कोयला के बहाने ही मिले रोजगार तो क्यों जाएंगे परदेश
झारखंड आत्मनिर्भर अभियान कोयला के बहाने ही मिले रोजगार तो क्यों जाएंगे परदेश जागरण संवाददाता रामगढ़ रामगढ़ जिले की मुख्य पहचान कोयला है। लेकिन कई तरह की
जागरण संवाददाता, रामगढ़ : रामगढ़ जिले की मुख्य पहचान कोयला है। लेकिन कई तरह की खामियों के कारण पिछले एक दशक के अंदर कोयला खदानें धीरे-धीरे बंद होती जा रही हैं। कोयला खनन की जिम्मेदारी बाहर की आउटसोर्सिंग कंपनियों को दे दी जा रही है। कोलियरियों में लोकल सेल के बंद हो जाने से हजारों मजदूर बेकार हो गए हैं। कोलियरियों के उत्पादित कोयले को लोकल सेल के माध्यम से स्थानीय मजदूर ट्रकों में लादने का काम कर 12 महीने रोजगार पाते थे। कोल इंडिया की पॉलिसी ने हार्ड कोक भट्ठों को बेसिक रेट पर मिनिमम प्रोडक्ट क्वांटिटी(एमपीक्यू) में कोयले की आपूर्ति करना बंद कर दिए। इससे हार्ड कोक सहित कोयला आधारित अन्य लघु उद्योग बीमार होते चला गया। अंतत: संसाधनों के अभाव में इन फैक्ट्रियों ने धुआं उगलना बंद कर दिया। इससे जिले के हजारों लोग बेकार हो गए। उनकी रोजी छिन गई। यदि इस दिशा में सरकार, जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन की ओर से ठोस पहल हो तो जिले में कोयला आधारित उद्योगों की स्थापना हो सकती है। इससे उद्यमियों को लाभ होने के साथ-साथ जिले के बेराजगार युवकों व मजदूरों को रोजगार का सृजन भी होगा। जिले में कोयला से संभावनाएं असीमित हैं। बस कोशिश की है कमी है। कोशिश की जाए तो कोयला से जुड़े कारोबार से लोग आत्मनिर्भर हो सकते हैं।
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फोटो 20 विजय मेवाड़
रामगढ़ जिले में एक दशक पहले तक कोयला आधारित उद्योगों में चमक-धमक थी। सैकड़ों लोग इस उद्योग से आत्मनिर्भर थे। लेकिन संशाधनों की कमी व सरकार की नीति के कारण आज सभी कोयला आधारित उद्योग रूग्ण हो गई। हार्ड कोक फैक्ट्रियों को पहले एमपीक्सू के माध्यम से बेसिक रेट पर कोयला आवंटित होता था। अब बेसिक रेट से प्रर्याप्त मात्रा में कोयले का आवंटन बंद हो गया। यदि सरकार पुन: बेसिक रेट पर पर्याप्त मात्रा में उद्यमियों को कोयला आवंटन करना शुरू कर दे तो फिर से फैक्ट्रियां शुरू हो सकती है। इसमें उद्यमियों को लाभ तो होगा ही, जिले के सैकड़ों कुशल व अशकुल मजदूरों को रोजगार मिलेगा।
विजय मेवाड़, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती रामगढ़।
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फोटो 21- काशीनाथ महतो।
कोयला आधारित उद्योग के माध्यम से अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराने के लिए सीसीएल प्रबंधन व सरकार को चाहिए कि जिले में बंद पड़े खदानों को चालू कराएं। लोकल सेल के माध्यम से कोयला की बिक्री कराने की व्यवस्था कराएं। इससे काफी संख्या में रोजगार का सृजन होगा। इसके अलावा सीसीएल सपोर्ट ई-ऑक्शन में नियमित रूप से प्रति माह काफी मात्रा में कोयले का ऑक्शन पर डीओ धारकों, ट्रक मालिकों, लिफ्टरों, बेरोजगारों को रोजगार मिलने के साथ सरकारी राजस्व में भी वृद्धि होगी।
- काशीनाथ महतो डीओ धारक सह अध्यक्ष झारखंड कोल ट्रेडर्स एसोसिएशन।
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फोटो 22- मनोज अग्रवाल
सीसीएल जिले के सभी बंद खदानों को खोल दें और इससे संबंधित उद्योगों को पुन: चालू करा दें तो पूरे रामगढ़ जिला देश में आत्मनिर्भर व रोजगार के मामले में अव्वल होगा। सीसीएल प्रबंधन लोकल सेल में नियमित रूप से ऑक्शन नहीं करती है।अगर स्पोर्ट ई-ऑक्शन के माध्यम से सीसीएल कोयले का ऑक्शन नियमित कराएं तो क्षेत्र में रोजगार की कमी नहीं होगी। यहां के लोगो को रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश जाने की आवश्यकता नही पड़ेगी। कोयले का काफी मात्रा में ऑक्शन होने पर सभी तबके के लोगो को फायदा होगा।
- मनोज अग्रवाल, डीओ धारक।
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फोटो 23- राजीव कुमार गुप्ता
सीसीएल के गलत नीति के कारण डीओ धारकों व ट्रक मालिकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। सीसीएल द्वारा वर्तमान में वर्ष में दो से चार बार स्पोर्ट ई ऑक्शन में कोयले का ऑक्शन कराया जा रहा है। इससे कोयले के दाम में काफी उतार चढ़ाव होता है। इससे संबंधित उद्योगों का रुझान विदेशी कोयले की ओर जा रहा है। इससे रोजगार पाने वालों का रोजगार खत्म हो रहा है। प्रबंधन लोकल सेल चालू करें। नीति में बदलाव लाए, तो डीओ धारकों, ट्रांसपोर्टरों, उद्यमियों के
साथ-साथ मजदूरों व बेराजगार युवकों को रोजगार की कमी नहीं होगी।
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- राजीव कुमार गुप्ता, कोयला ट्रांसपोर्टर।
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24- कल्याण कुमार पांडेय।
रामगढ़ जिला काला हीरा से घिरा है। यहां कोयले कारोबार से सभी वर्ग के लिए रोजगार की असीम संभावनाएं है। परन्तु गलत नीति के कारण यहां के लोगों को रोजगार के लिए अन्यंत्र जाना पड़ता है। सीसीएल कुजू क्षेत्र में 10 वर्ष पहले सीसीएल की आठ परियोजनाएं चलती थीं। वर्तमान में सिर्फ दो परियोजनाएं तोपा व करमा चल रहा है। अगर सीसीएल नियत व नीति में सुधार करके सभी परियोजना को चालू कर दें और लोकल सेल के माध्यम से स्पोर्ट ई ऑक्शन में अधिक अधिक से मात्रा में कोयले का ऑक्शन कराए तो बेरोजगारी, रैयतों, डीओ धारकों, ट्रक मालिकों सहित क्षेत्र के छोटे बड़े व्यापार करने वालों को फायदा होगा। यहां के बेरोजगार व मजदूरों के लिए काम की कमी नहीं होगी। सभी आत्मनिर्भर बन जाएंगे।
- कल्याण कुमार पांडेय डीओ धारक।