर के बीच पीएलजीए सप्ताह मनाते हैं।
यूनिफाइड कमांड की बैठक भी दो दिसंबर को
उधर, राज्य में नक्सल क्षेत्रों के विकास व नक्सलियों पर नकेल के लिए आगामी दो दिसंबर को झारखंड मंत्रालय में यूनिफाइड कमांड की बैठक होगी। जून 2017 के बाद यह पहली बार है जब यह बैठक हो रही है। इसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे। पांच साल के बाद प्रस्तावित इस बैठक में नक्सल क्षेत्रों में चल रही विकास योजनाओं की समीक्षा से लेकर सुरक्षा समन्वय व अन्य उन सभी बिंदुओं पर चर्चा होगी, जो नक्सल पर नकेल के लिए जरूरी है। इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी अपनी सहमति दे दी है। केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में वर्ष 2019 में दिल्ली के उग्रवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई गई थी। उक्त बैठक में सभी राज्यों को यूनिफाइड कमांड की बैठक लगातार करने का सुझाव दिया गया था, पर ऐसा हो नहीं पाया। केंद्र का पहले से निर्देश है कि प्रत्येक तीन महीने पर यह बैठक होनी है, ताकि नक्सलियों के विरुद्ध चल रहे अभियान की लगातार निगरानी भी होती रहे। इससे केंद्र को भी अवगत कराना होता है।
जानिए क्या है यह यूनिफाइड कमांड
नक्सल क्षेत्रों में सुरक्षा व विकास प्रभावित होते रहे हैं। इसे देखते हुए ही केंद्रीय कैबिनेट ने वर्ष 2010 में यूनिफाइड कमांड के गठन का निर्णय लिया था। इसके बाद झारखंड में वर्ष 2011 में पहली बैठक हुई थी। इसके बाद प्रत्येक वर्ष यह बैठक होने लगी और वर्ष 2017 में अंतिम बार बैठक हुई थी। यूनिफाइड कमांड की बैठक में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के अलावा वहां विकास कार्यों में लगी सरकारी एजेंसियों के प्रमुख होते हैं। बैठक में उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश होती है और आपसी समन्वय पर जोर, खुफिया एजेंसियों की सक्रियता व पड़ोसी राज्यों के साथ सुरक्षा के मसले पर समन्वय आदि विषयों पर विचार-विमर्श किया जाता है ताकि उसका हल निकाला जा सके। यूनिफाइड कमांड की बैठक में सामने आए मुद्दों को केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाता है, जो पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय बनाने में एक कड़ी का काम करता है। इन बैठकों से नक्सल क्षेत्रों में चलने वाले अभियान को बल मिलता है।

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