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    Bajwanti Devi: कभी 100 हर महीने से शुरू किया सफर, आज 300 महिलाओं के लिए बनीं उम्मीद की किरण

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 02:39 PM (IST)

    बजवंती देवी ने कभी 100 रुपये प्रति महीने से अपना सफर शुरू किया था, और आज वह पलामू में 300 लोगों की आजीविका में मदद कर रही हैं। उन्होंने ग्रामीण उद्यमि ...और पढ़ें

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    अपने खेत में खड़ीं बजवंती देवी। फोटो जागरण  

    जागरण संवाददाता, मेदिनीनगर (पलामू)। मनातू प्रखंड के नौडीहा पंचायत अंतर्गत सेमरी गांव की बजवंती देवी ने सीमित संसाधनों, पारिवारिक जिम्मेदारियों और व्यक्तिगत संघर्षों के बावजूद मेहनत, धैर्य और सतत सीख के बल पर आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है।

    स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़कर शुरू हुआ उनका सफर आज ग्रामीण महिला सशक्तिकरण का प्रेरक उदाहरण बन चुका है। बजवंती देवी वर्ष 2017 में एसएचजी से जुड़ीं। शुरुआती दौर में वह समूह की एकमात्र सदस्य थीं, लेकिन हौसले और सीखने की ललक ने उन्हें पीछे नहीं हटने दिया।

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    धीरे-धीरे उन्होंने एसएचजी बीके (बुक-कीपिंग) का कार्य संभाला, जिससे प्रति एसएचजी 100 रुपये मासिक मानदेय मिलने लगा। बाद में तीन एसएचजी के रजिस्टर लेखन की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी गई, जिससे नियमित आय का आधार बना।

    'पशु सखी' बनकर आय का किया विस्तार

    वर्ष 2018 में बजवंती देवी का चयन ‘पशु सखी’ के लिए हुआ। हालांकि इसका भुगतान वर्ष 2022 से शुरू हुआ, लेकिन उन्होंने पहले से ही आय का संतुलित उपयोग शुरू कर दिया था। कुछ राशि बचत में गई तो कुछ घर-परिवार, राशन और बच्चों की जरूरतों पर खर्च हुई।

    इसी दौरान पशुपालन और खेती को आजीविका का मजबूत साधन बनाया। वर्ष 2020 में उन्होंने एसएचजी के माध्यम से 50 हजार रुपये का सीआईडी ऋण लिया।

    इस राशि से मुर्गी पालन और बकरी पालन की शुरुआत की, जिससे करीब 35 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ। यह पहल उनके उद्यमशील दृष्टिकोण और जोखिम उठाने की क्षमता को दर्शाती है।

    आईएफसी एंकर बनकर बढ़ाया आत्मविश्वास

    पशु सखी और बीके के कार्य से बजवंती देवी की कुल बचत लगभग 20 हजार रुपये तक पहुंच चुकी थी। निरंतर प्रयास और सीख के बल पर उन्होंने आईएफसी एंकर की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्तमान में वह आईएफसी एंकर के रूप में प्रति माह लगभग 10 हजार रुपये अर्जित कर रही हैं।

    वर्ष 2023 में पति के निधन के बाद उनका जीवन एक कठिन दौर से गुजरा। उस समय कोई प्रत्यक्ष सहारा नहीं था, लेकिन पहले से किए गए प्रयास, आत्मविश्वास और कार्यकुशलता ने उन्हें टूटने नहीं दिया। आज वह न केवल खुद आत्मनिर्भर हैं, बल्कि करीब 300 लोगों की आजीविका को सशक्त बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

    जैविक खेती की जगा रहीं अलख

    बजवंती देवी जैविक खेती को लेकर ग्रामीणों को लगातार जागरूक कर रही हैं। वह स्कूटी से गांव-गांव जाकर विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को जैविक खेती के लाभों से अवगत करा रही हैं और उन्हें इसे अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

    उनकी खास पहचान यह है कि किसी भी नई पहल को दूसरों को सुझाने से पहले वह स्वयं उसे अपनाती हैं, ताकि लोग परिणाम देखकर प्रेरित हों।

    वर्तमान में बजवंती देवी को आईएफसी एंकर के रूप में प्रति माह 10 हजार रुपये तथा खेती और पशुपालन से 15 से 16 हजार रुपये तक की अतिरिक्त आय हो रही है। उनका जीवन संघर्ष, आत्मनिर्भरता और सामाजिक नेतृत्व का जीवंत उदाहरण है, जो ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन रहा है।