Move to Jagran APP

Jharkhand News: पलामू में 'रंगबाज' से 'रंगबाजी' कर रहीं महिलाएं, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट...

Jharkhand News झारखंड के पलामू जिले में एक गांव है पोलपोल। इस गांव से गुजरते समय सड़क किनारे लगे एक के बाद एक कई साइन बोर्ड पर लिखे एक ही नाम-रंगबाज हर राहगीर का ध्यान खींचते हैं। रंगबाज क्या है? यहां क्या होता है? पढ़ें ये ग्राउंड रिपोर्ट...

By Mritunjay PathakEdited By: Sanjay KumarPublished: Tue, 22 Nov 2022 09:36 AM (IST)Updated: Tue, 22 Nov 2022 09:36 AM (IST)
Jharkhand News: पलामू में 'रंगबाज' से 'रंगबाजी' कर रहीं महिलाएं, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट...
Jharkhand News: पलामू में 'रंगबाज' से 'रंगबाजी' कर रहीं महिलाएं।

मेदिनीनगर (पलामू), [मृत्युंजय पाठक]। Jharkhand News झारखंड के पलामू जिले के मेदिनीगर-रांची मुख्य सड़क के दोनों तरफ बसा पोलपोल गांव। इस गांव से गुजरते समय सड़क किनारे लगे एक के बाद एक कई साइन बोर्ड पर लिखे एक ही नाम-''रंगबाज'' हर राहगीर का ध्यान खींचते हैं। ''रंगबाज'' क्या है? यहां क्या होता है? साइन बोर्ड पढ़कर हर किसी में जानने की उत्सुकता होती है।

loksabha election banner

पोलपोल में चल रहे दर्जनभर रंगबाज

दरअसल ''रंगबाज '' एक बीमारी का नाम है। इसे आप ठीक न हो रहे सिरदर्द या हेडेक भी कह सकते हैं। यह स्थानीय तौर पर ''रंगबाज कपरफुटा'' के नाम से जाना जाता है। पोलपोल में इस बीमारी को ठीक करने वाले दर्जन भर दवाखाना चल रहे हैं। महत्वपूर्ण यह कि रंगबाज दवाखाना में इलाज महिलाएं ही करती हैं। रंगबाज कपरफुटा के साथ-साथ गठिया, जांडिस, सायटिका, बांझपन, बालों का झड़ना, पाइल्स वगैरह-वगैरह बीमारियों का भी महिलाएं शर्तियां इलाज करती हैं। एक महीने की दवा हजार से डेढ़ हजार रुपये में दी जाती है।

पुराने से पुराने सिरदर्द का शर्तिया इलाज

अपने दवाखाना में दो दिन के बच्चे के इलाज में लगी लालती देवी कहतीं हैं- देखिए, दवा की लेप इसके सिर पर लगा रही हूं। तुरंत आराम होगा। बच्चा अपनी आंख खोलेगा। लालती करीब एक दशक से इलाज करती है। बच्चे को गोद में लेकर उसकी नानी अनिता देवी बैठी हैं। साथ में बच्चे के पिता सर्वजीत कुमार सिंह भी हैं। ये पलामू जिले के नीलांबर-पीतांबरपुर प्रखंड के मुंदरिया गांव से पहुंचे हैं।

सर्वजीत ने बताया कि जन्म के बाद ही बच्चा रो रहा है। आंख नहीं खोलता है। जन्म के बाद स्वास्थ्य केंद्र में दिखाया। फायदा नहीं होने पर यहां लेकर आया हूं। सवा महीने के अपने बच्चे को गोद में लिए दवा के इंतजार में बैठी लोटवा की बेबी देवी ने बताया-उनके बच्चे को जन्म से ही रंगबाज कपरफुटा है। जन्म के बाद हमेशा रोते रहता था। एक महीने पहले आकर दवा ली। पहले से बच्चा ठीक है।

जड़ी-बूटी से तैयार की जाती दवा

पासवान रंगबाज कपरफुटा दवाखाना की संचालिका लालती देवी ने बताया कि जड़ी-बूटी से बीमारी का इलाज किया जाता है। क्या आपकी दवा से बच्चे ठीक होते हैं? इस सवाल के जवाब में चारों तरफ बैठी महिलाओं की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं- इनसे पूछ लीजिए। बच्चों को आराम होता है तभी तो लोग यहां आते हैं। पास में ही एक और रंगबाज कपरफुटा दवाखाना का संचालन करने वाली हुस्न बानो ने बताया कि पुराने से पुराने सिरदर्द और जोड़ो का दर्द ठीक करते हैं। हमारे यहां काफी दूर-दूर से मरीज आते हैं। जड़ी-बूटियों से दवा तैयार की जाती है। साथ ही इसका लेप भी लगाया जाता है। लैवेंडर के तेल, तुलसी, चंदन, लौंग, दालचीनी, तेजपत्ता, लौकी की गूदा, गिलोय वैगर-वगैर से दवा तैयार की जाती है।

क्या कहते हैं पदाधिकारी व शिशु रोग विशेषज्ञ

पलामू जिला आयुष पदाधिकारी डा शिवशंकर पांडेय का कहना है कि अगर किसी बच्चा को कपरफुटा (माइग्रेन) है तो जड़ी-बूटी से इसका उपचार किया जा सकता है। पेट में खराबी, गैस, बुखार व अन्य कारणों से अगर सिर में दर्द है तो पहले इसका सिटी स्कैन कराया जाना चाहिए। बीमारी की पहचान होने के बाद ही इसका उपचार कर सकते हैं। अगर कोई जड़ी-बूटी का सहारा लेकर किसी भी सिर दर्द को कपरफुटा का नाम देकर उपचार कर रहा है तो गलत है।

पलामू एमआरएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डा गौरव विशाल का कहना है कि सिर दर्द का उपचार जड़ी-बूटी का लेप लगाकर गांव-देहात में किया जा रहा है तो गलत है। कपरफुटा नामक कोई बीमारी नहीं है। यह सब महज ढकोसला है। इस तरह से अगर उपचार होगा तो बच्चों में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाएगा। अगर बच्चे बीमार हों तो विशेषज्ञ से संपर्क करें। इस तरह के लोगों से बचें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.