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    Independence Day: फांसी से 19 घंटे पहले लिखा था आखिरी पत्र, आज भी गुमनाम हैं आजादी के लिए जान देने वाल वीर सपूत

    पलामू जिले के पाटन थाना क्षेत्र का सूठा गांव शहीद नित्यानंद स्वामी का गांव है जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अंग्रेजों ने उन्हें 25 मई 1934 को फांसी दे दी थी। नित्यानंद स्वामी उर्फ बेनी चौधरी ने बनारस और गोरखपुर को अपना संघर्ष क्षेत्र बनाया और कमलापति त्रिपाठी जैसे नेताओं के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी।

    By Raju Ranjan Soni Edited By: Piyush Pandey Updated: Thu, 14 Aug 2025 08:04 AM (IST)
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    वीर सपूत नित्यानंद राय की फाइल फोटो। (फाइल फोटो)

    राजू रंजन सोनी, पाटन (पलामू)। पलामू जिले के पाटन थाना क्षेत्र से लगभग 13 किलोमीटर दूर बसा सूठा गांव आजादी की लड़ाई के एक ऐसे वीर सपूत का गांव है, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है, पर गांव में ही उनका नाम शायद ही कोई जानता है।

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    यह गांव है शहीद नित्यानंद स्वामी का, जिन्हें अंग्रेजों ने 25 मई 1934 को फांसी पर चढ़ा दिया था। गांव के स्वजनों और बुजुर्गों का कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नित्यानंद स्वामी उर्फ बेनी चौधरी ने बनारस और गोरखपुर को अपना संघर्ष-क्षेत्र बनाया।

    वे कमलापति त्रिपाठी और संपूर्णानंद जैसे नेताओं के साथ मिलकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे।

    अविवाहित रहकर देश सेवा में हो गए अमर

    नित्यानंद स्वामी पांच भाइयों में चौथे थे। उन्होंने शादी नहीं की थी और सन्यासी बन गए थे। आजादी की लड़ाई में शामिल रहते हुए ही उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। स्वजनों के मुताबिक, शहादत के बाद गांव के दो साथी सोमेश्वर द्विवेदी और रामाधार द्विवेदी में से रामाधार अपने गांव लौट आए, जबकि सोमेश्वर स्वतंत्रता संग्राम में डटे रहे।

    फांसी से 19 घंटे पहले लिखा था आखिरी पत्र

    शहादत से एक दिन पहले, 25 मई 1934 को, फांसी पर चढ़ने से करीब 19 घंटे पहले नित्यानंद स्वामी ने गांव के भागेश्वर द्विवेदी और स्वतंत्रता सेनानी नारायण दास को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने लिखा कि फांसी में कुछ ही घंटे बाकी हैं, लेकिन मैं तनिक भी विचलित नहीं हूं।

    उन्होंने सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया, नमस्कार और ‘वंदे मातरम’ का अभिवादन भेजा और लिखा कि अंग्रेजों का कड़ा पहरा है, इसलिए आगे पत्राचार न करें।

    गुलामी के दौर का सफर

    गांव के साथी सोमेश्वर और रामाधार द्विवेदी के साथ नित्यानंद स्वामी 1926 में बनारस गए थे। उस समय वे हर राष्ट्रीय अधिवेशन में सक्रिय रूप से भाग लेते थे और बनारस व गोरखपुर में स्वतंत्रता संग्राम की अगुवाई कर रहे थे।

    स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गिरफ्तार होने के बाद उन्हें बनारस के डिस्ट्रिक्ट चौक स्थित चौका घाट पर फांसी दी गई।

    गांव में वर्षों तक नहीं बना स्मारक

    स्वजनों के मुताबिक, पलामू जिला प्रशासन या प्रखंड प्रशासन ने उनके नाम पर कभी प्रतिमा या स्मारक स्थापित नहीं किया। बीते वर्ष गांव के लोगों ने खुद चंदा जुटाकर सूठा गांव में उनकी प्रतिमा लगाई, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके बलिदान से प्रेरणा ले सकें।

    शहीद की प्रोफाइल

    पूरा नाम: नित्यानंद स्वामी उर्फ़ बेनी चौधरी

    जन्मस्थान: सूठा गांव, पाटन प्रखंड, पलामू

    संघर्ष क्षेत्र: बनारस और गोरखपुर

    शहादत की तिथि: 25 मई 1934

    शहादत का स्थान: चौका घाट, डिस्ट्रिक्ट चौक, बनारस

    विशेष: अविवाहित रहकर स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, कमलापति त्रिपाठी व संपूर्णानंद के साथ आंदोलन में सक्रिय