अपनी संस्कृति कदापि नहीं छोड़ें : आयुक्त
मैथिली भाषा में मिठास होती है। इसका व्यापक प्रसार होना चाहिए। मैथिली भाषी लोग अपने घर से इसकी शुरुआत करें।
मेदनीनगर ,पलामू : मैथिली भाषा में मिठास होती है। इसका व्यापक प्रसार होना चाहिए। मैथिली भाषी लोग अपने घर से इसकी शुरुआत करें। वे जहां कहीं रहें अपनी संस्कृति को कदापि नहीं छोड़ें। ये बातें पलामू के प्रमंडलीय आयुक्त मनोज कुमार झा ने कही। वे बुधवार की रात विद्यापति सेवा समिति के तत्वावधान में स्थानीय दीनदयाल स्मृति नगर भवन में आयोजित विद्यापति स्मृति पर्व के उद्घाटन समारोह को बतौर उद्घाटनकर्ता संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कवि कोकिल विद्यापति की तस्वीर पर माल्यापर्ण किया। कहा कि विद्यापति स्मृति पर्व समारोह हर एक वर्ष मनाया जाना चाहिए। इसकी अपनी जगह व मंच होनी चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता दरभंगा के एलएनएम यूनिवर्सिटी के अवकाश प्राप्त प्राध्यापक आध्यानंद झा ने कहा कि मैथिलवासियों को एकजुटता से आगे बढ़ने की जरूरत है। कहा कि आज की युवा पीढ़ी अन्य संस्कृति को कदापि तरजीह नहीं दें। अपनी संस्कृति से कभी अलग नहीं हों। कहा कि 13वीं शताब्दी में ही मैथिल ब्रह्मण पलामू के किशुनपुर में आए थे। उन्होंने राजा मेदिनीराय व मैथिलीवासी से संबंधित जानकारियां दी। इसके पश्चात जय-जय भैरवि..गोसाउनिक गीत के बोल पर ईशा कुमारी ने भाव नृत्य किया। बाक्स...
जट जटिन नृत्य पर झूमते रहे लोग
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कैप्शन : कार्यक्रम में जट जटिन का नृत्य करते ईशा कुमारी व ऋतिक राज। टिकवा जब-जब मंगलिअऊ रे जट्टा टिकवा काहे न लवले रे, मोरी बाली उमरिया रे जटवा टिकवा काहे ना लवले रे..गीत के बाल पर छोटे-छोटे कलाकारों का मिथिला का जट जटिन नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा। स्थानीय कलाकार सुजीत कुमार के निर्देशन में कथक डांस एकेडमी के कलाकार भाव नृत्य ईशा व ऋतिक राज जट जटिन नृत्य कर अपना लोहा मनवाया। बाक्स..
चानन भेल विषम सरि रे..
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कैप्शन : गीत गाती पूनम मिश्रा। स्वर व संगीत साधिका मधुबनी के बेनीपट्टी से पधारी पूनम मिश्रा ने जैसे ही चानन भेल विषम सरि रे, भूषण भेल भारी..गीत को स्वर दिया तो टाउन हाल में बैठे लोगों ने तालियों से गीत का स्वागत किया। उन्होंने विरह गीत के पतिया लय जायत रे मोरा प्रियतम पास..गीत गाए। उन्होंने श्याम रंग दुल्हा लागे...गीत गाकर सभी को मैथिली संस्कृति का परिचय कराया।
बाक्स..
पिया मोर बालक हम तरूणी रे..
फोटो : 26डालपी 03
कैप्शन : गीत गाती कलाकार ज्योति मिश्रा।
रांची से पधारी कलाकार ज्योति मिश्रा ने कवि कोकिल विद्यापति की रचना पिया मोर बालक हम तरूणी रे, कोन तप चुक लू भेलहूं जननी रे..गीत को अपनी आवाज दी तो सभी ने तालियां बजाकर स्वागत किया। उन्होंने पुन: मिथिलाकुमारी सखी हे जनक दुलारी, सुकुमारी भेलखिन ना..गीत को अपनी मधुर आवाज दी। उन्होंने गाया धोखेबाज चुनरी देखते पिया के .. गीत गाए। इसके बाद उन्होंने एलखिन पिल जानक ओझा.. व किए दुइले दिन के छुट्टी ले क ..गीत गाकर अपनी गायन कला से रू-ब-रू कराया। बाक्स..
मिथिला पर गुमान यो भैया..
कलाकार दुर्गा नंद ने एक से बढ़कर एक गीत गाए। उन्होंने अपना मिथिला पर गुमान यो भैया.., कियेक ने हेत बवंडर.., दिल में बसलौ अहां..मुस्कान में औध के जादू.. व हे गे बुधनी भैए बीडी दीहंगे..गीत गाकर सभी का भरपूर मनोरंजन किया।
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