‘जल-जंगल-जमीन बचाने के नाम पर वोट मांगने वालों से ही लड़ाई’,बाबूलाल मरांडी का हेमंत सरकार पर हल्ला बोल
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जल जंगल और जमीन के नाम पर सत्ता में आई सरकार गरीबों की जमीन छीन रही है। मरांडी ने रिम्स-2 के नाम पर आदिवासियों की जमीन अधिग्रहण करने का आरोप लगाया। उन्होंने सूर्या हांसदा की हत्या और बालू कारोबार में माफियाओं को संरक्षण देने के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा।

जागरण संवाददाता, मेदिनीनगर (पलामू)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मौजूदा राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जल, जंगल और जमीन की रक्षा के नाम पर सत्ता में आए लोग अब उन्हीं गरीबों की खेती योग्य जमीन छीनने पर उतारू हैं, जिनके बल पर वे कुर्सी तक पहुंचे। मरांडी परिसदन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि रिम्स-2 के नाम पर सरकार गरीब आदिवासियों की जमीन जबरन अधिग्रहित कर रही है। यह वही भूमि है, जिसे 1956-57 में कृषि विश्वविद्यालय के लिए चिन्हित किया गया था, लेकिन ग्रामीणों के विरोध और तत्कालीन मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद किसानों के लिए छोड़ दी गई थी। 2012 में आईआईएम और आईआईटी के लिए भी यही जमीन तय हुई थी, तब भी शिबू सोरेन ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया था कि उनकी खेती की जमीन नहीं छीनी जाएगी।
मरांडी का आरोप है कि सरकार ने अब फिर से इस भूमि को कंटीले तारों से घेर दिया है और विरोध करने वाले 85 ग्रामीणों पर नामजद मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। उन्होंने 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून का हवाला देते हुए कहा कि यदि किसी परियोजना के लिए अधिग्रहीत जमीन पर पाँच साल तक निर्माण नहीं होता, तो उस पर पुनः दावा नहीं किया जा सकता।
पूर्व मुख्यमंत्री ने सूर्या हांसदा की हत्या को लेकर भी सरकार और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। कहा कि सादे लिबास में पुलिस ने उसे पकड़कर जंगल में ले जाकर टॉर्चर किया और माफियाओं के इशारे पर उसकी हत्या कर दी।
बालू कारोबार पर भी उन्होंने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया। कहा कि उनकी सरकार में घाटों की नीलामी खत्म कर पंचायतों को अधिकार दिए गए थे। लेकिन मौजूदा सरकार ने यह व्यवस्था खत्म कर बाहरी माफियाओं को संरक्षण दिया है।
मरांडी ने कहा कि सरकार की नीतियां गरीबों और आदिवासियों के खिलाफ हैं। जल-जंगल-जमीन बचाने की लड़ाई अब उन्हीं लोगों को लड़नी पड़ रही है, जिनके नाम पर वोट मांगे गए थे। मौके पर भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अविनाश वर्मा, ओमप्रकाश पप्पू और शिवकुमार मिश्रा मौजूद थे।
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