जागृत स्वरूप में है हैदरनगर देवी धाम की मां
बाटम आस्था का केंद्र है यह देवी मंदिर वनरात्र पर यहां जुटती है श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मन्नत ह ...और पढ़ें

बाटम
आस्था का केंद्र है यह देवी मंदिर, वनरात्र पर यहां जुटती है श्रद्धालुओं की भारी भीड़, मन्नत होती है पूरी हिमांशु तिवारी हैदरनगर (पलामू): हैदरनगर स्थित देवी धाम परिसर में शारदीय नवरात्र के अवसर पर लगने वाले मेले की सैकड़ों वर्षों पुरानी परंपरा इस वर्ष भी कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ गई। कोविड-19 को लेकर प्रतिपदा से प्रारंभ होनेवाला मेला आयोजन स्थगित कर दिया गया है। पिछले वर्ष भी इसी महामारी के कारण मेला का आयोजन नहीं हो पाया था। कोरोना गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए श्रद्धालु मंदिर में आकर दर्शन व पूजा अर्चना कर सकते है।
पलामू जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर की दूरी पर हैदरनगर देवी धाम ऐतिहासिक,धार्मिक व आस्था का केन्द्र है। शारदीय नवरात्र व चैत नवरात्र में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु देवी मां के दर्शन व पूजन के लिए आते हैं। यहां क उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा व पश्चिम बंगाल के साथ साथ पूरे देश लोग यहां पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। पूजा-अर्चना करने से मनवांच्छित कार्य पूर्ण हो जाते है। देवी धाम की माँ जागृत रूप में स्थित हैं। नवरात्रि के समय यहां आस्था की भीड़ उमड़ती है। एक तरफ लोग पूजा अर्चना करते है तो दूसरी तरफ तांत्रिक टोना, सिद्धियों एवं प्रेत प्रकोप से बचाव के लिए देवी की उपासना भी होती है।आस्था कहे या अंधविश्वास देश भर से प्रेत प्रकोप से शांति के लिए लोग यहां खींचे चले आते हैं। प्रेत समाहित व्यक्ति माता मंदिर में आने पर नवरात्र के समय स्वंय ही झूमने लगते हैं।
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सात पिडी स्वरूप में है देवी मां माता का प्रतिष्ठित मूर्ति काले पत्थर से बना हुआ है। जिसमें सात रूपों को दर्शाया गया है।उसके आगे सात पिडी मां की गोलनुमा पिड के रूप में मौजूद हैं। जस पर चांदी का अवर चढ़ा हुआ है। बॉक्स
क्या है धाम का इतिहास:
जानकर कुंडल तिवारी बताते है कि वैसे तो इस देवी धाम का लिखित इतिहास दर्ज नही है। लेकिन इस मंदिर को अपने पूर्वजों से इसके सैकड़ों वर्षों के मौजूदगी की बात होती है। सबसे पहले इस मंदिर में यहाँ के स्थानीय पंडितों के द्वारा पूजा किया जाता था।तब यह मंदिर मिट्टी का हुआ करता था।दामोदर दुबे के पूजा अर्चना के समय मे यहा आयोध्या से रामलीला मंडली दिखाने नागाबाबा आए।नागाबाबा रामलीला मंडली के सुप्रशिद्ध व्यास थे। नागाबाबा अयोध्या के प्रमोद बन के चेतना दास अखाड़ा के थे। चेतन दास नागाबाबा के गुरु थे। दामोदर दुबे ने नागाबाबा को देवी धाम पर ही रुक कर पूजा करने का अनुरोध किया।जिसके बाद से नागाबाबा ने पूजा अर्चना के साथ साथ मंदिर में कई विकास किए। सबसे पहले उन्होंने ही पत्थरों पर नक्कासी वाले खम्भों पर मंदिर का निर्माण कराया। नागाबाबा के बाद उनके गुरुभाई मुनि बाबा पूजा अर्चना करने लगे। उन्होंने मंदिर को गोलनुमा गुम्बज का निर्माण कराया। मुनि बाबा के बाद उनके शिष्य सुरेंद्र दास त्यागी वर्तमान में मंदिर के गर्भगृह की पूजा करते हैं। उसके बाद देवी धाम समिति ने इस मंदिर में विशाल गुंबज नुमा मंदिर का निर्माण कराया। बॉक्स
मनमोह लेता है देवी धाम मंदिर:
देवी धाम मंदिर का प्रांगण की सुंदरता लोगो को आकर्षित कर लेती है।माता का विशाल गुंबद नुमा मंदिर के अलावा रामजानकी मंदिर, शिव पार्वती मंदिर, विशाल पीपल के पेड़ में ब्रह्म स्थान के साथ-साथ जीन बाबा भी परिसर में है। बॉक्स
चीनी की मिठाई का है महत्व:
देवी धाम पर प्रसाद के रूप में चीनी का मिठाई देवी मां को चढ़ाया जाता है। इसका कारण यह है कि चीनी की मिठाई को शुद्ध माना जाता है। इसमें किसी प्रकार का तेल का उपयोग नहीं किया जाता है। साथ ही नारियल,सिदूर व चुंदरी आदि चढ़ाया जाता है।

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