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    बिना NOC ही वन विभाग की जमीन पर बनवा रहे थे सड़क, अधर में लटकी 3 करोड़ की परियोजना

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 12:34 PM (IST)

    सतबरवा में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण वन विभाग की रोक के कारण बाधित है। बिना एनओसी के काम शुरू होने से ग्रामीणों को परेशानी हो रही है जिससे हाट बाजार जाने का रास्ता बंद हो गया है। तीन करोड़ की परियोजना अधर में लटकी है जिससे स्कूली बच्चों और मरीजों को दिक्कत हो रही है।

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    जब एनओसी ही नहीं मिला था, तो संवेदक को काम की स्वीकृति आखिर कैसे दी गई?

    संवाद सूत्र, सतबरवा (पलामू)। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत हो रहे निर्माण कार्य में संवेदक की लापरवाही और वन विभाग की कार्यवाही का खामियाजा सीधे तौर पर स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है। बारिश होते ही सतबरवा हाट बाजार जाने वाला रास्ता बाधित हो जाता है, जिससे हजारों लोग मुख्य मार्ग से कट जाते हैं।

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    बताया गया कि सतबहिनी नाला के पास छोटा पुलिया (छलका) निर्माण कराया जा रहा था। लेकिन करीब 5-6 माह पूर्व वन विभाग ने बिना एनओसी लिए सड़क निर्माण करने के मामले में केस दर्ज कर कार्य पर रोक लगा दी। इसके बाद पुलिया निर्माण की औपचारिक शुरुआत तो हुई, लेकिन बरसात शुरू होते ही काम पूरी तरह ठप हो गया।

    निर्माण अधर में लटकने से स्कूली बच्चों, मरीजों और आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण अजय, लाला यादव, विनोद व सुदामा का आरोप है कि मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना अब “लूट ग्राम सड़क योजना” बन गई है।

    उनका सवाल है कि जब एनओसी ही नहीं मिला था, तो संवेदक को काम की स्वीकृति आखिर कैसे दी गई?

    एनओसी नहीं मिलने से तीन करोड़ की परियोजना ठप

    दरअसल, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत दरूआ रोड से सेरंगदा भाया बंजारी टोला तक 3 करोड़ रुपये की लागत से सड़क निर्माण और कालीकरण का काम होना था। इस परियोजना का शिलान्यास 13 मार्च 2024 को पांकी से भाजपा विधायक डॉ. शशिभूषण मेहता ने किया था। लेकिन अब काम रुक जाने से ग्रामीणों के सपनों की सड़क अधर में लटक गई है।

    स्थानीय लोगों का कहना है कि बरसात में कच्चे रास्तों पर चलना बेहद कठिन हो गया है। नाले में पुलिया अधूरी पड़ी है, जिसके कारण लोगों का हाट-बाज़ार से संपर्क टूट जाता है। ग्रामीणों ने मांग की है कि सरकार और प्रशासन इस परियोजना को शीघ्र शुरू कराए, वरना वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।

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