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    सड़क नहीं तो जान चली गई, प्रसव पीड़ा में कराहती गर्भवती को बहंगी से ढोकर पहुंचाया अस्पताल;मां बनने से पहले मौत

    By Santosh KumarEdited By: Nishant Bharti
    Updated: Sun, 14 Dec 2025 04:34 PM (IST)

    गुमला जिले के घाघरा प्रखंड के झलकापाट गांव में सड़क सुविधा न होने से एक गर्भवती महिला की मौत हो गई। प्रसव पीड़ा से जूझ रही सुकरी कुमारी को परिजनों ने ...और पढ़ें

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    सड़क नहीं तो जान चली गई

    जागरण संवाददाता, गुमला। घाघरा प्रखंड क्षेत्र के सुदूरवर्ती दीरगांव पंचायत अंतर्गत झलकापाट गांव से रविवार को मानवता और सरकारी व्यवस्था को झकझोर देने वाली घटना सामने आई। सड़क सुविधा के अभाव में प्रसव पीड़ा से जूझ रही गर्भवती महिला सुकरी कुमारी (उम्र लगभग 30 वर्ष), पति जगन्नाथ कोरबा, को परिजनों ने बहंगी  (डोली) में लादकर करीब एक किलोमीटर पैदल काड़ासिल्ली गांव तक पहुंचाया। 

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    इसके बाद ममता वाहन की सहायता से महिला को घाघरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। 

    एंबुलेंस या अन्य चारपहिया वाहन गांव नहीं पहुंच सके

    परिजनों के अनुसार रविवार सुबह करीब 11 बजे सुकरी कुमारी को तेज प्रसव पीड़ा शुरू हुई। झलकापाट गांव तक पक्की सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस या अन्य चारपहिया वाहन गांव नहीं पहुंच सके। 

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    मजबूरी में ग्रामीणों ने खुद झिलगी तैयार की और उबड़-खाबड़, पथरीले रास्ते से महिला को कंधों पर उठाकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया। इस दौरान परिजन लगातार मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन सड़क के अभाव ने हर प्रयास को सीमित कर दिया।

    बरसात के मौसम में हालात और भी भयावह 

    ग्रामीणों ने बताया कि झलकापाट गांव पूरी तरह पठारी और दुर्गम इलाके में बसा है। बरसात के मौसम में हालात और भी भयावह हो जाते हैं। ऐसे में बीमार, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाना जान जोखिम में डालने जैसा होता है। कई बार इसी तरह की परिस्थितियों में लोगों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ा है।

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    इस घटना ने सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था और बुनियादी ढांचे की पोल खोल दी है। ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के करीब 78 वर्ष बीत जाने के बावजूद झलकापाट गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है। सड़क नहीं होने से शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार तक पहुंच बेहद कठिन हो गई है। कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग किए जाने के बावजूद अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला।

    ग्रामीणों ने प्रशासन से अविलंब झलकापाट गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने की मांग की है। घाघरा प्रखंड मुख्यालय से यह गांव लगभग 30 किलोमीटर दूर है, लेकिन विकास की दूरी इससे कहीं अधिक नजर आती है।