Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Palamu News: इस जगह अंग्रेजों ने वीर पीतांबर को दी थी फांसी, नीलांबर के साथ मिलकर लड़े थे आजादी की लड़ाई

    पाटन के किशनपुर गांव में वीर पीतांबर को अंग्रेजों ने फांसी दी थी जो आजादी की लड़ाई का मूक गवाह है। यह ऐतिहासिक स्थल आज भी गुमनाम है जिसमें कोई पहचान या सम्मान नहीं है। नीलांबर-पीतांबर ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया था। ग्रामीणों ने पीतांबर की प्रतिमा स्थापित करने की मांग की है ताकि उनकी बलिदान गाथा हमेशा जिंदा रहे।

    By Sachidanand Kumar Edited By: Ashish Mishra Updated: Thu, 14 Aug 2025 10:40 AM (IST)
    Hero Image
    किशनपुर के बनहरि टोला में अंग्रेजों ने वीर पीतांबर को दी थी फांसी। जागरण फोटो

    संवाद सूत्र, जागरण, पाटन (पलामू)। पाटन प्रखंड का किशनपुर गांव आजादी की लड़ाई में दिए गए बलिदान का मूक गवाह है। गांव के बनहरि टोला में आजादी के दीवाने वीर पीतांबर को अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया था। लेकिन विडंबना यह है कि यह ऐतिहासिक स्थल आज भी गुमनाम है-ना कोई पहचान, ना स्मृति-चिन्ह, ना कोई सम्मान है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नीलांबर और पीतांबर दोनों भाई ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में सक्रिय थे। एक दिन वे बनहरि टोला के रास्ते से गुजर रहे थे, तभी अंग्रेजों के चौकीदार ने उन्हें देख लिया और अधिकारियों को खबर दे दी। इसके बाद हुई झड़प में पीतांबर को पकड़ लिया गया, जबकि नीलांबर किसी तरह बचकर निकल गए।

    कुएं के पास महुआ के पेड़ पर फांसी

    किशनपुर मध्य विद्यालय के पास जहां आज एक कुआं है, पहले एक विशाल महुआ का पेड़ था। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि इसी पेड़ पर अंग्रेजों ने पीतांबर को फांसी दी थी।

    85 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रोफेसर अध्यानंद झा याद कर कहते हैं कि नीलांबर-पीतांबर ने अंग्रेजों के दांत चटवा दिए थे। उनकी वीरता और बलिदान से ही यह देश आजाद हुआ।

    नाम मिला पर स्थान भूला

    झारखंड सरकार ने लेस्लीगंज प्रखंड का नाम बदलकर नीलांबर-पीतांबरपुर रखा है, लेकिन वह जगह जहां पीतांबर ने प्राणों की आहुति दी, जिला प्रशासन की नजर से अब तक अछूती है। न स्मारक, न पट्टिका, न कोई सरकारी पहल-इस कारण अधिकतर लोग इस बलिदान स्थल के बारे में जानते तक नहीं।

    वीर योद्धा की प्रतिमा लगाने की मांग

    किशनपुर के ग्रामीणों और बुजुर्गों का कहना है कि बनहरि टोला के कुएं के पास जहां पीतांबर को फांसी दी गई थी, उस स्थान को चिह्नित कर वहां उनकी प्रतिमा लगाई जाए। सेवानिवृत्त प्रोफेसर अध्यानंद झा ने कहा कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्थल बनेगा और बलिदान की गाथा हमेशा जिंदा रहेगी।