कुख्यात गिरोह के सरगना डब्लू सिंह ने पलामू पुलिस के सामने किया सरेंडर, 37 मामले हैं दर्ज
पलामू में अपराध जगत के कुख्यात सरगना डब्लू सिंह ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। उस पर हत्या अपहरण रंगदारी जैसे 37 मामले दर्ज हैं और वह 2005 से अपराध में सक्रिय था। एसपी रिष्मा रमेशन के समक्ष उसने शहर थाना में सरेंडर किया। डब्लू सिंह ने कहा कि वह राज्य सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर मुख्यधारा में शामिल हो रहा है।
संवाददाता, मेदिनीनगर (पलामू)। पलामू में अपराध की दुनिया का बड़ा नाम गौतम कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह आखिरकार पुलिस के सामने झुक गया।
कुख्यात गिरोह का सरगना डब्लू सिंह ने बीते रविवार की रात लगभग 10.30 बजे शहर थाना में पुलिस अधीक्षक रिष्मा रमेशन के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
झारखंड में यह पहला मौका है जब किसी सक्रिय गैंग का सरगना औपचारिक तौर पर पुलिस के सामने हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने की घोषणा की है।
अपराध जगत में रहा कुख्यात नाम
डब्लू सिंह मूल रूप से लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के फुलांग गांव का रहने वाला है। वर्ष 2005 से अपराध की दुनिया में सक्रिय रहा।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार उसके खिलाफ 37 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, अपहरण और रंगदारी जैसे संगीन अपराध शामिल हैं। उसका नेटवर्क पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, रांची और जमशेदपुर तक फैला हुआ था।
कुणाल सिंह हत्याकांड के बाद हुआ था फरार
वर्ष 2014 में लातेहार पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था और वह लंबे समय तक देवघर जेल में रहा। 2018 में बेल पर बाहर आने के बाद उसने फिर से सक्रियता बढ़ाई।
3 जून 2020 को शहर थाना क्षेत्र में कुख्यात गैंगस्टर कुणाल सिंह की हत्या हुई। इस हत्याकांड में डब्लू सिंह गिरोह का नाम सामने आया और तभी से वह लगातार फरार चल रहा था।
मुख्यधारा में शामिल होने की ओर कदम
आत्मसमर्पण के बाद डब्लू सिंह ने कहा कि उसने राज्य सरकार की आत्मसमर्पण नीति और पलामू एसपी की पहल से यह निर्णय लिया है।
पत्रकारों से बातचीत में उसने कहा कि मैं बहुत बड़ा अपराधी नहीं हूं, थोड़ी-बहुत गलती हुई है। कोर्ट का जो आदेश होगा, उसका पालन करूंगा। अपने साथियों से अपील करता हूँ कि वे अपराध छोड़कर सही रास्ते पर लौटें।
सात साल से फरार था डब्लू
एसपी रिष्मा रमेशन ने सोमवार को पत्रकारों को बताया कि डब्लू सिंह सात साल से फरार था। 2005 से 2014 तक उसके खिलाफ 33 मामले दर्ज हुए थे, जबकि जेल से बाहर आने के बाद भी उस पर चार मामले दर्ज हुए।
उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर नक्सली आत्मसमर्पण करते रहे हैं, लेकिन यह पहला मामला है जब किसी बड़े अपराधी ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है। यह पलामू पुलिस की बड़ी उपलब्धि है।
उन्होंने इस कार्रवाई में शहर थाना के तत्कालीन प्रभारी देवव्रत पोद्दार और उनकी टीम के प्रयास की सराहना भी की।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।