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    धन-धन रामदास गुरु जिन सिरिआ तिने सवारिआ..

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 15 Oct 2019 09:04 PM (IST)

    धन-धन रामदास गुरु जिन सिरओ तिने सावरिआ.. भूले मारगु जिनहि बताए एैसा गुरु पाऐआ..इक अरदास भाट कीरति की गुरु रामदास राखो शरनाई.. धान-धान हमारे भाग धरि आया पिर मेरा..आदि गुरुवाणी से शहर की फीजाओं में मधुर वाणी घूल रही थी।

    धन-धन रामदास गुरु जिन सिरिआ तिने सवारिआ..

    संवाद सहयोगी, रामगढ़ : धन-धन रामदास गुरु जिन सिरओ तिने सावरिआ.., भूले मारगु जिनहि बताए, एैसा गुरु पाऐआ..,इक अरदास भाट कीरति की गुरु रामदास राखो शरनाई.., धान-धान हमारे भाग धरि आया पिर मेरा..आदि गुरुवाणी से शहर की फीजाओं में मधुर वाणी घूल रही थी। मौका था गुरुद्वारा साहिब में मंगलवार को सिख पंथ की गुरु परंपरा के चौथे गुरु श्री गुरुरामदास जी का प्रकाश उत्सव का। इसे बड़ी ही श्रद्धा, भक्ति व उत्साह के साथ मनाया गया। गुरु जी से संबंधित इतिहास की जानकारी देते हुए महासचिव जगजीत सिंह सोनी ने संगत को बताया कि गुरु रामदास जी का जन्म 1534 में लाहौर में हुआ और 1574 में ये गुरुनानक जी की चौथी ज्योति के रूप में गुरु गद्दी पर विराजमान हुए। कहा कि गुरु की परंपरा के अनुसार इन्होने कई महत्वपूर्ण कार्यों व रचनाओं की रचना की। जिसमें अमृतसर शहर की 1574 में स्थापना, अमृतसर के सरोवर का निर्माण, जिस गुरुवाणी के गायन करते हुए लड़के-लड़की का विवाह संपन्न होता हैं उन चार लावा की रचना भी उनके द्वारा ही की गई। अमृतसर का पहला नाम भी चक रामदास था। शहर में कई तरह के निर्माण व उच्च कोटी के कारीगर भी उन्होंने बसकर अमृतसर को पूरे भारत में एक महत्वपूर्ण शहर के रूप में स्थापित किया। इधर विशेष आमंत्रित छत्तीसगढ़ वाले जत्थे भाई देवेंद्र सिंह निरोल एवं हजूरी रागी भाई तीरथ सिंह जी ने गुरुवाणी के मधुर शब्दों का गायन कर संगत को निहाल करते हुए मंत्र मुग्ध कर दिया। गुरु के मुख्य ग्रंथी बाबा गुरजीत सिंह एवं ज्ञानी निरंजन सिंह जी ने भी गुरु जी से संबंधित अनेक प्रसंगों एवं इतिहास की जानकारी कथावाचन द्वारा जीवंत की। बाद में गुरु के लंगर का वितरण किया गया।

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    ये लोग थे मौजूद

    प्रधान रमिदर सिंह गांधी, बलविदर सिंह पवार, रघुवीर सिंह छाबड़ा, कुलवंत सिंह मारवा, इंदरपाल सिंह सैनी, प्रीतम सिंह कालरा, डॉ. नरेंद्र सिंह, रंजीत सिंह छाबड़ा, नरेंद्र सिंह गांधी, मंजीत सिंह गांधी, नरेंद्र सिंह, मंजीत सिंह गांधी, इंदरजीत सिंह होरा, मंजीत सिंह होरा, जगमीत सिंह छाबड़ा, पप्पू जस्सल, गुरुविदर सिंह कालरा, बिट्टू सिंह चंडोक, दलजीत सिंह आनंद, तजिद्र सिंह सोनी, मनबीर कौर, गुरुशरण कौर कालरा, रंजीत कौर पवार, नवनीत कौर पवार, पिकी गांधी, बिमला मेहरा, जसमीत कौर सोनी, सतपाल कौर सोनी, जसप्रीत कौर जौली, नरेंद्र कौर सैनी, पम्मी कालरा, बलविदर कौर छाबड़ा आदि मौजूद थे।

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